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नेमतें बाँटता जिस सम्त वो ज़ीशान गया / Nematen Bant.ta Jis Samt Wo Zeeshan Gaya

ने'मतें बाँटता जिस सम्त वो ज़ीशान गया साथ ही मुंशी-ए-रहमत का क़लम-दान गया ले ख़बर जल्द कि ग़ैरों की तरफ़ ध्यान गया मेरे मौला मेरे आक़ा ! तेरे क़ुर्बान गया आह ! वो आँख कि नाकाम-ए-तमन्ना ही रही हाए ! वो दिल जो तेरे दर से पुर-अरमान गया दिल है वो दिल जो तेरी याद से मा'मूर रहा सर है वो सर जो तेरे क़दमों पे क़ुर्बान गया उन्हें जाना, उन्हें माना, न रखा ग़ैर से काम लिल्लाहिल-हम्द मैं दुनिया से मुसलमान गया और तुम पर मेरे आक़ा की 'इनायत न सही नज्दियो ! कलमा पढ़ाने का भी एहसान गया आज ले उन की पनाह, आज मदद माँग उन से फिर न मानेंगे क़ियामत में अगर मान गया उफ़ रे मुन्किर ये बढ़ा जोश-ए-त'अस्सुब आख़िर भीड़ में हाथ से कम-बख़्त के ईमान गया जान-ओ-दिल, होश-ओ-ख़िरद सब तो मदीने पहुँचे तुम नहीं चलते, रज़ा ! सारा तो सामान गया शायर: इमाम अहमद रज़ा ख़ान ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद फ़सीहुद्दीन सुहरवर्दी ओवैस रज़ा क़ादरी ग़ुलाम नूर-ए-मुजस्सम ne'mate.n baanT.ta jis samt wo zeeshaan gaya saath hi munshi-e-rahmat ka qalam-daan gaya le KHabar jald ki Gairo.n ki taraf dhyaan gaya m

या रसूलल्लाह आ कर देख लो / Ya Rasoolallah Aa Kar Dekh Lo

या रसूलल्लाह ! आ कर देख लो या मदीने में बुला कर देख लो सैकड़ों के दिल मुनव्वर कर दिए इस तरफ़ भी आँख उठा कर देख लो कुश्ता-ए-दीदार ज़िंदा हो अभी जान-ए-'ईसा ! लब हिला कर देख लो कलमा पढ़ते जी उठें मुर्दे अभी जान-ए-'ईसा लब हिला कर देख लो रंज-ओ-ग़म, दर्द-ओ-अलम की मेरे गिर्द भीड़ है, सरकार ! आ कर देख लो छेड़े जाते हैं मुझे मुनकर-नकीर गोर में तशरीफ़ ला कर देख लो मेरी आँखों में तुम्हीं हो जल्वा-गर चिलमन-ए-मिज़्गाँ उठा कर देख लो ये कभी इंकार करते ही नहीं बे-नवाओ ! आज़मा कर देख लो चाहे जो माँगो 'अता फ़रमाएँगे ना-मुरादो ! हाथ उठा कर देख लो सैर-ए-जन्नत देखना चाहो अगर रौज़ा-ए-अनवर पे आ कर देख लो दो जहाँ की सरफ़राज़ी हो नसीब उन के आगे सर झुका कर देख लो तूर पर जल्वा जो देखा था कलीम आज याँ पर्दा उठा कर देख लो उन की रिफ़'अत का पता मिलता नहीं मेहर-ओ-मह चक्कर लगा कर देख लो इस जमील-ए-क़ादरी को भी, हुज़ूर ! अपने दर का सग बना कर देख लो बे-क़रारों को क़रार आ जाएगा मेरे आक़ा ! मुस्कुरा कर देख लो शायर: मौलाना जमीलुर्रहमान क़ादरी ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी ग़ुलाम नूर-ए-मुजस्सम

मुझे दर पे फिर बुलाना मदनी मदीने वाले / Mujhe Dar Pe Phir Bulana Madani Madine Wale

