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हवा की ख़ुश्बू बता रही है वो ज़ुल्फ़ अपनी सजा रहे हैं / Hawa Ki Khushboo Bata Rahi Hai Wo Zulf Apni Saja Rahe Hain

हवा की ख़ुश्बू बता रही है, वो ज़ुल्फ़ अपनी सजा रहे हैं सवारी तयबा से चल पड़ी है, हुज़ूर तशरीफ़ ला रहे हैं नवाज़िशों पर नवाज़िशें हैं, 'इनायतों पर 'इनायतें हैं नबी की ना'तें सुना सुना कर हम अपनी क़िस्मत जगा रहे हैं कहीं पे रौनक़ है मय-कशों की, कहीं पे महफ़िल है दिल-जलों की ये कितने ख़ुश-बख़्त हैं जो अपने नबी की महफ़िल सजा रहे हैं न पास पी हो तो सूना सावन, वो जिस पे राज़ी वही सुहागन जिन्हों ने पकड़ा नबी का दामन, उन्हीं के घर जगमगा रहे हैं यहाँ पे लाखों सिकंदर आए, न बाँस बाक़ी न बाँसुरी है मगर हमारे नबी के झंडे अज़ल के दिन से खड़े हुए हैं कोई तो बोले जिसे ख़ुदा ने नहीं दिया है नबी का सदक़ा हमारे बच्चे तो मुस्तफ़ा के ही टुकड़े खा कर बड़े हुए हैं हबीब-ए-दावर, ग़रीब-परवर, रसूल-ए-अकरम, करम के पैकर किसी को दर पे बुला रहे हैं, किसी के ख़्वाबों में आ रहे हैं मैं अपने ख़ैर-उल-वरा के सदक़े, मैं उन की शान-ए-'अता के सदक़े भरा है 'ऐबों से मेरा दामन, हुज़ूर फिर भी निभा रहे हैं बनेगा जाने का फिर बहाना, कहेगा आ कर कोई दीवाना चलो, नियाज़ी ! तुम्हें मदीने, मदीने वाले बुला रहे हैं शायर: अब्दुल सत्...

ये नाज़ ये अंदाज़ हमारे नहीं होते / Ye Naaz Ye Andaz Hamare Nahin Hote

ये नाज़ ये अंदाज़ हमारे नहीं होते झोली में अगर टुकड़े तुम्हारे नहीं होते जब तक कि मदीने से इशारे नहीं होते रौशन कभी क़िस्मत के सितारे नहीं होते दामान-ए-शफ़ा'अत में हमें कौन छुपाता सरकार ! अगर आप हमारे नहीं होते मिलती न अगर भीक, हुज़ूर ! आप के दर से इस ठाट से मँगतों के गुज़ारे नहीं होते बे-दाम ही बिक जाइए बाज़ार-ए-नबी में इस शान के सौदे में ख़सारे नहीं होते ये निस्बत-ए-सरकार का ए'जाज़ है वर्ना तूफ़ाँ से नुमूदार किनारे नहीं होते हम जैसे निकम्मों को गले कौन लगाता सरकार ! अगर आप हमारे नहीं होते वो चाहें बुला लें जिसे ये उन का करम है बे-इज़्न मदीने के नज़ारे नहीं होते ख़ालिद ! ये तसद्दुक़ है फ़क़त ना'त का वर्ना महशर में तेरे वारे नियारे नहीं होते शायर: ख़ालिद महमूद नक़्शबंदी ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी ज़ोहैब अशरफ़ी ye naaz ye andaaz hamaare nahi.n hote jholi me.n agar Tuk.De tumhaare nahi.n hote jab tak ki madine se ishaare nahi.n hote raushan kabhi qismat ke sitaare nahi.n hote daamaan-e-shafaa'at me.n hame.n kaun chhupaata sarkaar ! agar aap hama...

