करम तू कर दे ख़ुदाया शब-ए-बरात आई / Karam Tu Kar De Khudaya Shab-e-Barat Aai
शब-ए-बरात है, तू बख़्श दे, मौला ! शब-ए-निजात है, तू बख़्श दे, मौला ! करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई है जोश पर तेरी रहमत, शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई कि जिन के वालिदा वालिद नहीं हयात रहे न दादा-दादी रहे, न ही नाना-नानी रहे हैं रिश्तेदार मेरे सब को बख़्श दे, मौला ! मेरी दु'आओं में शामिल सभी की बात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई दु'आ में लब हैं हमारे और अश्क हैं जारी हैं ग़फ़लतों पे नज़र, एक ख़ौफ़ है तारी तेरे करम ने उमीदें मेरी बनाई है तू माफ़ कर दे, ख़ुदाया ! करम की रात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई है तेरी शान-ए-करम ही जो रहम करता है तू ही तो झोलियाँ ख़ाली सभी की भरता है शब-ए-बरात के सदक़े तू टाल हर मुश्किल हमारे काम, ख़ुदाया ! तेरी ही ज़ात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई करम तू कर दे, ख़ुदाया ! शब-ए-बरात आई शायर: हनीफ़ सानी ना'त-ख़्वाँ: नवल ख़ान shab-e-baraat hai, tu baKHsh de, maula !...