मुझे दर पे फिर बुलाना, मदनी मदीने वाले ! मय-ए-'इश्क़ भी पिलाना, मदनी मदीने वाले ! मेरी आँख में समाना, मदनी मदीने वाले ! बने दिल तेरा ठिकाना, मदनी मदीने वाले ! तेरी जबकि दीद होगी, जभी मेरी 'ईद होगी मेरे ख़्वाब में तुम आना, मदनी मदीने वाले ! मुझे ग़म सता रहे हैं, मेरी जान खा रहे हैं तुम्हीं हौसला बढ़ाना, मदनी मदीने वाले ! मेरे सब 'अज़ीज़ छूटे, मेरे यार भी तो रूठे कहीं तुम न रूठ जाना, मदनी मदीने वाले ! मेरे सब 'अज़ीज़ छूटें, मेरे दोस्त भी गो रूठें शहा ! तुम न रूठ जाना, मदनी मदीने वाले ! मैं अगरचे हूँ कमीना, तेरा हूँ, शह-ए-मदीना ! मुझे क़दमों से लगाना, मदनी मदीने वाले ! तेरे दर से, शाह ! बेहतर, तेरे आस्ताँ से बढ़ कर है भला कोई ठिकाना, मदनी मदीने वाले ! तेरा तुझ से हूँ सुवाली, शहा ! फेरना न ख़ाली मुझे अपना तू बनाना, मदनी मदीने वाले ! ये मरीज़ मर रहा है, तेरे हाथ में शिफ़ा है ऐ तबीब ! जल्द आना, मदनी मदीने वाले ! तू है अंबिया का सरवर, तू ही दो जहाँ का यावर तू ही रहबर-ए-ज़माना, मदनी मदीने वाले ! तू है बेकसों का यावर, ऐ मेरे ग़रीब-परवर ! है सख़ी तेरा घराना, मदनी मदीने वा

मेरा दिल बदल दे | मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे / Mera Dil Badal De | Mera Gaflat Mein Dooba Dil Badal De

मेरा दिल बदल दे, मेरा दिल बदल दे मेरा दिल बदल दे, मेरा दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे हवा-ओ-हिर्स वाला दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे ख़ुदाया ! फ़ज़्ल फ़रमा, दिल बदल दे बदल दे दुनिया, दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे गुनहगारी में कब तक 'उम्र काटूँ बदल दे मेरा रस्ता, दिल बदल दे सुनूँ मैं नाम तेरा धड़कनों में मज़ा आ जाए, मौला ! दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे हटा लूँ आँख अपनी मा-सिवा से जियूँ मैं तेरी ख़ातिर, दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे करूँ क़ुर्बान अपनी सारी ख़ुशियाँ तू अपना ग़म 'अता कर, दिल बदल दे सहल फ़रमा मुसलसल याद अपनी ख़ुदाया ! रहम फ़रमा, दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे मेरा दिल बदल दे, मेरा दिल बदल दे मेरा दिल बदल दे, मेरा दिल बदल दे पड़ा हूँ तेरे दर पे दिल-शिकस्ता रहूँ क्यूँ दिल-शिकस्ता, दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे तेरा हो जाऊँ इतनी आरज़ू है बस इतनी है तमन्ना, दिल बदल दे मेरी फ़रियाद सुन ले, मेरे मौला ! बना ले अपना बंदा, दिल बदल दे मेरा ग़फ़लत में डूबा दिल बदल दे दिल-ए-मग़्मूम को मसरूर

या नबी या शह-ए-अबरार तवज्जोह कीजे / Ya Nabi Ya Shah-e-Abrar Tawajjoh Keeje

करम हो, या रसूलल्लाह ! करम हो, या रसूलल्लाह ! करम हो, या रसूलल्लाह ! करम हो, या हबीबल्लाह ! या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे इस तरफ़ भी, मेरे सरकार ! तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे दुश्मन-ए-जान हुआ जाता है सारा 'आलम कीजिए, अहमद-ए-मुख़्तार ! तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे मा-सिवा आप के मैं किस से तवक़्क़ो' रक्खूँ आप ही हैं मेरे ग़म-ख़्वार, तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे आप से कब है छुपा हाल दिल-ए-बेकल का हाल-ए-दिल किस को सुनाएँ आप के होते हुए क्यूँ किसी के दर पे जाएँ आप के होते हुए आप से कब है छुपा हाल दिल-ए-बेकल का आप हैं वाक़िफ़-ए-असरार, तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे सुन के आया हूँ मैं जाऊका मुज़्दा, आक़ा ! हूँ बहुत ही मैं गुनहगार, तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे आप से ही मेरी फ़रियाद है, जान-ए-'आलम ! मुश्किलों में हूँ गिरिफ़्तार, तवज्जोह कीजे या नबी ! या शह-ए-अबरार ! तवज्जोह कीजे दोनों 'आलम ही सँवर जाएँगे फिर तो मेरे मेरे सरकार ! बस इक बार तवज्जोह कीजे

