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या नबी सब करम है तुम्हारा ये जो वारे नियारे हुए हैं / Ya Nabi Sab Karam Hai Tumhara Ye Jo Ware Niyare Hue Hain

या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं अब कमी का तसव्वुर भी कैसा, जब से मँगते तुम्हारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं कोई मुँह न लगाता था हम को, पास तक न बिठाता था हम को जब से थामा है दामन तुम्हारा, दुनिया वाले हमारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं उन के दरबार से जब भी मैं ने, पंजतन के वसीले से माँगा मुझ को ख़ैरात फ़ौरन मिली है, ख़ूब मेरे गुज़ारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं दूर होने को है अब ये दूरी, उन की चौखट पे होगी हुज़ूरी ख़्वाब में मुझ को आक़ा के दर से हाज़री के इशारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं देख कर उन के रौज़े के जल्वे, मुझ को महसूस ये हो रहा था जैसे मंज़र ये सारे के सारे आसमाँ से उतारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं हश्र के रोज़ जब मेरे आक़ा उम्मती की शफ़ा'अत करेंगे रब कहेगा, उन्हें मैं ने बख़्शा जो दिवाने तुम्हारे हुए हैं या नबी ! सब करम है तुम्हारा, ये जो वारे नियारे हुए हैं ख़्वाजा अजमे...

ये किस शहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है | बोलो मरहबा / Ye Kis Shahenshah-e-Wala Ki Aamad Aamad Hai | Bolo Marhaba

ये किस शहंशाह-ए-वाला की आमद आमद है ये कौन से शह-ए-बाला की आमद आमद है ये आज काहे की शादी है, 'अर्श क्यूँ झूमा लब-ए-ज़मीं को लब-ए-आसमाँ ने क्यूँ चूमा रुसुल उन्हीं का तो मुज़्दा सुनाने आए हैं उन्हीं के आने की ख़ुशियाँ मनाने आए हैं फ़रिश्ते आज जो धूमें मचाने आए हैं उन्हीं के आने की शादी रचाने आए हैं चमक से अपनी जहाँ जगमगाने आए हैं महक से अपनी ये कूचे बसाने आए हैं ये सीधा रास्ता हक़ का बताने आए हैं ये हक़ के बंदों को हक़ से मिलाने आए हैं जो गिर रहे थे उन्हें नाइबो ने थाम लिया जो गिर चुके हैं ये उन को उठाने आए हैं रऊफ़ ऐसे हैं और ये रहीम हैं इतने कि गिरते पड़तों को सीने लगाने आए हैं यही तो सोते हुओं को जगाने आए हैं यही तो रोते हुओं को हँसाने आए हैं इन्हें ख़ुदा ने किया अपने मुल्क का मालिक इन्हीं के क़ब्ज़े में रब के ख़ज़ाने आए हैं जो चाहेंगे, जिसे चाहेंगे ये उसे देंगे करीम हैं ये ख़ज़ाने लुटाने आए हैं सभी रुसुल ने कहा, इज़्हबू इला ग़ैरी अना लहा का ये मुज़्दा सुनाने आए हैं 'अजब करम है कि ख़ुद मुजरिमों के हामी हैं गुनहगारों की ये बख़्शिश कराने आए हैं ये आज तारे ज़मीं की तरफ़ हैं क...

या नबी मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम | तुझ को भेजा गया है करम के लिए / Ya Nabi Mujh Pe Bhi Ik Nigah-e-Karam | Tujh Ko Bheja Gaya Hai Karam Ke Liye

