बस मेरा माही सल्ले-अला / Bas Mera Mahi Salle Ala
बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला रहमत-ए-'आलम बन कर आया, दोनों जहाँ पर उन का साया मालिक-ए-कुल महबूब-ए-ख़ुदा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला ताहा, यासीन और मुज़म्मिल, शाह-ए-मदीना अहमद-ए-मुरसल शाफ़े'-ओ-नाफ़े'-ए-रोज़-ए-जज़ा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला दोनों 'आलम सदक़ा जिन का, सुब्ह-ओ-शाम है चर्चा जिन का विर्द-ए-मलाइक सल्ले-'अला, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला 'अर्श पे आने जाने वाले, रहमत-ए-'आलम हक़ के उजाले वो महबूब-ए-रब्ब-ए-'उला, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला उन के करम की बात है, 'आसी ! रब का करम और दुनिया राज़ी वो हैं मख़ज़न-ए-जूद-ओ-सख़ा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला...