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पुल से उतारो राह-गुज़र को ख़बर न हो / Pul Se Utaro Rah Guzar Ko Khabar Na Ho

पुल से उतारो राह-गुज़र को ख़बर न हो जिब्रील पर बिछाएँ तो पर को ख़बर न हो काँटा मेरे जिगर से ग़म-ए-रोज़गार का यूँ खींच लीजिए कि जिगर को ख़बर न हो फ़रियाद उम्मती जो करे हाल-ए-ज़ार में मुमकिन नहीं कि ख़ैर-ए-बशर को ख़बर न हो कहती थी ये बुराक़ से उस की सुबुक-रवी यूँ जाइये कि गर्द-ए-सफ़र को ख़बर न हो फ़रमाते हैं ये दोनों हैं सरदार-ए-दो-जहाँ ऐ मुर्तज़ा ! 'अतीक़-ओ-'उमर को ख़बर न हो ऐसा गुमा दे उन की विला में ख़ुदा हमें ढूँढा करे पर अपनी ख़बर को ख़बर न हो आ दिल ! हरम को रोकने वालों से छुप के आज यूँ उठ चलें कि पहलू-ओ-बर को ख़बर न हो तैर-ए-हरम हैं ये कहीं रिश्ता बपा न हों यूँ देखिए कि तार-ए-नज़र को ख़बर न हो ऐ ख़ार-ए-तयबा ! देख कि दामन न भीग जाए यूँ दिल में आ कि दीदा-ए-तर को ख़बर न हो ऐ शौक़-ए-दिल ! ये सज्दा गर उन को रवा नहीं अच्छा ! वो सज्दा कीजे कि सर को ख़बर न हो उन के सिवा, रज़ा ! कोई हामी नहीं जहाँ गुज़रा करे पिसर पे पिदर को ख़बर न हो शायर: इमाम अहमद रज़ा ख़ान ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी असद रज़ा अत्तारी pul se utaaro raah-guzar ko KHabar na ho jibreel par bichhaae.n...

नबी का जो भी है शैदा रज़ा रज़ा बोले / Nabi Ka Jo Bhi Hai Shaida Raza Raza Bole

पीर-ए-तरीक़त अहमद रज़ा ! मेरे इमाम अहमद रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले पीर-ए-तरीक़त ! आ'ला हज़रत ! शैख़-ए-शरी'अत ! आ'ला हज़रत ! 'आमिल-ए-सुन्नत ! आ'ला हज़रत ! रहबर-ए-मिल्लत ! आ'ला हज़रत ! रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा अहमद रज़ा ! रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा मेरे रज़ा ! नबी का जो भी है शैदा रज़ा रज़ा बोले यहाँ तो सारा ज़माना रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा अहमद रज़ा ! रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा मेरे रज़ा ! जो अहल-ए-बैत की उल्फ़त को दिल में रखता हो हो हर सहाबी का शैदा रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा अहमद रज़ा ! रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा मेरे रज़ा ! मिली है निस्बत-ए-रज़वी बड़े मुक़द्दर से मेरे नसीब का लिक्खा रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा अहमद रज़ा ! रज़ा रज़ा रज़ा रज़ा मेरे रज़ा ! जो ज़िंदगी में है जारी ज़बान पर तेरा नाम लहद में भी मेरा लाशा रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़ा बोले, रज़ा रज़ा बोले रज़ा रज़...