करम की भीक दर-ए-मुस्तफ़ा से माँगते हैं हम अपनी हाजतें हाजत-रवा से माँगते हैं उन्हें ख़बर है कि हम लोग मुश्किलों से नजात वसीला उन को बना कर ख़ुदा से माँगते हैं या नबी ! मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम तुझ को भेजा गया है करम के लिए सरवर-ए-अंबिया ताजदार-ए-हरम ! तुझ को भेजा गया है करम के लिए या नबी ! मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम तुझ को भेजा गया है करम के लिए रश्क-ए-फ़िरदौस बन जाए दुनिया मेरी एक लुत्फ़-ए-नज़र मुझ पे भी, या नबी ! पास आए ख़ुशी, दूर हो जाए ग़म तुझ को भेजा गया है करम के लिए या नबी ! मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम तुझ को भेजा गया है करम के लिए वज्ह-ए-रहमत तेरी ज़ात पुर-नूर है सारी मख़्लूक़ में बात मशहूर है क्या फ़लक, क्या ज़मीं, क्या 'अरब, क्या 'अजम तुझ को भेजा गया है करम के लिए या नबी ! मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम तुझ को भेजा गया है करम के लिए दो जहानों का मालिक बनाया तुझे हर तरह से नवाज़ा है अल्लाह ने तू ही आ'ला-ओ-अर्फ़ा' तुही मुहतरम तुझ को भेजा गया है करम के लिए या नबी ! मुझ पे भी इक निगाह-ए-करम तुझ को भेजा गया है करम के लिए शायर: ज़ीशान मेहदी ना'त-ख़्वाँ: ख़्व...

या हुसैन इक करम की नज़र चाहिए / Ya Hussain Ek Karam Ki Nazar Chahiye

या हुसैन ! इक करम की नज़र चाहिए हम भी कर्बल की जानिब निकल जाएँगे आप की गर निगाह-ए-तवज्जोह पड़ी हम ग़ुलामों के दिन भी बदल जाएँगे गुलशन-ए-फ़ातिमा की है निकहत मिली आप को, या हुसैन ! ऐसी शौकत मिली खोटे सिक्के भी बाज़ार-ए-कौनैन में आप का नाम लेने से चल जाएँगे किस-क़दर आप की है ज़माने में धूम कह रहा है यही 'आशिक़ों का हुजूम आप के रौज़ा-ए-पाक पर, या हुसैन ! पाँव क्या चीज़ हैं सर के बल जाएँगे दर्द-ए-दिल को दवा-ए-ज़रूरी मिले अब तो कर्बल की इज़्न-ए-हुज़ूरी मिले तेरे परवाने अब, ऐ इमाम-ए-हुसैन ! आतिश-ए-हिज्र में वर्ना जल जाएँगे क्या कहूँ किस-क़दर ग़म का मारा हूँ मैं गर्दिश-ए-दहर से पारा पारा हूँ मैं आप अपने लबों को हिला दें अगर सारे रंज-ओ-अलम मेरे टल जाएँगे ज़िक्र-ए-असहाब जब भी किया जाएगा सुन्नियों के कलेजे को चैन आएगा छेड़ कर तज़्किरा अहल-ए-बैत का हम फिर मसर्रत के साँचे में ढल जाएँगे महव-ए-तूफ़ान, अय्यूब ! मुस्काइए रंज-ओ-कुल्फ़त से ऐसे न घबराइए आप पर जब वो डालेंगे नज़र-ए-करम आप के रोज़-ओ-शब भी बदल जाएँगे शायर: अय्यूब रज़ा अमजदी ना'त-ख़्वाँ: साबिर रज़ा अज़हरी सुरत ya ...

या नबी नुस्ख़ा-ए-तस्ख़ीर को मैं जान गया / Ya Nabi Nuskha-e-Taskheer Ko Main Jaan Gaya

या नबी ! नुस्ख़ा-ए-तस्ख़ीर को मैं जान गया उस को सब मान गए, आप को जो मान गया हर मकाँ वाले को करता हुआ हैरान गया ला-मकाँ में मेरा पैग़ंबर-ए-ज़ीशान गया डूबते डूबते जब उन की तरफ़ ध्यान गया ले के साहिल की तरफ़ ख़ुद मुझे तूफ़ान गया हर बुलंदी मुझे पस्ती की तरह आई नज़र जब मेरा गुंबद-ए-ख़ज़रा की तरफ़ ध्यान गया ग़ैब का जानने वाला उन्हें जब मैं ने कहा बात ईमान की थी कुफ़्र बुरा मान गया 'इश्क़-ए-सरकार-ए-दो-'आलम के सिवा कुछ भी नहीं ज़िंदगी ! तेरी हक़ीक़त को मैं पहचान गया बस इरादे ही से मौजों का हुआ काम तमाम या नबी कहना ही चाहा था कि तूफ़ान गया शुक्र सद-शुक्र कि मौत आई दर-ए-अहमद पर अब मदीने से कहीं जाने का इमकान गया जैसे बरसों की मुलाक़ात रही हो उन से क़ब्र में देखते ही मैं उन्हें पहचान गया हाथ मलती ही रही देख के दोज़ख़, यारो ! ले के जन्नत में हमें तयबा का सुलतान गया देखो किस शान से कर्बल का वो मेहमान गया नेज़े की नोक पे पढ़ता हुआ क़ुरआन गया ना'त-गोई का मैं ममनून-ए-करम हूँ, ए'जाज़ ! ख़ुल्द में ले के मुझे ना'तिया-दीवान गया शायर: मौलाना स'ईद ए'जाज़ कामटवी ना'त-ख़्वाँ: अ...

