मुस्तफ़ा के पाले हैं हम बरेली वाले हैं / Mustafa Ke Pale Hain Hum Bareilly Wale Hain
मुस्तफ़ा के पाले हैं, हम बरेली वाले हैं दिल से भोले-भाले हैं, हम बरेली वाले हैं दम रज़ा का भरते हैं, हम बरेली वाले हैं ख़्वाजा ख़्वाजा करते हैं, हम बरेली वाले हैं ना'त-ए-मुस्तफ़ा पढ़ के, ज़िक्र-ए-औलिया कर के छठी हम मनाते हैं, हम बरेली वाले हैं मस्लक-ए-मु'ईनुद्दीं ही रज़ा का मस्लक है सब को ये बताते हैं, हम बरेली वाले हैं सुन्नियत के जितने भी दहर में सलासिल हैं उन सभी के ना'रे हैं, हम बरेली वाले हैं मस्लक-ए-रज़ा से हर बातिल क़ौम चिड़ती है हक़ पर हैं जो कहते हैं, हम बरेली वाले हैं डगमगा नहीं सकते मिस्ल-ए-सुल्ह-ए-कुल्ली हम मुस्तहकम 'अक़ीदे हैं, हम बरेली वाले हैं सिद्दीक़-ओ-'उमर, 'उस्माँ, मुर्तज़ा भी हैं अपने हर-सू बोल-बाले हैं, हम बरेली वाले हैं ख़ादिम-ए-सहाबा हैं, हम गदा-ए-अहल-ए-बैत ए'तिदाल वाले हैं, हम बरेली वाले हैं ग़ौस के हैं शैदाई, अशरफ़ के हैं मतवाले ख़्वाजा के दिवाने हैं, हम बरेली वाले हैं दा'वा-ए-हुब्ब-ए-ख़्वाजा, राफ़िज़ी का झूटा है ख़्वाजा बस हमारे हैं, हम बरेली वाले हैं हामिद-ओ-रज़ा, नूरी से जुड़ा है दिल का तार इन से दिल के रिश्ते हैं, हम बरेली वाल...
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