गुनाहों की आदत छुड़ा मेरे मौला / Gunahon Ki Aadat Chhuda Mere Maula

गुनाहों की 'आदत छुड़ा, मेरे मौला ! मुझे नेक इंसाँ बना, मेरे मौला ! मेरी साबिक़ा हर ख़ता, मेरे मौला ! तू रहमत से अपनी मिटा, मेरे मौला ! तू क़ुदरत से अपनी बदल नेकियों से हर इक मेरी लग़्ज़िश ख़ता, मेरे मौला ! जो तुझ को, जो तेरे नबी को पसंद है मुझे ऐसा बंदा बना, मेरे मौला ! तू मस्जूद मेरा, मैं साजिद हूँ तेरा तू मालिक, मैं बंदा तेरा, मेरे मौला ! तू मतलूब मेरा, मैं तालिब हूँ तेरा मुझे दे दे अपनी विला, मेरे मौला ! है उद'ऊनी फ़रमान क़ुरआँ में तेरा तू सुन ले मेरी इल्तिजा, मेरे मौला ! तू लेगा अगर 'अद्ल से काम अपने मैं हूँ मुस्तहिक़ नार का, मेरे मौला ! जो रहमत तेरी शामिल-ए-हाल हो तो ठिकाना है जन्नत मेरा, मेरे मौला ! तुझे तो ख़बर है मैं कितना बुरा हूँ तू 'ऐबों को मेरे छुपा, मेरे मौला ! मेरी ता-क़यामत जो नस्लें हों, या रब ! हों सब 'आशिक़-ए-मुस्तफ़ा, मेरे मौला ! न मोहताज कर तू जहाँ में किसी का मुझे मुफ़्लिसी से बचा, मेरे मौला ! हैं का'बे पे नज़रें 'उबैद-ए-रज़ा की हो मक़बूल हर इक दु'आ, मेरे मौला ! शायर: ओवैस रज़ा क़ादरी ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी हाफ़िज़ ...

इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा / Ishq-o-Adab Ka Mah-e-Farozan Mera Raza

रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! मेरा रज़ा ! मेरे रज़ा ! मेरे रज़ा ! अहमद रज़ा ! मेरे रज़ा ! सुन्नियों के पेशवा ! है रज़ा है रज़ा ! रहबर-ओ-रहनुमा ! है रज़ा है रज़ा ! सूफ़ी-ए-बा-सफ़ा ! है रज़ा है रज़ा ! साहिब-ए-इत्तिक़ा ! है रज़ा है रज़ा ! 'इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा 'इल्म-ओ-हुनर का मेहर-ए-दरख़्शाँ मेरा रज़ा 'इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! मेरा रज़ा ! मुल्क-ए-सुख़न में सय्यिद-ओ-सुल्ताँ मेरा रज़ा अहल-ए-क़लम को करता है हैराँ मेरा रज़ा 'इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! मेरा रज़ा ! अहल-ए-सुनन पे रब का है एहसाँ मेरा रज़ा सरकार-ए-दो-जहाँ का है फ़ैज़ाँ मेरा रज़ा 'इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! मेरा रज़ा ! यूँ तो बहुत हैं हिन्द में 'उश्शाक़-ए-मुस्तफ़ा फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से उन में नुमायाँ मेरा रज़ा 'इश्क़-ओ-अदब का माह-ए-फ़रोज़ाँ मेरा रज़ा रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! रज़ा रज़ा ! मेरा रज़ा ! यूँ तो ज़मीन-ए-हिन्द पे शा'इर हुए बड़े लेकिन बना है हिन्द का हस्साँ मेरा रज़ा 'इश्क़-ओ-अदब का माह...

हम को अपनी जान से प्यारा ये हिन्दुस्तान है | ऐ वतन तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है / Hum Ko Apni Jaan Se Pyara Ye Hindustan Hai | Aye Watan Tere Liye Jaan Aur Dil Qurban Hai

हम को अपनी जान से प्यारा ये हिन्दुस्तान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है मुंबई है जिस की आँखें और दिल्ली जिस का दिल ज़ुल्फ़ कलकत्ता है जिस की, लखनऊ जिस का है तिल इस के हर इक शहर की अपनी अलग पहचान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है हम को अपनी जान से प्यारा ये हिन्दुस्तान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है वादी-ए-कश्मीर है इस देश में जन्नत-निशाँ देश की मिट्टी उगलती है सदा सोना यहाँ इस मुबारक सर-ज़मीं पर फ़ज़्ल-ए-रब हर आन है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है हम को अपनी जान से प्यारा ये हिन्दुस्तान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है ताज-महल जिस देश में मौजूद दिल्ली का क़िला' आज भी अस्लाफ़ की यादों का है इक सिलसिला सारे 'आलम में निराली इस वतन की शान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है हम को अपनी जान से प्यारा ये हिन्दुस्तान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है इस की आज़ादी के नग़्मे गूँजते हैं चार-सू देश की मिट्टी में शामिल है शहीदों का लहू शेर हर बच्चा इस का या'नी टीपू सुल्तान है ऐ वतन ! तेरे लिए जाँ और दिल क़ुर्बान है...