या रसूलल्लाह या हबीबल्लाह इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना / Ya Rasoolallah Ya Habiballah Ek Nazar-e-Karam Farma Jana

या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना दिन रात तड़पता हूँ लिल्लाह दीदार का जाम पिला जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना तेरे हिज्र में दिल भी जलता है आँखों से ख़ून उबलता है कहीं डूब न जाऊँ तूफ़ाँ में बेकस को पार लगा जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना जीना भी सज़ा है बिन तेरे मरना भी सज़ा है बिन तेरे दुनिया के ग़मों से, मेरे नबी ! बिस्मिल की जान छुड़ा जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना जिस वक़्त नज़ा' का 'आलम हो तक़दीर का चेहरा बरहम हो उस वक़्त अपने दीवाने को अपना दीदार करा जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना मेरी हर कोशिश नाकाम हुई राह तकते 'उम्र तमाम हुई जब मर जाऊँ तो तुर्बत में इक अपनी झलक दिखला जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना ऐ मेरे यारो ग़म-ख़्वारो ! इक मेरी नसीहत लिख लेना मुझे जब दफ़ना के जाने लगो सरकार की ना'त सुना जाना या रसूलल्लाह ! या हबीबल्लाह ! इक नज़र-ए-करम फ़रमा जाना तेरी ना'त कहाँ, मेरी बात कहाँ लाचार श...

या सय्यदी हबीबी ख़ैर-उल-अनाम आक़ा | अपने सलामियों का ले लो सलाम आक़ा / Ya Sayyadi Habibi Khairul Anam Aaqa | Apne Salamiyon Ka Le Lo Salam Aaqa

या सय्यदी हबीबी ख़ैर-उल-अनाम आक़ा ! अपने सलामियों का ले लो सलाम, आक़ा ! आए हैं हाथ ख़ाली, भर दो हुज़ूर-ए-'आली ! माँगे है आज तुम से मँगतों की ख़स्ता-हाली रहमत की सुब्ह आक़ा ! रहमत की शाम आक़ा ! या सय्यदी हबीबी ख़ैर-उल-अनाम आक़ा ! अपने सलामियों का ले लो सलाम, आक़ा ! तुम से ज़ियादा प्यारी जाँ भी नहीं हमारी दोनों जहाँ मिले हैं दहलीज़ पर तुम्हारी आक़ाइयाँ हुई हैं तुम पर तमाम, आक़ा ! या सय्यदी हबीबी ख़ैर-उल-अनाम आक़ा ! अपने सलामियों का ले लो सलाम, आक़ा ! एहसास में जड़े हैं, मुजरिम बने खड़े हैं शर्मिंदा भी बहुत हैं, मुश्ताक़ भी बड़े हैं हम को मु'आफ़ कर दो, हम हैं ग़ुलाम, आक़ा ! या सय्यदी हबीबी ख़ैर-उल-अनाम आक़ा ! अपने सलामियों का ले लो सलाम, आक़ा ! नशीद-ख़्वाँ: अज़ीज़ नाज़ाँ ya sayyadi habeebi KHair-ul-anaam aaqa ! apne salaamiyo.n ka le lo salaam, aaqa ! aae hai.n haath KHaali, bhar do huzoor-e-'aali ! maange hai aaj tum se mangto.n ki KHasta-haali rahmat ki sub.h aaqa ! rahmat ki shaam aaqa ! ya sayyadi habeebi KHair-ul-anaam aaqa ! apne salaamiyo.n ka le lo salaam, aaq...

