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करम तू कर दे ख़ुदाया शब-ए-बरात आई / Karam Tu Kar De Khudaya Shab-e-Barat Aai

शब-ए-बरात है, तू बख़्श दे, मौला ! शब-ए-निजात है, तू बख़्श दे, मौला ! करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई है जोश पर तेरी रहमत, शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई कि जिन के वालिदा वालिद नहीं हयात रहे न दादा-दादी रहे, न ही नाना-नानी रहे हैं रिश्तेदार मेरे सब को बख़्श दे, मौला ! मेरी दु'आओं में शामिल सभी की बात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई दु'आ में लब हैं हमारे और अश्क हैं जारी हैं ग़फ़लतों पे नज़र, एक ख़ौफ़ है तारी तेरे करम ने उमीदें मेरी बनाई है तू माफ़ कर दे, ख़ुदाया ! करम की रात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई है तेरी शान-ए-करम ही जो रहम करता है तू ही तो झोलियाँ ख़ाली सभी की भरता है शब-ए-बरात के सदक़े तू टाल हर मुश्किल हमारे काम, ख़ुदाया ! तेरी ही ज़ात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई शायर: हनीफ़ सानी ना'त-ख़्वाँ: नवल ख़ान shab-e-baraat hai, tu baKHsh de, maula !...

ख़ुदा-वंदा तेरा बंदा तेरे दरबार हाज़िर है | मैं तौबा कर रहा हूँ / Khudawanda Tera Banda Tere Darbar Hazir Hai | Main Tauba Kar Hun

मौला ! मेरे मौला ! मेरे मौला ! मेरे मौला ! मौला ! मेरे मौला ! मेरे मौला ! मेरे मौला ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! ख़ुदा-वंदा ! तेरा बंदा तेरे दरबार हाज़िर है कि 'आजिज़ और शर्मिंदा है, कुछ कहने से क़ासिर है अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! न नेकी पास है कोई, न हीला साथ लाया हूँ बस इक महबूब तेरे का वसीला साथ लाया हूँ अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! मैं तौबा कर रहा हूँ, बख़्श दे मेरी ख़ताओं को रहे ईमाँ सलामत, हुक्म दे अपनी 'अताओं को अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! नबी की आल के सदक़े में रहमत 'आम हो जाए तेरे बख़्शे हुए बंदों में मेरा नाम हो जाए अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! मैं अपनी ग़फ़लतों का बरमला ए'तिराफ़ करता हूँ तू फ़रमा, मैं स'ईद -ए-बे-नवा को मु'आफ़ करता हूँ अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! अल्लाह ! मौला ! मेरे मौला ...

आज की रात मौला हमें बख़्श दे / Aaj Ki Raat Maula Hamein Bakhsh De

आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे सारे जुर्म-ओ-क़ुसूर-ओ-ख़ता बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे तू ख़ता-पोश है, मैं ख़ता-कार हूँ मुझ को इक़रार है, मैं गुनहगार हूँ तुझ को महबूब का वासिता, बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे आज की रात है तेरे इकराम की तेरे जूद-ओ-'अता, तेरे इन'आम की मानता हूँ कि मैं हूँ बुरा, बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे हाथ बाँधे खड़ा हूँ तेरे सामने मैं सरापा दु'आ हूँ तेरे सामने तू है ग़फ़्फ़ार मेरी ख़ता बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे आज की शब, ख़ुदा ! शब-ए-बरात है रहमतों बरकतों की भी ये रात है तुझ को इस रात का वासिता, बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे ये जो क़ब्रें नज़र आ रही हैं हमें आख़िरत याद करवा रही हैं हमें ख़ौफ़ से है बदन काँपता, बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे अपनी रहमत से तू साहिब-ए-माल कर हम भी मोहताज हैं, मौला ! ख़ुश-हाल कर मेरे सरकार का वासिता, बख़्श दे आज की रात, मौला ! हमें बख़्श दे जो परेशाँ है बच्चों से, तू नेक कर उन की औलाद को, या ख़ुदा ! एक कर सारी माओं की सुन ले दु'आ, बख़्श दे आज की रात, मौला...