अव्वल हैं वही आख़िर हैं वही | सरकार के जैसा कोई नहीं / Awwal Hain Wahi Aakhir Hain Wahi | Sarkar Ke Jaisa Koi Nahin

अव्वल हैं वही, आख़िर हैं वही, सरकार के जैसा कोई नहीं ईसा, मूसा कहते हैं सभी, सरकार के जैसा कोई नहीं ज़ुल्फ़ों को कहे वल्लैल ख़ुदा और आँखों को मा-ज़ाग़ कहा लिक्खा है कलाम-ए-पाक में भी, सरकार के जैसा कोई नहीं सदक़े हैं नबी के शम्स-ओ-क़मर, देते हैं सलामी शजर-ओ-हजर मर्ज़ी सब पर आक़ा की चली, सरकार के जैसा कोई नहीं दिल से न गया आक़ा का ख़याल, थे चूर बहुत ज़ख़्मों से बिलाल फिर भी लब पर था उन के यही, सरकार के जैसा कोई नहीं बच्चों को दूध पिला आई, वा'दे को अपने निभा आई हिरनी लौटी और कहने लगी, सरकार के जैसा कोई नहीं सिद्दीक़ को अपना यार किया, 'उस्मान-ए-ग़नी से प्यार किया कहते हैं यही फ़ारूक़-ओ-'अली, सरकार के जैसा कोई नहीं मारहरा, बरेली वाले हों, वो चाहे मसौली वाले हों फ़रमाते हैं सब पीर-ओ-वली, सरकार के जैसा कोई नहीं मँझधार में हूँ बिगड़ी है हवा, ये बोले बरेली से मेरे रज़ा अब नय्या लगाओ पार मेरी, सरकार के जैसा कोई नहीं मीलाद नबी का मनाएँगे, झंडे हम यूँही लगाएँगे तू जल जल कर मर जा, नज्दी ! सरकार के जैसा कोई नहीं ना'त-ख़्वाँ: नूर अली नूर कानपुरी awwal hai.n wahi, aakhir

आज अश्क मेरे नात सुनाएँ तो अजब क्या / Aaj Ashk Mere Naat Sunaein To Ajab Kya

आज अश्क मेरे ना'त सुनाएँ तो अजब क्या सुन कर वो मुझे पास बुलाएँ तो अजब क्या उन पर तो गुनहगार का सब हाल खुला है इस पर भी वो दामन में छुपाएँ तो अजब क्या मुँह ढाँप के रखना कि गुनहगार बहुत हूँ मय्यत को मेरी देखने आएँ तो अजब क्या दीदार के क़ाबिल तो नहीं चश्म-ए-तमन्ना लेकिन वो कभी ख़्वाब में आएँ तो अजब क्या दीदार के क़ाबिल तो कहाँ मेरी नज़र है लेकिन वो कभी ख़्वाब में आएँ तो अजब क्या न ज़ाद-ए-सफ़र है, न कोई काम भले हैं फिर भी मुझे सरकार बुलाएँ तो अजब क्या वो हुस्न-ए-दो-'आलम हैं, अदीब ! उन के क़दम से सहरा में अगर फूल खिल आएँ तो अजब क्या शायर: अदीब रायपुरी ना'त-ख़्वाँ: अल्हाज ख़ुर्शीद अहमद ओवैस रज़ा क़ादरी सरवर हुसैन नक़्शबंदी aaj ashk mere naa't sunaae.n to ajab kya sun kar wo mujhe paas bulaae.n to ajab kya un par to gunahgaar ka sab haal khula hai is par bhi daaman me.n chhupaae.n to ajab kya munh Dhaanp ke rakhna ki gunahgaar bahut hu.n mayyat ko meri dekhne aae.n to ajab kya deedaar ke qaabil to nahi.n chashm-e-tamanna lekin wo kabhi KHwaab me.n a