या रब बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में / Ya Rab Bitha De Gumbad-e-Khazra Ki Chhaon Mein

या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में मसनद ये माँगता हूँ हमेशा दु'आओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में इक हाज़िरी से बढ़ गया है शौक़-ए-हाज़िरी मैं बार बार पहुँचूँ हरम की फ़ज़ाओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में आओ चलें हुज़ूर का दरबार देखने ख़ुश्बू बसी हुई है जहाँ की हवाओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में शाहों को आरज़ू है जहाँ पर गदाई की मुझ को शुमार कर ले वहाँ के गदाओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में तयबा मुझे दिखा दे, मेरा दिल उदास है है कैफ़-ओ-इंबिसात उसी दर की छाओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में मंज़िल मेरी मदीना है, रोको न राह में पड़ने दो आबले से उजागर के पाओं में या रब ! बिठा दे गुंबद-ए-ख़ज़रा की छाओं में शायर: अल्लामा निसार अली उजागर ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी नवल ख़ान ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी ya rab biTha de gumbad-e-KHazra ki chhaao.n me.n masnad ye maangta hu.n hamesha du'aao.n me.n ya rab biTha de gumbad-e-KHazra ki chhaao.n me.n ik haaziri se ba.Dh gaya hai shauq-e-haazir...

या इलाही हर जगह तेरी अता का साथ हो / Ya Ilahi Har Jagah Teri Ata Ka Saath Ho

या इलाही ! हर जगह तेरी 'अता का साथ हो जब पड़े मुश्किल, शह-ए-मुश्किल-कुशा का साथ हो या इलाही ! भूल जाऊँ नज़'अ की तकलीफ़ को शादी-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-मुस्तफ़ा का साथ हो या इलाही ! गोर-ए-तीरा की जब आए सख़्त रात उन के प्यारे मुँह की सुब्ह-ए-जाँ-फ़िज़ा का साथ हो या इलाही ! जब पड़े महशर में शोर-ए-दार-ओ-गीर अम्न देने वाले प्यारे पेशवा का साथ हो या इलाही ! जब ज़बानें बाहर आएँ प्यास से साहिब-ए-कौसर शह-ए-जूद-ओ-'अता का साथ हो या इलाही ! सर्द-मेहरी पर हो जब ख़ुर्शीद-ए-हश्र सय्यिद-ए-बे-साया के ज़िल्ल-ए-लिवा का साथ हो या इलाही ! गर्मी-ए-महशर से जब भड़कें बदन दामन-ए-महबूब की ठंडी हवा का साथ हो या इलाही ! नामा-ए-आ'माल जब खुलने लगें 'ऐब-पोश-ए-ख़ल्क़ सत्तार-ए-ख़ता का साथ हो या इलाही ! जब बहें आँखें हिसाब-ए-जुर्म में उन तबस्सुम-रेज़ होंटों की दु'आ का साथ हो या इलाही ! जब हिसाब-ए-ख़ंदा-ए-बे-जा रुलाए चश्म-ए-गिर्यान-ए-शफ़ी'-ए-मुर्तजा का साथ हो या इलाही ! रंग लाएँ जब मेरी बे-बाकियाँ उन की नीची नीची नज़रों की हया का साथ हो या इलाही ! जब चलूँ तारीक-राह-ए-पुल-सिरात आफ़्ताब-ए-हाशिम...