जाता हूँ मैं दुनिया से मुझ को न भुला देना / Jata Hun Main Duniya Se Mujh Ko Na Bhula Dena

जाता हूँ मैं दुनिया से, मुझ को न भुला देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना तुम चाहते हो मुझ को मिल जाए अगर जन्नत क़ुरआन-ए-मुक़द्दस को पढ़ पढ़ के सुना देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना जाना है सभी को तो ये आँसू बहाना क्या माँ-बाप बहन भाई सब को ये बता देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना लो देख लो ये सूरत कुछ देर दिखाएँगे आएँगे न हम वापस, हम को न सदा देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना ईमान है मरक़द में दीदार-ए-नबी होगा पहना के कफ़न मुझ को ख़ुश्बू में बसा देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना ये काम भी कर लेना मय्यत में जो आए हो मिल जुल के, 'अज़ीज़ो ! सब काँधा भी लगा देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना जब क़ब्र में दफ़ना दो, मिट्टी भी चढ़ा दो तुम आज़ान को पढ़ कर फिर शैताँ को भगा देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना जब क़ब्र मुकम्मल हो, कुछ देर वहाँ रुक कर बख़्शिश के लिए अपने हाथों को उठा देना जब याद मेरी आए बख़्शिश की दु'आ करना दुनिया की जो दौलत है रह जाएगी दुनिया में बस साथ 'अमल तेरे जाएँगे बता देना जब याद मेरी आए...

ऐ शफ़ी-ए-उमम तुम पे बेहद सलाम / Aye Shafi-e-Umam Tum Pe Behad Salam

ऐ शफ़ी'-ए-उमम ! तुम पे बेहद सलाम ऐ जमीलुश्शियम ! तुम पे बेहद सलाम जब मदीने के माह-ए-तमाम आ गए हो गया का'बा ख़म, तुम पे बेहद सलाम ला-मकाँ के मकीं आप जब हैं हुए 'अर्श ज़ेर-ए-क़दम, तुम पे बेहद सलाम किस की जानिब चलूँ, किस का मुँह मैं तकूँ तुम हो दाफ़े'-ए-ग़म, तुम पे बेहद सलाम अल-मदद, या नबी ! कहते ही हो गए दूर रंज-ओ-अलम, तुम पे बेहद सलाम लब पे जारी हो कलमा, ज़बाँ पर दुरूद जब भी निकले ये दम, तुम पे बेहद सलाम फिर मदीने में मुझ को बुला लीजिए ऐ मेरे मोहतरम ! तुम पे बेहद सलाम फ़िक्र-ए-उम्मत में लब पर दु'आएँ रही आँख रहती थी नम, तुम पे बेहद सलाम ग़ौस-ओ-ख़्वाजा रज़ा के तुफ़ैल, ऐ करीम ! रख लो मेरा भरम, तुम पे बेहद सलाम लाज अपने ग़ुलामों की रखते हो तुम रखना मेरा भरम, तुम पे बेहद सलाम चाहता है रज़ा शाकिर -ए-ग़म-ज़दा कह दो राज़ी हैं हम, तुम पे बेहद सलाम शायर: मौलाना शाकिर नूरी ना'त-ख़्वाँ: क़ारी रिज़वान ख़ान ai shafi'-e-umam ! tum pe behad salaam ai jameelushshiyam ! tum pe behad salaam jab madine ke maah-e-tamaam aa gae ho gaya kaa'ba KHam...