अहल-ए-सिरात रूह-ए-अमीं को ख़बर करें / Ahl-e-Sirat Rooh-e-Ameen Ko Khabar Karen

अहल-ए-सिरात रूह-ए-अमीं को ख़बर करें जाती है उम्मत-ए-नबवी फ़र्श पर करें इन फ़ितनाहा-ए-हश्र से कह दो हज़र करें नाज़ों के पाले आते हैं रह से गुज़र करें बद हैं तो आप के हैं, भले हैं तो आप के टुकड़ों से तो यहाँ के पले रुख़ किधर करें सरकार ! हम कमीनों के अतवार पर न जाएँ आक़ा हुज़ूर ! अपने करम पर नज़र करें उन की हरम के ख़ार कशीदा हैं किस लिए आँखों में आएँ, सर पे रहें, दिल में घर करें जालों पे जाल पड़ गए लिल्लाह वक़्त है मुश्किल-कुशाई आप के नाख़ुन अगर करें मंज़िल कड़ी है शान-ए-तबस्सुम करम करे तारों की छाँव, नूर के तड़के सफ़र करें किल्क-ए- रज़ा है ख़ंजर-ए-ख़ूँ-ख़्वार बर्क़-बार आ'दा से कह दो ख़ैर मनाएँ न शर करें शायर: इमाम अहमद रज़ा ख़ान ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी ahl-e-siraat rooh-e-amee.n ko KHabar kare.n jaati hai ummat-e-nabawi farsh par kare.n in fitnaahaa-e-hashr se keh do hazar kare.n naazo.n ke paale aate hai.n rah se guzar kare.n bad hai.n to aap ke hai.n, bhale hai.n to aap ke Tuk.Do.n se to yahaa.n ke pale ruKH kidhar kare.n sarkaar ! ham kameeno.n ke atwaar par

ज़बान-ओ-गोश को सारे गुनाहों से सफ़ा कर दें | मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे शम्सुद्दुहा कर दें तज़मीन के साथ / Zaban-o-Gosh Ko Saare Gunahon Se Safa Kar Den | Muanawwar Meri Aankhon Ko Mere Shamsudduha Kar Den With Tazmeen

ज़बान-ओ-गोश को सारे गुनाहों से सफ़ा कर दें जबीन-ए-'इश्क़ को रौशन मेरी बहर-ए-ख़ुदा कर दें मेरे क़ल्ब-ओ-जिगर को, मेरे आक़ा ! बा-वफ़ा कर दें मुनव्वर मेरी आँखों को, मेरे शम्सुद्दुहा ! कर दें ग़मों की धूप में वो साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-दोता कर दें मेरे सिद्दीक़-ए-अकबर को इमाम-उल-अतक़िया कर दें 'उमर, 'उस्मान को 'अद्ल-ओ-वफ़ा का आईना कर दें 'अली को मिस्ल-ए-हारूँ अपना नाइब मुस्तफ़ा कर दें जहाँ-बानी 'अता कर दें, भरी जन्नत हिबा कर दें नबी मुख़्तार-ए-कुल हैं, जिस को जो चाहें 'अता कर दें मसीह-ए-पाक जिस को दम से जान-ए-नौ 'अता कर दें मेरे मुख़्तार आक़ा उस को ठोकर से अदा कर दें मेहर पलटे, क़मर शक़ हो, इशारा गर शहा कर दें जहाँ में उन की चलती है, वो दम में क्या से क्या कर दें ज़मीं को आसमाँ कर दें, सुरय्या को सरा कर दें गिरफ़्तार-ए-मुसीबत को वो पल भर में छुड़ाते हैं जिसे जब चाहते हैं अपने रौज़े पर बुलाते हैं ओवैस-ओ-हज़रत-ए-हब्शी की तमसीलें दिखाते हैं किसी को वो हँसाते हैं, किसी को वो रुलाते हैं वो यूँही आज़माते हैं, वो अब तो फ़ैसला कर दें वहाबी देव के बंदो से उक्ता सी गई दुनिया रवा

