बे-नवाओं की नवा सुनता है इल्तिजा सब की ख़ुदा सुनता है हम कि बंदे हैं सना करते हैं वो कि ख़ालिक़ है सदा सुनता है मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! लेकिन तेरी रहमत का तलबगार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! वाबस्ता है उम्मीद मेरी तेरे करम से तेरा हूँ, फ़क़त तेरा परस्तार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! इक तेरा इशारा हो और आसान हो मुश्किल इक लहर उठे और मैं उस पार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! इक तेरा इशारा हो और आसान हो मंज़िल इक लहर उठे और मैं उस पार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! जिन से मैं गुज़र जाऊँ, वो दर खोल दे मुझ में ख़ुद अपने ही रस्ते की मैं दीवार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! बाहर के उजाले मुझे क्या राह सुझाएँ ! अंदर के अँधेरों में गिरफ़्तार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! फिर तू मेरे ईमाँ को तवानाई 'अता कर बरसों नहीं सदियों से मैं बीमार हूँ, मौला ! मैं बंदा-ए-'आसी हूँ, ख़ता-कार हूँ, मौला ! ना&
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