शहंशाह-ए-आला सलामुन अलैकुम | दो आलम के आक़ा सलामुन अलैकुम / Shahenshah-e-Aala Salamun Alaikum | Do Aalam Ke Aaqa Salamun Alaikum

शहंशाह-ए-आ'ला ! सलामुन 'अलैकुम दो 'आलम के आक़ा ! सलामुन 'अलैकुम तजल्ली-ए-मक्का ! सलामुन 'अलैकुम बहार-ए-मदीना ! सलामुन 'अलैकुम तवल्लुद हुए जिस घड़ी मेरे आक़ा तो का'बा पुकारा, सलामुन 'अलैकुम हर इक गुल की टहनी से आवाज़ आई वो महबूब आया, सलामुन 'अलैकुम शजर से हजर तक यही थीं सदाएँ वो महबूब आया, सलामुन 'अलैकुम पढ़ा संग-रेज़ों ने कलम-ए-शहादत बुतों ने पुकारा, सलामुन 'अलैकुम हुए अंबिया औलिया सब बराती बने आप दूल्हा, सलामुन 'अलैकुम गए 'अर्श पर जिस घड़ी मेरे आक़ा ख़ुदा ख़ुद पुकारा, सलामुन 'अलैकुम ना'त-ख़्वाँ: हाफ़िज़ ताजुद्दीन रज़वी क़ारी मुहम्मद असदुल्लाह सय्यिद मुहम्मद क़ादरी shahenshah-e-aa'la ! salaamun 'alaikum do 'aalam ke aaqa ! salaamun 'alaikum tajalli-e-makka ! salaamun 'alaikum bahaar-e-madina ! salaamun 'alaikum tawallud hue jis gha.Di mere aaqa to kaa'ba pukaara, salaamun 'alaikum har ik gul ki Tehni se aawaaz aai wo mahboob aaya, salaamun 'alaikum shajar se hajar...

तू मुराद-ए-किब्रिया तू कमाल-ए-अंबिया तू इमाम-अल-मुर्सलीं / Tu Murad-e-Kibriya Tu Kamal-e-Ambiya Tu Imam-al-Mursaleen

मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! मुस्तफ़ा ! तू मुराद-ए-किब्रिया, मौला ! तू कमाल-ए-अंबिया, मौला ! तू इमाम-अल-मुर्सलीं तू चुनीदा मुस्तफ़ा ! तू ख़ुदा का लाडला तू हमारा दिल-नशीं तू ही रहबर मुक़्तदा, तू हमारा पेशवा तेरे दर से ही जुड़ा है हर किसी का वासिता तू ही अव्वल आख़िरीं, तू सभी में बेहतरीं तेरी निस्बत से बने हैं आसमाँ और ये ज़मीं तू मुराद-ए-किब्रिया, मौला ! तू कमाल-ए-अंबिया, मौला ! तू इमाम-अल-मुर्सलीं तू चुनीदा मुस्तफ़ा ! तू ख़ुदा का लाडला तू हमारा दिल-नशीं रब से पाए तू ख़िताब, तू सभी में ला-जवाब रब त'आला से मिला तू 'अर्श जा कर बे-हिजाब तेरी रहमत बे-हिसाब, रब का तू है इंतिख़ाब तेरी ता'रीफ़ों से पुर है रब त'आला की किताब है कहीं पर वज़्ज़ुहा, तू ही है बदरुद्दुजा तू ही है नूर-उल-हुदा, ऐ हमारे मुस्तफ़ा ! तू मुराद-ए-किब्रिया, मौला ! तू कमाल-ए-अंबिया, मौला ! तू इमाम-अल-मुर्सलीं तू चुनीदा मुस्तफ़ा ! तू ख़ुदा का लाडला तू हमारा दिल-नशीं हर जगह तेरा है नाम, तुझ पे जारी है सलाम हर किसी को मिल रहा है जो दिया तू ने पयाम तू ही सब से मोहत...

