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बस मेरा माही सल्ले-अला / Bas Mera Mahi Salle Ala

बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला रहमत-ए-'आलम बन कर आया, दोनों जहाँ पर उन का साया मालिक-ए-कुल महबूब-ए-ख़ुदा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला ताहा, यासीन और मुज़म्मिल, शाह-ए-मदीना अहमद-ए-मुरसल शाफ़े'-ओ-नाफ़े'-ए-रोज़-ए-जज़ा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला दोनों 'आलम सदक़ा जिन का, सुब्ह-ओ-शाम है चर्चा जिन का विर्द-ए-मलाइक सल्ले-'अला, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला 'अर्श पे आने जाने वाले, रहमत-ए-'आलम हक़ के उजाले वो महबूब-ए-रब्ब-ए-'उला, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला, बस मेरा माही सल्ले-'अला उन के करम की बात है, 'आसी ! रब का करम और दुनिया राज़ी वो हैं मख़ज़न-ए-जूद-ओ-सख़ा, मैं कुछ भी नहीं, मैं कुछ भी नहीं बस मेरा माही सल्ले-'अला...

तक़दीर से मिली है मोहब्बत हुसैन की / Taqdeer Se Mili Hai Mohabbat Hussain Ki

तक़दीर से मिली है मोहब्बत हुसैन की जन्नत में ले के जाएगी उल्फ़त हुसैन की रब्ब-ए-हुसैन ! वासिता प्यारे हुसैन का फ़िरदौस में 'अता हो रफ़ाक़त हुसैन की माँ फ़ातिमा तो वालिद-ए-माजिद हैं मुर्तज़ा नाना नबी हैं, ख़ूब है क़िस्मत हुसैन की शेर-ए-ख़ुदा के शेर हैं, बेहद दिलेर हैं मशहूर है जहाँ में शुजा'अत हुसैन की कुंबा लुटाया, जान भी अपनी निसार की बे-मिस्ल-ओ-बे-मिसाल शहादत हुसैन की तख़्त-ए-यज़ीद ख़ाक में मिल कर फ़ना हुआ है आज भी दिलों पे हुकूमत हुसैन की दिल में रचा ले 'इश्क़ तू ज़हरा के लाल का महशर में रंग लाएगी चाहत हुसैन की मौला 'अली के लाल का अदना ग़ुलाम हूँ निस्बत रहे, 'इलाही ! सलामत हुसैन की बू-बक्र और 'उमर के तुफ़ैल, ऐ ख़ुदा-ए-पाक ! मरने से पहले देख लू तुर्बत हुसैन की महरूम कैसे हो भला मँगता हुसैन का ख़ाली फिराना है नहीं 'आदत हुसैन की भर भर के झोलियाँ लिए जाते हैं सब गदा मशहूर है जहाँ में सख़ावत हुसैन की 'अत्तार की ये आरज़ू पूरी हो, या ख़ुदा ! इस को दिखा दे ख़्वाब में सूरत हुसैन की शायर: मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी ना'त-ख़्वाँ: हस्सान अत्तारी मदनी रज़ा...

हम पे भी नज़र-ए-करम हो ऐ शहीदों के इमाम / Hum Pe Bhi Nazr-e-Karam Ho Aye Shahidon Ke Imam

हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम वक़्त-ए-मग़रिब जब फ़लक पर सुर्ख़ियाँ छाने लगी मेरे दिल को कर्बला की याद तड़पाने लगी हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम तीर और तलवारों के साए में की रब की सना देखो देखो इस को कहते हैं मोहब्बत की अदा हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम चाँद जब दसवीं मुहर्रम का नज़र आने लगा दिल का हर इक ज़ख़्म आँखों में उतर आने लगा हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम आप अपने ग़म में मुझ को आज ही कर दें फ़ना क्या ख़बर कब जिस्म से ये जान कर जाए वफ़ा हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम तेरा हर इक ग़म मिटा देगी ये सच्ची दास्ताँ ऐ रिफ़ा'ई ! देख पढ़ कर कर्बला की दास्ताँ हम पे भी नज़र-ए-करम हो, ऐ शहीदों के इमाम ! दस्त-बस्ता बा-अदब करते हैं हम तुम को सलाम ना'त-ख़्वाँ: ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी ham pe bhi nazr-e-k...