बहन आज मुझ से जुदा हो रही है / Bahan Aaj Mujh Se Juda Ho Rahi Hai

बहन आज मुझ से जुदा हो रही है लबों से यही बस सदा आ रही है बड़े नाज़ से तुझ को पाला गया था तुझे गोद ले के उछाला गया था तुझे अपनी आँखों का सुरमा बना कर मोहब्बत के साँचे में ढाला गया था मगर आज क़िस्मत ये क्या कह रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है लबों से यही बस सदा आ रही है अगर आज मौजूद दादा भी होते गले से लगा कर तुझे चूम लेते तेरे सर पे हाथों को शफ़क़त से रख कर जिगर थाम कर के यही आज कहते मेरी प्यारी पोती कहाँ जा रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है लबों से यही बस सदा आ रही है तेरे दम से घर में मेरे रौशनी थी मेरी प्यारी अम्मी के दिल की कली थी ज़'ईफ़ी में माँ का सहारा भी तुम थी तेरे दम से उन के लबों पर ख़ुशी थी मगर आज ख़ुशियाँ मिटी जा रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही है लबों से यही बस सदा आ रही है बड़े नाज़ से तुझ को पाला था जिस ने तुझे गोद ले के उछाला था जिस ने किसी के लिए अब तरसती हैं आँखें कि हर हर क़दम पर सँभाला था जिस ने मुझे याद उस की बहुत आ रही है बहन आज मुझ से जुदा हो रही ह...

दिल नहीं लगता मदीना याद आता है / Dil Nahin Lagta Madina Yaad Aata Hai

दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है जिस पल मैं पहुँची बारगाह-ए-ख़ैर-उल-अनाम में होश-ओ-हवास भी न थे होश-ओ-हवास में क्या बताऊँ मैं, मुझे कितना रुलाता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है थी कैफ़ियत 'अजीब सी मीनार देख कर खो सी गई थी रौज़ा-ए-सरकार देख कर बस वही लम्हा मेरे दिल को रुलाता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है मैं तो खड़ी थी चौखट-ए-आल-ए-रसूल पर हुजरा-ए-पाक-ए-सय्यिदा-ज़हरा-बतूल पर तिशनगी देखो मेरे दिल की बढ़ाता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है दिल ये, जुनैद-ए-क़ासमी ! लगता नहीं मेरा फिर से मदीन-ए-पाक की हो हाज़िरी 'अता दूर तयबा से कहाँ दिल चैन पाता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है तयबा में गुज़रा महीना याद आता है दिल नहीं लगता, मदीना याद आता है शायर: जुनैद क़ासमी ना'त-ख़्वाँ: लाइबा फ़ातिमा dil nahi.n lagta, madina yaad aata hai tayba me.n guzra mahi...

माह-ए-तयबा नय्यर-ए-बतहा सल्लल्लाहु अलैका व सल्लम / Mah-e-Taiba Nayyar-e-Batha Sallallahu Alaika Wa Sallam

माह-ए-तयबा नय्यर-ए-बतहा ! सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम तेरे दम से 'आलम चमका, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम तू है मज़हर-ए-रब्ब-ए-अजमल, ज़िल हैं तेरे सारे मुरसल कौन है हम-सर तेरा, शाहा ! सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम तू है नाइब-ए-रब्ब-ए-अकबर, प्यारे हर दम तेरे दर पर अहल-ए-हाजत का है मेला, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम हर शय में है तेरा जल्वा, तुझ से रौशन दीन-ओ-दुनिया बाँटा तू ने नूर का बाड़ा, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम तू चाहे वो जो रब चाहे, रब चाहे वो जो तू चाहे चाहा तेरा रब का चाहा, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम जितने सलातीं पहले आए, सिक्के उन के हो गए खोटे जारी रहेगा सिक्का तेरा, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम तेरे घर का बच्चा बच्चा सारा घराना, सय्यिद-ए-वाला ! नूरी मूरत नूर का पुतला, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम मैं हूँ बेबस तू ही बस है, मैं हूँ बेकस तू ही कस है कस ले कमर और बहर-ए-मदद आ, सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम हाल हमारा जैसा ज़बूँ है और वो कैसा और वो क्यूँ है सब है तुम पर रौशन, शाहा ! सल्लल्लाहु 'अलैका व सल्लम अंत-अल-क़ासिम रब्बुका मु'अती, तुम ही न...