न करो दुनिया-दार की बातें | कुछ करें अपने यार की बातें तज़मीन के साथ / Na Karo Duniya-dar Ki Baatein | Kuchh Karein Apne Yaar Ki Baatein With Tazmeen

न करो दुनिया-दार की बातें सीम-ओ-ज़र, इक़्तिदार की बातें छोड़ कर लाला-ज़ार की बातें कुछ करें अपने यार की बातें कुछ दिल-ए-दाग़दार की बातें जिन के दिल में हुज़ूर रहते हैं मुस्कुरा कर वो रंज सहते हैं वज्द में आ के फिर वो कहते हैं हम तो दिल अपना दे ही बैठे हैं अब ये क्या इख़्तियार की बातें काम मैं ने लिया है हिम्मत से चैन पाया हूँ रंज-ओ-कुल्फ़त से 'अर्ज़ करनी है अहल-ए-उल्फ़त से मैं भी गुज़रा हूँ दौर-ए-उल्फ़त से मत सुना मुझ को प्यार की बातें पूछे हाल-ए-दिल-ए-हज़ीं कोई ऐसा ग़म-ख़्वार अब नहीं कोई क़ल्ब का अब नहीं हसीं कोई अहल-ए-दिल ही यहाँ नहीं कोई क्या करें हाल-ए-ज़ार की बातें सारे दुख-दर्द के हैं वो दरमाँ इस लिए, ऐ असीर-ए-शाह-ए-ज़माँ ! आओ करते हैं नख़्ल-ए-दिल शादाँ पी के जाम-ए-मोहब्बत-ए-जानाँ अल्लाह अल्लाह ! ख़ुमार की बातें हो 'अमल ख़ूब उन के उस्वा पर चाहते हो ज़फ़र जो आ'दा पर नक़्श कर लो ये दिल के रुक़'आ पर मर न जाना मता'-ए-दुनिया पर सुन के तू मालदार की बातें ख़ुद में करते हो ख़ूब शिद्दत तुम मिल के रहते जो अहल-ए-सुन्नत तुम चाहते गर फ़लाह-ए-उम्मत तुम यूँ न होते असीर

तुम्ही फ़र्श से अर्श पर जाने वाले | चमक तुझ से पाते हैं सब पाने वाले तज़मीन के साथ / Tumhi Farsh Se Arsh Par Jaane Wale | Chamak Tujh Se Pate Hain Sab Pane Wale With Tazmeen

तुम्ही फ़र्श से 'अर्श पर जाने वाले तुम्ही ने'मतें रब से दिलवाने वाले तेरे आगे सब हाथ फैलाने वाले चमक तुझ से पाते हैं सब पाने वाले मेरा दिल भी चमका दे चमकाने वाले है बे-मिस्ल तेरा करम, जान-ए-'इज़्ज़त ! ग़ुलामों पे हर दम है तेरी 'इनायत वो गुलशन हो सहरा हो दरिया कि पर्बत बरसता नहीं देख कर अब्र-ए-रहमत बदों पर भी बरसा दे बरसाने वाले सवारी से अपनी तू जिस दम उतरना मदीने के ज़ाइर ज़रा तू सँभलना यहाँ था मेरे मुस्तफ़ा का गुज़रना हरम की ज़मीं और क़दम रख के चलना अरे सर का मौक़ा' है, ओ जाने वाले ! हैं मक्के के जल्वे भी माना के अच्छे मगर मैं मदीने की 'अज़मत के सदक़े उसे तो है निस्बत मेरे मुस्तफ़ा से मदीने के ख़ित्त़े ! ख़ुदा तुझ को रखे ग़रीबों फ़क़ीरों के ठहराने वाले ऐ मुश्किल-कुशा कीजे मुश्किल-कुशाई तड़प कर जो मैं ने सदा ये लगाई तो आक़ा की रहमत ये पैग़ाम लाई अब आई शफ़ा'अत की सा'अत अब आई ज़रा चैन ले, मेरे घबराने वाल ! कभी ग़ौस-ओ-ख़्वाजा के नामों से उलझें दुरूदों से उलझें, सलामों से उलझें सहीह-उल-'अक़ीदा इमामों से उलझें तेरा खाएँ तेरे ग़ुलामों से उलझें हैं मुन्कि