अल्लाह ने बख़्शा है शरफ़ तुझ को यगाना हसनैन के नाना / Allah Ne Bakhsha Hai Sharaf Tujh Ko Yagana Hasnain Ke Nana

अल्लाह ने बख़्शा है शरफ़ तुझ को यगाना, हसनैन के नाना ! ऐ बानी-ए-इस्लाम, ऐ सुल्तान-ए-ज़माना, हसनैन के नाना ! कहता है यही आप का हर एक दिवाना, हसनैन के नाना ! ईमान की कश्ती को मेरी पार लगाना, हसनैन के नाना ! कौनैन के हर ज़र्रे पे है तेरी हुकूमत, मौला की बदौलत है तेरे तसर्रुफ़ में ही रहमत का ख़ज़ाना, हसनैन के नाना ! दरिया-ए-सख़ावत है तेरा जोश पे हर दम, ऐ रहमत-ए-'आलम ! दो बूँद मुझे उस में से लिल्लाह पिलाना, हसनैन के नाना ! पेशानी-ए-दिल क्यूँ न झुके अहल-ए-विला की, मख़्लूक़-ए-ख़ुदा की जब मर्कज़-ए-उल्फ़त है दर-ए-शाह-ए-ज़माना, हसनैन के नाना ! वो तर्ज़-ए-सख़ावत हो, शुजा'अत या तहारत, या शौक़-ए-शहादत हर वस्फ़ में मुमताज़ है तेरा ही घराना, हसनैन के नाना ! मैं देख लूँ ऐ काश ! कभी गुंबद-ए-ख़ज़रा, ऐ वाली-ए-तयबा ! इक बार मुझे अपने मदीने में बुलाना, हसनैन के नाना ! सरकार ! कभी जाम-ए-नज़र मुझ को पिला कर, हाँ ख़्वाब में आ कर लिल्लाह मेरा सोया हुआ बख़्त जगाना, हसनैन के नाना ! सिद्दीक़ ने, फ़ारूक़ ने, 'उस्मान-ओ-'अली ने, हर एक वली ने पाया है तेरे दर से तरीक़त का ख़ज़ाना, हसनैन के नाना ! ईसार-ओ-मोहब्बत क...

पंजतन की ज़रा छेड़िए गुफ़्तुगू / Panjtan Ki Zara Chhediye Guftugu

पंजतन की ज़रा छेड़िए गुफ़्तुगू नूरी चादर का क़िस्सा सुना दीजिए सर से पा तक जो सब नूर ही नूर हैं उन के पैकर का क़िस्सा सुना दीजिए जिस में महव-ए-'इबादत रहीं फ़ातिमा बे-इजाज़त न जिब्रील आए जहाँ जिस में पैदा हुए हैं हुसैन-ओ-हसन हम को उस घर का क़िस्सा सुना दीजिए जिन की हिम्मत पे दुनिया भी हैरान है जिन का शाहिद वो कर्बल का मैदान है दे गए हैं जो इस्लाम को ज़िंदगी उन बहत्तर का क़िस्सा सुना दीजिए अल्लाह अल्लाह ! बच्चा वो छे माह का क्या सितम है, न उस को भी बख़्शा गया जिस की आँखों में आँसू न आए कभी उस को असग़र का क़िस्सा सुना दीजिए कैसी बिजली निकलती थी तलवार से कैसे उड़ते थे सर उन के इक वार से कैसे थर्रा रहा था वो कर्ब-ओ-बला ज़र्ब-ए-अकबर का क़िस्सा सुना दीजिए ख़ून 'औन-ओ-मुहम्मद का कैसे बहा कैसे क़ासिम को मक़्तल से लाया गया कैसे बेटों की लाशें उठाते रहे इब्न-ए-हैदर का क़िस्सा सुना दीजिए सारी दुनिया में जिन का बड़ा शोर है जिन को ताक़त का, अज़हर ! बड़ा ज़ोर है बद्र का उन को नक़्शा दिखा दीजिए जंग-ए-ख़ैबर का क़िस्सा सुना दीजिए शायर: मौलाना अज़हर फ़ारूक़ी बरेलवी ना'त-ख़्वाँ: मुहम्मद अली फ़...