नबी ने दर पे बुलाया बहुत सुकून में हूँ / Nabi Ne Dar Pe Bulaya Bahut Sukoon Mein Hoon

मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! चमक रहे हैं सितारे, 'उरूज पर क़िस्मत नज़र के सामने उन का दयार जो आया नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मेरा नसीब जगाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने का सफ़र है और मैं नम-दीदा नम-दीदा जबीं अफ़सुर्दा अफ़सुर्दा, क़दम लग़्ज़ीदा लग़्ज़ीदा चला हूँ एक मुजरिम की तरह मैं जानिब-ए-तयबा नज़र शर्मिंदा शर्मिंदा, बदन लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा उदासियों में गुज़रती थी ज़िंदगी पहले उदासियों को मिटाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने आने से पहले तो बे-क़रारी थी मदीने आया तो पाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ किसी ने पूछा कि किस हाल में हो ? कैसे हो ? तो हाल दिल ने सुनाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ जुनैद-ए-क़ासमी ! देखा जो रौज़ा-ए-अनवर क़रार रूह को आया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! शायर: जुनैद क़ासमी ना'त-ख़्वाँ: राओ अली हसनैन madina madina ! madina madina ! chamak rahe hai.n sitaare, 'urooj par...

रौनक़-ए-ज़िंदगी आप हैं आप हैं / Raunaq-e-Zindagi Aap Hain Aap Hain

रौनक़-ए-ज़िंदगी आप हैं आप हैं मेरी सारी ख़ुशी आप हैं आप हैं कौन होगा इमाम-ए-सफ़-ए-अंबिया बोले सारे नबी आप हैं आप हैं आस मेरी सर-ए-हश्र और क़ब्र में पहली और आख़िरी आप हैं आप हैं मेरे दामन में ज़हरा की ख़ैरात है क्यूँ हो मुझ को कमी, आप हैं आप हैं शाह-ए-ख़ैबर-शिकन शामिल-ए-पंजतन या 'अली या 'अली ! आप हैं आप हैं सारी दुनिया में अल्ताफ़ को आबरू जिन के सदक़े मिली, आप हैं आप हैं शायर: सय्यिद अल्ताफ़शाह काज़मी ना'त-ख़्वाँ: मीलाद रज़ा क़ादरी raunaq-e-zindagi aap hai.n aap hai.n meri saari KHushi aap hai.n aap hai.n kaun hoga imaam-e-saf-e-ambiya bole saare nabi aap hai.n aap hai.n aas meri sar-e-hashr aur qabr me.n pehli aur aaKHiri aap hai.n aap hai.n mere daaman me.n zahra ki KHairaat hai kyu.n ho mujh ko kami, aap hai.n aap hai.n shaah-e-KHaibar-shikan shaamil-e-panjtan ya 'ali ya 'ali ! aap hai.n aap hai.n saari duniya me.n Altaf ko aabroo jin ke sadqe mili, aap hai.n aap hai.n Poet: Syed Altaf Shah Kazmi Naat-Khwaan: Milad Raza Qadri Ro...

काश वो चेहरा मेरी आँख ने देखा होता / Kash Wo Chehra Meri Aankh Ne Dekha Hota

काश ! वो चेहरा मेरी आँख ने देखा होता मुझ को तक़दीर ने उस दौर में लिक्खा होता बातें सुनता मैं कभी, पूछता मा'नी उन के आप के सामने असहाब में बैठा होता आयतें अब्र हैं और दश्त ज़माने सारे हम कहाँ जाते अगर प्यास ने घेरा होता हर सियाह रात में सूरज हैं हदीसें उन की वो न आते तो ज़माने में अँधेरा होता फ़ख़री ! जब मस्जिद-ए-नबवी में अज़ानें होतीं मैं मदीने से गुज़रता हुआ झोंका होता शायर: ज़ाहिद फ़ख़री ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद मंज़ूर-उल-कौनैन सय्यिद ज़बीब मसूद kaash ! wo chehra meri aankh ne dekha hota mujh ko taqdeer ne us daur me.n likkha hota baate.n sunta mai.n kabhi, poochhta maa'ni un ke aap ke saamne as.haab me.n baiTha hota aayate.n abr hai.n aur dasht zamaane saare ham kahaa.n jaate agar pyaas ne ghera hota har siyaah raat me.n sooraj hai.n hadeese.n un ki wo na aate to zamaane me.n andhera hota FaKHri ! jab masjid-e-nabawi me.n azaane.n hoti.n mai.n madine se guzarta huaa jhonka hota Poet: Zahid Fakhri Naat-Khwaan: Syed Manzur ul Konain Syed Zabee...