जो भी सरकार के मँगतों में गिने जाते हैं / Jo Bhi Sarkar Ke Mangton Mein Gine Jate Hain

जो भी सरकार के मँगतों में गिने जाते हैं ये हक़ीक़त है वो शाहों में गिने जाते हैं नाम सुन कर जो नहीं पढ़ते दुरूद-ए-अक़्दस ऐसे अफ़राद बख़ीलों में गिने जाते हैं ठोकरें ग़ैर की खाएँ ये नहीं हो सकता आप से माँगने वालों में गिने जाते हैं कर्बला वालों में वो नन्हें 'अली असग़र भी दीन-ए-इस्लाम के शेरों में गिने जाते हैं ऐ ग़नी ! दौलत-ए-दुनिया की न लालच दे हमें ग़ौस-ए-आ'ज़म के फ़क़ीरों में गिने जाते हैं दर-ब-दर वो कभी भटका नहीं करते, लोगो ! जो भी ख़्वाजा के दीवानों में गिने जाते हैं जिन को कहता है जहाँ शान से आ'ला हज़रत उन के फ़रमान दलीलों में गिने जाते हैं मेरे अख़्तर के फ़तावों से जिन्हें नफ़रत है वो सभी लोग ज़लीलों में गिने जाते हैं बात चलती है जो अख़्तर की तो कह देते हैं उन को हम देखने वालों में गिने जाते हैं जब से गुलज़ार ने डाली है 'इनायत की नज़र काँच के टुकड़े हैं हीरों में गिने जाते हैं ख़ुश-नसीबी है क़सम से ये हमारी, सा'दी ! उन की ज़ुल्फ़ों के असीरों में गिने जाते हैं शायर: मुफ़्ती सुहैल सा'दी अमजदी ना'त-ख़्वाँ: क़ारी ज़ाकिर इस्माईली jo bhi sarkaar ...

मैं क्या करूँ बयान फ़ज़ीलत हुसैन की / Main Kya Karun Bayan Fazilat Hussain Ki

मैं क्या करूँ बयान फ़ज़ीलत हुसैन की अल्लाह जानता है हक़ीक़त हुसैन की कहते थे बार-बार मैं हैदर का लाल हूँ मानी न ज़ालिमों ने नसीहत हुसैन की दुनिया में चारों जानिब कोहराम मच गया कर्बल में जब हुई थी शहादत हुसैन की ना'त-ख़्वाँ: सलीम रज़ा पीलीभीती mai.n kya karu.n bayaan fazeelat husain ki allah jaanta hai haqeeqat husain ki kehte the baar-baar mai.n haidar ka laal hu.n maani na zaalimo.n ne naseehat husain ki duniya me.n chaaro.n jaanib kohraam mach gaya karbal me.n jab hui thi shahaadat husain ki Naat-Khwaan: Saleem Raza Pilibhiti Main Kya Karun Bayan Fazilat Hussain Ki Lyrics | Main Kya Karun Bayan Fazilat Hussain Ki Lyrics in Hindi | Allah Janta Hai Haqeeqat Hussain Ki Lyrics in Hindi | mai mei mein karu karoon karoo hakikat | lyrics of naat | naat lyrics in hindi | islamic lyrics | hindi me naat lyrics | hindi me naat likhi hui | All Naat Lyrics in Hindi | नात शरीफ लिरिक्स हिंदी, नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में, नात शरीफ लिरिक्स हिंदी में, नात हिंदी में ल...

आँखों को बंद कर लो आओ चलें मदीने / Aankhon Ko Band Kar Lo Aao Chalein Madine

तसव्वुर में मदीना, है यादों में मदीना तसव्वुर में मदीना, है यादों में मदीना हर वक़्त तसव्वुर में मदीने की गली हो फिर याद मुहम्मद की मेरे दिल में बसी हो आँखों को बंद कर लो, आओ चलें मदीने साहिल पे अब कहाँ हैं वो मुंतज़िर सफ़ीने आँखों को बंद कर लो, आओ चलें मदीने उतरे हुए मलक हैं तयबा की रहगुज़र में रिम-झिम गुलाब मंज़र सिमटे हैं चश्म-ए-तर में बाद-ए-ख़नक खड़ी है रस्ते के हर शजर में रहमत बरस रही है इस दिल-कुशा सफ़र में माथे पे झिलमिलाएँ ख़ुश्बू भरे पसीने आँखों को बंद कर लो, आओ चलें मदीने तसव्वुर में मदीना, है यादों में मदीना तसव्वुर में मदीना, है यादों में मदीना मुश्ताक़ हैं निगाहें, बेताब चश्म-ए-तर है आँसू हैं चंद बाक़ी, सामान मुख़्तसर है इक रक़्स करती तितली हर शाख़-ए-नूर पर है ऐ दिल ! सँभल, नबी का रौज़ा क़रीब-तर है झुक झुक के दें सलामी अश्कों के आबगीने आँखों को बंद कर लो, आओ चलें मदीने ख़ुश-बख़्त मेरी आँखो ! ये शहर-ए-मुस्तफ़ा है सुल्तान-ए-दो-जहाँ का दरबार आ गया है देहलीज़-ए-मुस्तफ़ा से लिपटी हुई दु'आ है हर हर्फ़-ए-इल्तिजा में मेरी भी इल्तिजा है दिल में छुपे हुए हैं, आक़ा ! कई दफ़ीने ...