हम कभी न भुलाएँगे / Hum Kabhi Na Bhulayenge

ऐ मुस्तफ़ा के नवासो ! 'अली के दिलदारो ! तुम्हें ख़ुदा के ये बंदे सलाम कहते हैं है याद वो मंज़र कर्बल का बहता हुआ ख़ून वो असग़र का वो ज़ख़्मी बदन, जलते ख़ैमे नज़रों से न हरगिज़ जाएँगे हम कभी न भुलाएँगे हम कभी न भुलाएँगे ज़हरा के महकते गुलशन का हर फूल मसल डाला तू ने प्यासे होंटों को ज़ख़्मी किया ज़ालिम ! क्या कर डाला तू ने ये ज़ुल्म, ये आल-ए-नबी पे सितम सारी दुनिया को बताएँगे हम कभी न भुलाएँगे हम कभी न भुलाएँगे वो लुटती जवानी क़ासिम की 'अब्बास के वो कटते बाज़ू वो 'औन-ओ-मुहम्मद की लाशें वो बहता हुआ कर्बल में लहू महशर के दिन ये ज़ुल्म-ओ-सितम ज़ालिम पे क़हर बन जाएँगे हम कभी न भुलाएँगे हम कभी न भुलाएँगे ये ज़िक्र, ये गीत शहादत के ये नग़्मे उन की शुजा'अत के ये घर घर में उन की बातें लब पर ना'रे और नम आँखें 'आशूरा का दिन और सूख़ी ज़बाँ कर्बल की याद दिलाएँगे हम कभी न भुलाएँगे हम कभी न भुलाएँगे ऐ कूफ़ियो ! ये क्या तुम ने किया आल-ए-अहमद को धोका दिया पहले दा'वत दी आने की आए तो तन्हा छोड़ दिया ख़ुद को हक़ पर कहने वाले मुँह क्या हैदर को दिखाएँगे हम कभी न भुलाएँ...

मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ / Main Panjtani Panjtani Panjtani Hoon

बेदम ! यही तो पाँच हैं मक़्सूद-ए-काइनात ख़ैरुन्निसा, हुसैन-ओ-हसन, मुस्तफ़ा, 'अली मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ ईमाँ है मेरा नार-ए-जहन्नम से बरी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ जब से ग़ुलाम-ए-हैदर-ए-कर्रार हो गया आ'ला जहाँ में मेरा भी किरदार हो गया मैं ख़ादिम-ए-सरकार हूँ, शैदा-ए-'अली हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ सोया हुआ नसीब जगाते हैं पंजतन उजड़े हुए घरों को बसाते हैं पंजतन उन की नवाज़िशात से देखो मैं ग़नी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मशहूर है जहाँ में सख़ावत हुसैन की होने लगी है मुझ पे 'इनायत हुसैन की अपनाई जब से उन की अदाएँ, मैं ग़नी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ होंटों पे मेरे देखिए हैदर की बात है शेर-ए-ख़ुदा की, फ़ातेह-ए-ख़ैबर की बात है मैं बंदा-ए-मौलाई हूँ, क़िस्मत का धनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ मैं पंजतनी पंजतनी पंजतनी हूँ क्या हूँ जो मैं बयाँ करूँ शान-ए-हुसैन को लिक्खेगा क्या क़लम मेरा ज...