हर दिल में जो रहते हैं वो मेरे मुहम्मद हैं / Har Dil Mein Jo Rehte Hain Wo Mere Muhammad Hain

हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं जो रब को भी प्यारे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं महबूब ख़ुदा के हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं ये शान है बचपन की, उँगली के इशारे से जो चाँद हिलाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं सीरत है बड़ी प्यारी, अख़्लाक़ भी आ'ला है दुश्मन भी जो माने हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं क़ुर्बान समा'अत पर जो जानवरों की भी बोली को समझते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं मे'राज-ए-नबी ऐसी, अल्लाह को देख आए ए'ज़ाज़ ये रखते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं कुफ़्फ़ार भी हैराँ हैं कि पेड़ खजूरों का बिन बीज उगाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं घबराओ न, दीवानो ! जो दिल में है वो माँगो हर बात जो सुनते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं परवान ! किताबों में ग़ैरों ने भी लिक्खा है दुनिया में जो सच्चे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं शायर: मुहम्मद शफ़ीक़ अल्लाह यार परवान ना'त-ख़्वाँ: हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी मुहम्मद हस्सान रज़ा क़ादरी जवेरिआ सलीम har dil me.n jo rehte hai.n, wo mere muhammad hai.n jo rab ko bhi pyaare hai.n, wo mere muhammad hai.n har dil ...

की की न कीता यार ने इक यार वास्ते / Ki Ki Na Kita Yaar Ne Ik Yaar Waste

की की न कीता यार ने इक यार वास्ते रब महफ़िलाँ सजाइयाँ ने सरकार वास्ते दिल याद लई बनाया ए, ता'रीफ़ लई ज़ुबाँ अखियाँ बनाइयाँ सोहणे दे दीदार वास्ते कइयाँ नूँ रोज़ होंदे नें दीदार आप दे कई कई तरस दे रहंदे नें दीदार वास्ते सदक़ा नबी दी आल दा बख़्शे ख़ुदा शिफ़ा मँगो दु'आवाँ मेरे जए बीमार वास्ते गुज़रे, नियाज़ी ! ज़िंदगी 'इश्क़-ए-नबी दे विच ना'ताँ मैं पढ़ दा रहवाँ मिठन मँठार वास्ते शायर: मौलाना अब्दुल सत्तार नियाज़ी ना'त-ख़्वाँ: अल-हाज ख़ुर्शीद अहमद ओवैस रज़ा क़ादरी सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी ki ki na keeta yaar ne ik yaar waaste rab mehfilaa.n sajaaiyaa.n ne sarkaar waaste dil yaad lai banaya ae, taa'reef lai zubaa.n aakhiyaa.n banaaiyaa.n sohne de deedaar waaste kaiyaa.n nu.n roz honde ne.n deedaar aap de kai kai taras de rehnde ne.n deedaar waaste sadqa nabi di aal da baKHshe KHuda shifa mango du'aawaa.n mere jae beemaar waaste guzre, Niyazi ! zindagi 'ishq-e-nabi de wich naa'taa.n mai.n pa.Dh da rahwaa.n miThan manThaar waaste ...