तनी है नूर की चादर मेरे सरकार आए हैं / Tani Hai Noor Ki Chadar Mere Sarkar Aaye Hain

तनी है नूर की चादर, मेरे सरकार आए हैं मची है धूम सिदरा पर, मेरे सरकार आए हैं मुसलसल हो रही है आसमाँ से नूर की बारिश सरापा नूर के पैकर मेरे सरकार आए हैं मिटेगा ज़ुल्म दुनिया से, तनेगी अम्न की चादर निज़ाम-ए-ज़िंदगी ले कर मेरे सरकार आए हैं कहा जंगल में हिरनी ने, मुझे तुम से छुड़ाने को यहूदी ! देख ले मुड़ कर, मेरे सरकार आए हैं ज़मीं ख़ुश, आसमाँ ख़ुश, चाँद ख़ुश, तारे भी ख़ुश-ख़ुश हैं रची हैं शादियाँ घर-घर, मेरे सरकार आए हैं किसी भी बाप के हाथों न होगी दफ़्न अब ज़िंदा कभी भी, कोई भी दुख़्तर, मेरे सरकार आए हैं हैं आए बज़्म-ए-मीलादुन्नबी में जितने दीवाने कहें एक बार सब मिल कर, मेरे सरकार आए हैं मिलेगी दीन-ओ-दुनिया की तुम्हें भी बरकतें, 'आबिद ! पढ़ो ना'त-ए-नबी घर-घर, मेरे सरकार आए हैं ना'त-ख़्वाँ: अहमदुल फ़त्ताह tani hai noor ki chaadar, mere sarkaar aae hai.n machi hai dhoom sidra par, mere sarkaar aae hai.n musalsal ho rahi hai aasmaa.n se noor ki baarish saraapa noor ke paikar mere sarkaar aae hai.n miTega zulm duniya se, tanegi amn ki chaadar nizaam-e-zind...

मेरे दिल में बसा है प्यार मदीने वाले का / Mere Dil Mein Basa Hai Pyar Madine Wale Ka

मेरे दिल में बसा है प्यार मदीने वाले का मैं बन जाऊँ बीमार मदीने वाले का मेरे दिल में बसा है प्यार मदीने वाले का है नूरानी दरबार मदीने वाले का वल्लैल उन की ज़ुल्फ़ें, वश्शम्स उन का चेहरा उन्हें रब ने बनाया ऐसा, नहीं कोई उन के जैसा नहीं कोई जवाब है यार मदीने वाले का क्यूँकर लगे न हर-दम अख़्तर रज़ा का ना'रा जिस ने 'अदू-ए-दीं को तेग़-ए-रज़ा से मारा जब आया नज़र ग़द्दार मदीने वाले का ग़ौस-उल-वरा के प्यारे ! दामन को मेरे भर दो मर्द-ए-मुजाहिद ! मुझ पर चश्म-ए-'इनायत कर दो दे दो सदक़ा सरकार मदीने वाले का चाहत न हो जन्नत की, हो 'ईद हर हसरत की जागे नसीबा सब का, मे'राज हो क़िस्मत की हो जाए गर दीदार मदीने वाले का सुन, ऐ हकीम-ए-दौरा ! हमदर्द मेरे मेहरबाँ जाएगी तेरी सारी हिकमत यहाँ राएगाँ मैं दिल से हूँ बीमार मदीने वाले का हासिल उसे ही होगी दुनिया की सरफ़राज़ी मौला-ए-दो-जहाँ भी होगा उसी से राज़ी अपना ले जो किरदार मदीने वाले का बोले बिलाल-ए-हब्शी, ज़ालिम ! ये सितम है कैसा 'इश्क़-ए-नबी में काँटा लगता है फूलों जैसा हूँ जब से मैं बीमार मदीने वाले का जिब्रील तो 'आजिज़ ह...