हमारी हो निगहबानी ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी | इलाही ख़ैर गर्दानी ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी / Hamari Ho Nigehbani Ba-haqq-e-Shah-e-Jilani | Ilahi Khair Gardani Ba-haqq-e-Shah-e-Jilani

हमारी हो निगहबानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी इलाही ! ख़ैर गर्दानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी मेरे मौला ! 'अता करना हमेशा इस वसीले से हर इक मुश्किल में आसानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी तू मालिक है ख़ज़ानों का, करम से दूर फ़रमा दे हमारी तंग-दामानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी ख़ुदाया ! दीन-ओ-दुनिया की हर इक ने'मत 'अता कर दे ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी ज़माना देख कर हैरान है, हम लोग करते हैं गदाई में भी सुल्तानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी ब-रोज़-ए-हश्र दाएँ हाथ में आ'माल-नामा हो रहे पुर-नूर पेशानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी हमारी ख़स्ता-हाली पर, ख़ुदाया ! तेरी रहमत की रहे हर दम फ़रावानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी वसीला भी ज़रूरी है, जभी सरवर ! ये कहते हैं इलाही ! ख़ैर गर्दानी, ब-हक़्क़-ए-शाह-ए-जीलानी शायर: सरवर हुसैन नक़्शबंदी ना'त-ख़्वाँ: सरवर हुसैन नक़्शबंदी hamaari ho nigehbaani, ba-haqq-e-shaah-e-jeelaani ilaahi ! KHair gardaani, ba-haqq-e-shaah-e-jeelaani mere maula ! 'ata karna hamesha is waseele se har ik mushkil me.n aasaani, ba-haqq-e-shaah-e-...

हुजूम-ए-ग़म में घिरा हुआ हूँ हुज़ूर मेरा ख़याल रखिए / Hujoom-e-Gham Mein Ghira Hua Hun Huzoor Mera Khayal Rakhiye

हुजूम-ए-ग़म में घिरा हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए मैं दर पे कब से पड़ा हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए न कोई हमदम, न कोई साथी, किसे मैं रूदाद-ए-ग़म सुनाऊँ मैं बे-सहारा पड़ा हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए मेरे हैं चारों तरफ़ मसाइल, है रूह अंदर से मेरी घाइल मैं ठोकरों में पला हुआ हूँ,  हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए उदास लम्हों में जी रहा हूँ, मैं तल्ख़ मौसम को पी रहा हूँ मैं आँसुओं से बुना हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए कहीं ये मुझ को जला न डाले, जला के मुझ को बुझा न डाले मैं आब-ए-ज़र से डरा हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए मैं हर्फ़-ए-मतलब सजा के तिश्ना लबों पे लाया हूँ, मेरे आक़ा ! मैं 'उम्र भर का लुटा हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए रियाज़ शा'इर हूँ आप का मैं, अदब से दर पर खड़ा हूँ कब से यहाँ मक़ामी बना हुआ हूँ, हुज़ूर ! मेरा ख़याल रखिए शायर: रियाज़ हुसैन चौधरी ना'त-ख़्वाँ: असद रज़ा अत्तारी सय्यिद ज़बीब मसूद अली शब्बीर hujoom-e-Gam me.n ghira huaa hu.n huzoor ! mera KHayaal rakhiye mai.n dar pe kab se pa.Da huaa hu.n huzoor ! mera KHayaal rakhiye na koi...