सर अपना कटा देंगे तेरे नाम की ख़ातिर | इस्लाम की ख़ातिर / Sar Apna Kata Denge Tere Naam Ki Khatir | Islam Ki Khatir

इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर बंदे हैं, मुसलमान हैं, ईमान है तुझ पर ये माल है क्या, जान भी क़ुर्बान है तुझ पर बस अपना तवक्कुल, ऐ निगहबान ! है तुझ पर सर अपना कटा देंगे तेरे नाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर जो कुछ था उठा लाए हैं, घर कुछ नहीं छोड़ा कंबल है बदन पर जिसे काँटों से है जोड़ा सिद्दीक़ ने बातिल का ग़ुरूर इस तरह तोड़ा सब दे दिया मज़हब के लिए काम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर ज़ेहनों से बड़े छोटे का हर फ़र्क़ मिटाया पैदल चले, ख़ादिम को सवारी पे बिठाया जागे हैं 'उमर, चैन से सोई है रि'आया अल्लाह जो देगा उसी इन'आम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर वो ज़ुल्म तड़प उठता है दिल सुन के हिकायत मज़लूम-ए-मदीना पे जो टूटी थी क़यामत रोज़े में हुई हज़रत-ए-'उस्माँ की शहादत क़ुरआन की आयात के पैग़ाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इक वार में मरहब को ठिकाने से लगाया ख़...

झुकी हुई है जबीन-ए-दिल भी लबों पे आक़ा का नाम आया / Jhuki Hui Hai Jabeen-e-Dil Bhi Labon Pe Aaqa Ka Naam Aaya

झुकी हुई है जबीन-ए-दिल भी लबों पे आक़ा का नाम आया क़लम भी लगता है सर-ब-सज्दा अदब का ऐसा मक़ाम आया हुज़ूर-ए-वाला की ज़ात पर जब सलाम भेजा तो फिर न पूछो ख़ुदा की जानिब से मेरी जानिब ख़ुदा के घर से सलाम आया हुआ ये महसूस जाम-ए-कौसर छलक रहा है मेरी नज़र में जो मेरे आक़ा के ज़िक्र-ए-अनवर का मेरे होंटों पे जाम आया वहीं वहीं पर परों को अपने बिछा दिया है मलाइका ने जहाँ जहाँ भी रसूल-ए-अरबी ख़ुदा का देने पयाम आया मे'राज की शब रसूलों नबियों ने देखा जब तो पुकार उट्ठे उठो और उठ कर सफ़ें बनाओ है आज हमारा इमाम आया नबी के दीं पे लुटा के सब कुछ हुसैन इब्न-ए-'अली थे बोले हमीं वो हैं जिन के हिस्से में बस शहादतों का है जाम आया आ'माल तो न थे मेरे अच्छे ब-रोज़-ए-महशर हुई है बख़्शिश क़बर हशर में है सय्यिदा का अदब ही बस मेरे काम आया शहाब ! दिल की ये आरज़ू है रसूल-ए-अकरम के दर पे जा के सदा लगाऊँ नवाज़ दीजे, हुज़ूर ! दर पर ग़ुलाम आया शायर: मुहम्मद शहाबुद्दीन सैफ़ी ना'त-ख़्वाँ: उमेर मुनीर क़ादरी jhuki hui hai jabeen-e-dil bhi labo.n pe aaqa ka naam aaya qalam bhi lagta hai sar-ba-sajda...

मैं जा रहा हूँ दर-ए-नबी पर दुरूद ले कर सलाम ले कर / Main Ja Raha Hun Dar-e-Nabi Par Durood Le Kar Salam Le Kar