ये कह रहे हैं बुलबुल-ए-सिदरा नहीं मिला / Ye Keh Rahe Hain Bulbul-e-Sidra Nahin Mila

ये कह रहे हैं बुलबुल-ए-सिदरा, नहीं मिला कोई रसूल-ए-पाक के जैसा नहीं मिला ज़िंदा है गर ज़मीर तो इंसाफ़ से कहो किस को दर-ए-रसूल का टुकड़ा नहीं मिला मस्जिद से कब निकाला था मेरे रसूल ने अब तक मुनाफ़िक़ों को ठिकाना नहीं मिला ज़िंदा हैं वालिदैन तो जन्नत ख़रीद लो फिर बा'द में न कहना कि मौक़ा' नहीं मिला दुनिया में और भी हैं हया-दार बेटियाँ लेकिन जवाब-ए-फ़ातिमा-ज़हरा नहीं मिला मय्यत रखी है जिस की वही ख़ुद इमाम है साबिर पिया के जैसा जनाज़ा नहीं मिला अहमद रज़ा के क़द को चला था जो नापने उस की तरह हमें कोई बौना नहीं मिला सरकार-ए-अज़हरी के नहीं हों जहाँ मुरीद ऐसा मुझे कोई भी 'इलाक़ा नहीं मिला गौहर ! हरम में ऐसा कबूतर नहीं कोई जिस को दर-ए-रसूल से दाना नहीं मिला ना'त-ख़्वाँ: शादाब-ओ-पैकर ye keh rahe hai.n bulbul-e-sidra, nahi.n mila koi rasool-e-paak ke jaisa nahi.n mila zinda hai gar zameer to insaaf se kaho kis ko dar-e-rasool ka Tuk.Da nahi.n mila masjid se kab nikaala tha mere rasool ne ab tak munaafiqo.n ko Thikaana nahi.n mila zinda hai.n waalidain ...

नेमत-ए-बे-बदल मदीना है | हर उदासी का हल मदीना है / Nemat-e-Be-badal Madina Hai | Har Udasi Ka Hal Madina Hai

ने'मत-ए-बे-बदल मदीना है हर उदासी का हल मदीना है ज़ब्त-ए-जज़्बात लाज़मी है यहाँ ऐ मेरे दिल ! सँभल, मदीना है उन की आमद का फ़ैज़ है मक्का उन की हिजरत का फल मदीना है 'अर्ज़ियाँ डाल पर निगाहों से अपनी 'आदत बदल, मदीना है दोस्त ! ये एहतिमाम-ए-'अक्स-कशी ख़ुद से बाहर निकल, मदीना है गर्द-ए-रह झाड़ने की सोचता है इस को चेहरे पे मल, मदीना है गिर न जाएँ ज़मीन पर, ऐ चश्म ! अपने आँसू निगल, मदीना है यसरिब-ए-हाल से न हो ग़मगीं मज़हरी ! तेरा कल मदीना है शायर: हसनैन मज़हरी ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी ne'mat-e-be-badal madina hai har udaasi ka hal madina hai zabt-e-jazbaat laazmi hai yahaa.n ai mere dil ! sambhal, madina hai un ki aamad ka faiz hai makka un ki hijrat ka phal madina hai 'arziyaa.n Daal par nigaaho.n se apni 'aadat badal, madina hai dost ! ye ehtimaam-e-'aks-kashi KHud se baahar nikal, madina hai gard-e-rah jhaa.Dne ki sochta hai is ko chehre pe mal, madina hai gir na jaae.n zameen par, ai chashm ! apne a...