ये नाज़ ये अंदाज़ हमारे नहीं होते / Ye Naaz Ye Andaz Hamare Nahin Hote

ये नाज़ ये अंदाज़ हमारे नहीं होते झोली में अगर टुकड़े तुम्हारे नहीं होते जब तक कि मदीने से इशारे नहीं होते रौशन कभी क़िस्मत के सितारे नहीं होते दामान-ए-शफ़ा'अत में हमें कौन छुपाता सरकार ! अगर आप हमारे नहीं होते मिलती न अगर भीक, हुज़ूर ! आप के दर से इस ठाट से मँगतों के गुज़ारे नहीं होते बे-दाम ही बिक जाइए बाज़ार-ए-नबी में इस शान के सौदे में ख़सारे नहीं होते ये निस्बत-ए-सरकार का ए'जाज़ है वर्ना तूफ़ाँ से नुमूदार किनारे नहीं होते हम जैसे निकम्मों को गले कौन लगाता सरकार ! अगर आप हमारे नहीं होते वो चाहें बुला लें जिसे ये उन का करम है बे-इज़्न मदीने के नज़ारे नहीं होते ख़ालिद ! ये तसद्दुक़ है फ़क़त ना'त का वर्ना महशर में तेरे वारे नियारे नहीं होते शायर: ख़ालिद महमूद नक़्शबंदी ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी ज़ोहैब अशरफ़ी ye naaz ye andaaz hamaare nahi.n hote jholi me.n agar Tuk.De tumhaare nahi.n hote jab tak ki madine se ishaare nahi.n hote raushan kabhi qismat ke sitaare nahi.n hote daamaan-e-shafaa'at me.n hame.n kaun chhupaata sarkaar ! agar aap hama...

आस्ताँ है कितना प्यारा फ़ाइल-उल-ख़ैरात का | या फ़ाइल-अल-ख़ैरात अमीर-ए-हम्ज़ा / Aastan Hai Kitna Pyara Faailul Khairat Ka | Ya Faailul Khairat Ameer-e-Hamza

आस्ताँ है कितना प्यारा फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का कह रहा है हर दीवाना फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! नूर से धुल जाए बंदा फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का ऐसा नूरी आस्ताना फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का या फ़ा'इल-अल-ख़ैरात ! या काशिफ़-अल-कमाल ! या फ़ा'इल-अल-ख़ैरात ! या काशिफ़-अल-कमाल ! क्या समाँ है 'उर्स आया फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का झूमता है हर दीवाना फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! उस रसूल-ए-पाक की प्यारी ज़ुबान-ए-पाक से आप ने पाया है तमग़ा फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का या फ़ा'इल-अल-ख़ैरात ! या काशिफ़-अल-कमाल ! या फ़ा'इल-अल-ख़ैरात ! या काशिफ़-अल-कमाल ! मिल गई गोया मुझे दोनों जहाँ की ने'मतें झोली में आया जो टुकड़ा फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! अद्रिकनी या हम्ज़ा ! इक तरफ़ जब्ल-ए-उहुद, पहलू में शुहदा-ए-उहुद दरमियाँ है प्यारा रौज़ा फ़ा'इल-उल-ख़ैरात का या फ़ा'इल-अल-ख़ैरात ! या काशिफ़-अल-कमाल ! या फ़ा...

या रसूलल्लाह तेरे चाहने वालों की ख़ैर / Ya Rasoolallah Tere Chahne Walon Ki Khair (All Versions)

या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर सब ग़ुलामों का भला हो, सब करें तयबा की सैर या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्सलातु व-स्सलामु 'अलैका या रसूलल्लाह ! या ख़ुदा ! 'आलम में ऊँचा परचम-ए-इस्लाम हो दुश्मनान-ए-दीं मुसलमानों से हों मग़लूब-ओ-ज़ेर या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्सलातु व-स्सलामु 'अलैका या रसूलल्लाह ! या नबी ! तेरी दुहाई आफ़तों में घिर गया रुख़ बदल दे मुश्किलों का और बलाएँ मुझ से फेर या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्सलातु व-स्सलामु 'अलैका या रसूलल्लाह ! गुंबद-ए-ख़ज़रा को देखे एक 'अर्सा हो गया कब खुलेगी मेरी क़िस्मत, अब लगेगी कितनी देर ! या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्सलातु व-स्सलामु 'अलैका या रसूलल्लाह ! काश ! तयबा में शहादत का 'अता हो जाए जाम जल्वा-ए-महबूब में अंजाम मेरा हो ब-ख़ैर या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्सलातु व-स्सलामु 'अलैका या रसूलल्लाह ! जाम ऐसा अपनी उल्फ़त का पिला दे, साक़िया ! ना'त सुन कर हालत-ए- 'अत्तार हो रो रो के ग़ैर या रसूलल्लाह ! तेरे चाहने वालों की ख़ैर अस्स...