मैं जा रहा हूँ दर-ए-नबी पर, दुरूद ले कर, सलाम ले कर तलाश-ए-हक़ में निकल पड़ा हूँ, ख़ुदा-ए-बरतर का नाम ले कर निगाहें पुर-नम हैं, दिल हज़ीं है, नज़ारे पल पल मचल रहे हैं रवाँ-दवाँ हूँ हरम की जानिब मैं दर्द-ए-दिल का दवाम ले कर कोई न पूछे कि मैं कहाँ हूँ, मैं कौन था और अब मैं क्या हूँ मैं बारगाह-ए-ख़ुदा में निकला हूँ दिल बनाने का काम ले कर झुकी झुकी हैं मेरी निगाहें, तलब की दिल में उठी हैं आहें दयार-ए-हक़ में पहुँच रहा हूँ शिकस्ता दिल का निज़ाम ले कर दु'आएँ करना हमारे हक़ में, मैं आप के हक़ में हूँ दु'आ-गो सुनाने निकला हूँ दिल के दुखड़े ग़म-ए-ख़वास-ओ-'अवाम ले कर ग़िलाफ़-ए-का'बा पकड़ पकड़ कर, फ़ुग़ाँ करूँगा मैं चीख़ चीख़ कर कहूँगा, या रब ! है बंदा हाज़िर उम्मीद-ए-रहमत का दाम ले कर नहीं है नेकी की कुछ भी पूँजी, तलाश-ए-जन्नत में आ पड़ा हूँ गुनाहगारी की सुब्ह ले कर, गुनाहगारी की शाम ले कर मदीना जा कर मैं क्या कहूँगा, बहाना रौज़ा पे क्या करूँगा कमाल-ए-दा'वा-ए-'इश्क़ ले कर, दलील बस ना-तमाम ले कर हफ़ीज़ ! देखो सँभल के जाना, दयार-ए-तयबा में जा रहे हो नबी से कहना मैं आ रहा हूँ दुखी द...

तौबा का दरवाज़ा खुला है तौबा अस्तग़फ़ार करो / Tauba Ka Darwaza Khula Hai Tauba Astaghfar Karo

तौबा का दरवाज़ा खुला है, तौबा अस्तग़फ़ार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो अल्लाह त'आला फ़रमाता है, मैं ही बख़्शने वाला हूँ तौबा करने वाला बन जा, माफ़ मैं करने वाला हूँ मेरे बंदो ! सिद्क़-ए-दिल से तौबा तो कर के देखो अपनी रहमत काएनात पे मैं बरसाने वाला हूँ नेकी के रस्तों पर आओ, तक़्वा इख़्तियार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो अच्छाई का रस्ता हम को जन्नत तक ले जाता है और शैतान उन्हीं रस्तों पे मुँह तकता रह जाता है वो इंसान जो ख़ुद शैतान के हर्बों को नाकाम करे वो ही तो दरअस्ल ज़माने में मोमिन कहलाता है बुराई के गंदे रस्तों पर चलने से इंकार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो शायर: बाबू फ़राज़ नशीद-ख़्वाँ: नवल ख़ान tauba ka darwaaza khula hai, tauba astaGfaar karo gunah se nafrat karo hamesha aur neki se pyaar karo allah ta'aala farmaata hai, mai.n hi baKHshne waala hu.n tauba karne waala ban ja, maaf mai.n karne waala hu.n mere bando ! sidq-e-dil se tauba to kar ke deko apni rahmat kaaenaat pe mai.n barsaane w...

दिल तड़पने लगा आँख रोने लगी | मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई / Dil Tadapne Laga Aankh Rone Lagi | Mustafa Jaan-e-Rehmat Ki Yaad Aa Gai

दिल तड़पने लगा, आँख रोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई जब घटा छाई बरसात होने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई उलझनों ने ज़माने की उलझा दिया मेरे अपनों ने भी मुझ को ठुकरा दिया दुनिया ता'नों के नश्तर चुभोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई कौन हमदर्द है मेरा, जाऊँ कहाँ सोचता था सुनाऊँ किसे दास्ताँ ज़िंदगी ग़म के मोती पिरोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई फ़िक्र का सारा पानी उतरने लगा ग़म के दरियाओं से मैं उभरने लगा कश्ती-ए-ज़िंदगी जब डुबोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई ये मोहब्बत है, इस में तड़पना भी है देर है पर मदीने को जाना भी है थक के जब मुफ़्लिसी रो के सोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई ऐ स'ईद ! 'इश्क़ में ये मक़ाम आ गया मेरे होंटों पे तयबा का नाम आ गया याद तयबा की पलकें भिगोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई शायर: सईद अख़्तर जोखनपुरी ना'त-ख़्वाँ: सईद अख़्तर जोखनपुरी dil ta.Dapne laga aankh rone lagi mustafa jaan-e-rahmat ki yaad aa gai jab ghaTa chhaai barsaat hone lagi mustafa jaan-e-rahmat ki yaad aa ...