इज़्न-ए-तयबा मुझे सरकार-ए-मदीना दे दो / Izn-e-Tayba Mujhe Sarkar-e-Madina De Do

इज़्न-ए-तयबा मुझे, सरकार-ए-मदीना ! दे दो ले चले मुझ को जो तयबा वो सफ़ीना दे दो याद-ए-तयबा में तड़पने का क़रीना दे दो चश्म-ए-तर, सोज़-ए-जिगर, शाह-ए-मदीना ! दे दो चार यारों का तुम्हें वासिता देता हूँ, शहा ! अपना ग़म मुझ को शहंशाह-ए-मदीना दे दो वक़्त-ए-आख़िर है चली जान, रसूल-ए-अकरम ! इक झलक, ऐ मेरे सुल्तान-ए-मदीना ! दे दो सदक़ा शहज़ादी-ए-कौनैन का क़दमों में मौत मुझ को दे दो, मेरे सुल्तान-ए-मदीना दे दो कसरत-ए-माल की आफ़त से बचा कर, आक़ा ! अपने 'अत्तार को उल्फ़त का ख़ज़ीना दे दो शायर: मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी ना'त-ख़्वाँ: असद रज़ा अत्तारी izn-e-tayba mujhe, sarkaar-e-madina ! de do le chale mujh ko jo tayba wo safeena de do yaad-e-tayba me.n ta.Dapne ka qareena de do chashm-e-tar, soz-e-jigar, shaah-e-madina ! de do chaar yaaro.n ka tumhe.n waasita deta hu.n, shaha ! apna Gam mujh ko shahanshaah-e-madina de do waqt-e-aaKHir hai chali jaan, rasool-e-akram ! ik jhalak, ai mere sultaan-e-madina ! de do sadqa shahzaadi-e-kaunain ka qadmo.n me.n maut mujh ko de...

जाते हैं बड़ी शान से मेराज के दूल्हा / Jaate Hain Badi Shaan Se Meraj Ke Dulha

मे'राज वाले दूल्हा ! मे'राज वाले दूल्हा ! मे'राज वाले दूल्हा ! मे'राज वाले दूल्हा ! असरा में गुज़रे जिस दम बेड़े पे क़ुदसियों के होने लगी सलामी, परचम झुका दिये हैं जाते हैं बड़ी शान से मे'राज के दूल्हा अल्लाह ने महबूब को है पास बुलाया जाते हैं बड़ी शान से मे'राज के दूल्हा पैग़ाम लिए आए हैं जिब्रील ज़मीं पर ऐ सरवर-ए-कौनैन ! चलें 'अर्श-ए-बरीं पर तालिब है ख़ुदा आज की शब आप का, सरवर ! दीदार-ए-ख़ुदा कर लें, शहा ! क़ुर्ब में जा कर अल्लाह ने महबूब को है पास बुलाया जाते हैं बड़ी शान से मे'राज के दूल्हा जिब्रील-ए-अमीं कहने लगे चूम के तलवे बुर्राक़ है तय्यार खड़ी आइए चलिए बेताब हैं 'अर्शी इन्हें दिखलाइए जल्वे सब हूर-ओ-मलक दीद के मुश्ताक़ हैं कब से अल्लाह ने महबूब को है पास बुलाया जाते हैं बड़ी शान से मे'राज के दूल्हा मुश्ताक़ थी अक़्सा में रसूलों की जमा'अत सरकार ने की सारे रसूलों की इमामत अक़्सा से चले क़ुर्ब-ए-ख़ुदा के लिए हज़रत सब शान-ए-नबी देखते करते रहे हैरत अल्लाह ने महबूब को है पास बुलाया जाते हैं बड़ी शान से मे'राज के दूल्हा मर्तबा मेरे ...