फ़ासलों को तकल्लुफ़ है हम से अगर हम भी बेबस नहीं बे-सहारा नहीं / Faslon Ko Takalluf Hai Hum Se Agar Hum Bhi Bebas Nahin Besahara Nahin

फ़ासलों को तकल्लुफ़ है हम से अगर, हम भी बेबस नहीं बे-सहारा नहीं ख़ुद उन्ही को पुकारेंगे हम दूर से, रास्ते में अगर पाँव थक जाएँगे हम मदीने में तन्हा निकल जाएँगे और गलियों में क़स्दन भटक जाएँगे हम वहाँ जा के वापस नहीं आएँगे, ढूँडते ढूँडते लोग थक जाएँगे जैसे ही सब्ज़-गुंबद नज़र आएगा, बंदगी का क़रीना बदल जाएगा सर झुकाने की फ़ुर्सत मिलेगी किसे, ख़ुद ही पलकों से सज्दे टपक जाएँगे नाम-ए-आक़ा जहाँ भी लिया जाएगा, ज़िक्र उन का जहाँ भी किया जाएगा नूर ही नूर सीनों में भर जाएगा, सारी महफ़िल में जल्वे लपक जाएँगे ऐ मदीने के ज़ाइर ! ख़ुदा के लिए, दास्तान-ए-सफ़र मुझ को यूँ मत सुना बात बढ़ जाएगी, दिल तड़प जाएगा, मेरे मोहतात आँसू छलक जाएँगे उन की चश्म-ए-करम को है इस की ख़बर, किस मुसाफ़िर को है कितना शौक़-ए-सफ़र हम को, इक़बाल ! जब भी इजाज़त मिली, हम भी आक़ा के दरबार तक जाएँगे शायर: इक़बाल अज़ीम ना'त-ख़्वाँ: क़ारी वहीद ज़फ़र क़ासमी हाजी अब्दुल हबीब अत्तारी faaslo.n ko takalluf hai ham se agar ham bhi bebas nahi.n, be-sahaara nahi.n KHud unhi ko pukaarenge ham door se raaste...

दुनिया में सदा मुल्क का सम्मान रहेगा / Duniya Mein Sada Mulk Ka Samman Rahega

दुनिया में सदा मुल्क का सम्मान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा ये झंडा तेरी शान बताता है जहाँ को 'अज़मत मेरे भारत की दिखाता है जहाँ को दुश्मन के लिए शेर हैं तय्यार तुम्हारे डरते नहीं दुनिया से ये अंसार तुम्हारे सरहद पे खड़ा तेरा निगहबान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा दुनिया में सदा मुल्क का सम्मान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा हम ने ही निकाला है ग़ुलामी से वतन को गुलज़ार बनाया है लहू दे के चमन को हर सिम्त खिले फूल हैं और ताज़ा हवा है आज़ाद परिंदे हैं, यहाँ कैसी फ़िज़ा है अब इस में बहारों का ही 'उनवान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा दुनिया में सदा मुल्क का सम्मान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा सूरज नया निकला है ज़माने पे 'अयाँ है भारत तेरी धरती पे तो जन्नत का समाँ है क्या शान से बहती हैं यहाँ जमना-ओ-गंगा हर शख़्स के है हाथ में इक अपना तिरंगा ये जश्न-ए-बहाराँ है हर इक आन रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा दुनिया में सदा मुल्क का सम्मान रहेगा हर हिन्दू-मुसलमान की तू जान रहेगा मेहनत से बड़ी देश ये आज़ाद हुआ है इस ...

मुहम्मद मज़्हर-ए-कामिल है हक़ की शान-ए-इज़्ज़त का / Muhammad Mazhar-e-Kamil Hai Haq Ki Shaan-e-Izzat Ka

मुहम्मद मज़्हर-ए-कामिल है हक़ की शान-ए-'इज़्ज़त का नज़र आता है इस कसरत में कुछ अंदाज़ वहदत का यही है अस्ल-ए-'आलम माद्दा-ए-ईजाद-ए-ख़ल्क़त का यहाँ वहदत में बरपा है 'अजब हंगामा कसरत का गदा भी मुन्तज़िर है ख़ुल्द में नेकों की दा'वत का ख़ुदा दिन ख़ैर से लाए सख़ी के घर ज़ियाफ़त का गुनह मग़्फ़ूर, दिल रौशन, ख़ुनुक आँखें, जिगर ठंडा त'आलल्लाह माह-ए-तयबा ! 'आलम तेरी तल'अत का न रक्खी गुल के जोश-ए-हुस्न ने गुलशन में जा बाक़ी चटक्ता फिर कहाँ ग़ुंचा कोई बाग़-ए-रिसालत का बढ़ा ये सिलसिला रहमत का दौर-ए-ज़ुल्फ़-ए-वाला में तसलसुल काले-कोसों रह गया 'इस्याँ की ज़ुल्मत का सफ़-ए-मातम उठे, ख़ाली हो ज़िंदाँ, टूटें ज़ंजीरें गुनहगारो ! चलो मौला ने दर खोला है जन्नत का सिखाया है ये किस गुस्ताख़ ने आईने को, या रब ! नज़ारा रू-ए-जानाँ का बहाना कर के हैरत का इधर उम्मत की हसरत पर, उधर ख़ालिक़ की रहमत पर निराला तौर होगा गर्दिश-ए-चश्म-ए-शफ़ा'अत का बढ़ीं इस दर्जा मौजें कसरत-ए-अफ़ज़ाल-ए-वाला की किनारा मिल गया इस नहर से दरिया-ए-वहदत का ख़म-ए-ज़ुल्फ़-ए-नबी साजिद है मेहराब-दो-अब्रू में कि या रब ! तू ही वा...

हुज़ूर नात का मतला सजा दिया जाए | हुज़ूर अर्ज़ है चेहरा दिखा दिया जाए / Huzoor Naat Ka Matla Saja Diya Jaye | Huzoor Arz Hai Chehra Dikha Diya Jaye

हुज़ूर ! ना'त का मतला' सजा दिया जाए हुज़ूर ! 'अर्ज़ है चेहरा दिखा दिया जाए हुज़ूर ! आप की सोहबत को हम तरसते हैं हुज़ूर ! वक़्त को पीछे हटा दिया जाए हुज़ूर ! ख़ौफ़ बहुत है हमारे सीनों में हुज़ूर ! मौत का मतलब बता दिया जाए हुज़ूर ! आप के क़दमों में सर रखा मैं ने हुज़ूर ! 'अर्ज़ है सज्दा सिखा दिया जाए हुज़ूर ! हुस्न पे मग़रूर हैं यहाँ के हसीं हुज़ूर ! 'अर्ज़ है पर्दा हटा दिया जाए हुज़ूर ! प्यारे हसन और हुसैन का हूँ मुरीद हुज़ूर ! मौला 'अली से मिला दिया जाए हुज़ूर ! मुझ को मोहब्बत है प्यारे हम्ज़ा से हुज़ूर ! आप का नौकर बना दिया जाए हुज़ूर ! सीन की आवाज़ में सुरूर बहुत हुज़ूर ! शीन का मख़रज भुला दिया जाए हुज़ूर ! हज़रत-ए-अय्यूब का चले लंगर हुज़ूर ! हम को भी खाना खिला दिया जाए हुज़ूर ! चर्चे बहुत सिद्क़-ए-बू-ज़री के हैं हुज़ूर ! हम को भी सादिक़ बना दिया जाए हुज़ूर ! हज़रत-ए-सलमान-ए-फ़ारसी की तरह हुज़ूर ! मुझ को भी झाड़ू थमा दिया जाए हुज़ूर ! शहर बसाए हैं हाकिमों ने यहाँ हुज़ूर ! इन को मदीना दिखा दिया जाए हुज़ूर ! 'इश्क़ पे लोगों को ए'तिराज़ हुआ हुज़ूर ! थोड़ा इन्हें भी जला दिया ज...