अफ़ज़ल है कुल जहाँ में घराना हुसैन का | नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का / Afzal Hai Kul Jahan Mein Gharana Hussain Ka | Nabiyon Ka Tajdar Hai Nana Hussain Ka

अफ़ज़ल है कुल जहाँ में घराना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का शेर-ए-ख़ुदा के शेर हैं शब्बीर देखिए कैसी चला रहे हैं वो शमशीर देखिए हैदर का है निशाना, निशाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का होश उड़ गए हैं देख के सारे जहान के आँसू निकल पड़े हैं कभी आसमान के अकबर को घोड़े पर वो चढ़ाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का दौलत पे मरने वाले यज़ीदी को क्या ख़बर शब्बीर कर्बला में अगर मार दें ठोकर हो सारे कर्बला में ख़ज़ाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का ज़ैनब भी साथ में है, सकीना भी साथ में चर्चे हैं जिन की ज़ात के कुल काइनात में कर्ब-ओ-बला में सब है घराना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का फ़ौज-ए-यज़ीदियत का नशा ही उतर गया मंज़र ये देख देख के लश्कर बिखर गया 'अब्बास का 'अलम वो उठाना हुसैन का नबियों का ताजदार है नाना हुसैन का ना'त-ख़्वाँ: मुहम्मद अली फ़ैज़ी afzal hai kul jahaan me.n gharana husain ka nabiyo.n ka taajdaar hai naana husain ka sher-e-KHuda ke sher hai.n shabbir dekhiye kaisi chala rahe hai.n wo sham...

अपने नाना का वादा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं / Apne Nana Ka Wada Nibhane Karbala Mein Hussain Aa Rahe Hain

हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं कर्बला में हुसैन आ रहे हैं कर्बला में हुसैन आ रहे हैं अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं दीन की शान-ओ-शौकत बचाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं नबी के नूर-ए-'ऐन ! 'अली के दिल का चैन ! सय्यिदा फ़ातिमा के प्यारे हैं हुसैन इक तरफ़ है हज़ारों का लश्कर एक जानिब फ़क़त हैं बहत्तर अपने बाबा की जुरअत दिखाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं दीन-ए-हक़ का 'अलम हाथ में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-'अली साथ में है क़स्र-ए-ज़ुल्म-ओ-सितम को गिराने कर्बला में हुसैन आ रहे हैं हुसैन आ रहे हैं, हुसैन आ रहे हैं चराग़-ए-'इश्क़-ए-हुसैनी जला मुहर्रम में यज़ीदियत का दिया बुझ गया मुहर्रम में ख़ुदा-ए-पाक की बरसेंगी रहमतें तुझ पर हसन हुसैन की महफ़िल सजा मुहर्रम में न आज तक वो उट्ठा और न उट्ठेगा कभी यज़ीदियत का महल यूँ गिरा मुहर्रम में जहाँ में हक़्क़-ओ-सदाक़त का बोल-बाला है मुनाफ़िक़त का ख़ातिमा हुआ मुहर्रम में अपने नाना का वा'दा निभाने कर्बला में हुसैन आ रहे...

बढ़े जो कर के वो सू-ए-शह-ए-अनाम सलाम / Badhe Jo Kar Ke Wo Soo-e-Shah-e-Anam Salam

बढ़े जो कर के वो सू-ए-शह-ए-अनाम सलाम सदाएँ आती थीं हर सम्त से सलाम सलाम बड़ा हुजूम था तयबा की पहली मंज़िल पर खड़े थे राह में करने को ख़ास-ओ-'आम सलाम चले हुसैन जो तयबा से कर्बला की तरफ़ जहाँ पहुँचते थे करता था वो मक़ाम सलाम जो 'अज़्म कर के चले थे वो कर्बला पहुँचे अगरचे राह में आते रहे पयाम सलाम ज़मीन-ए-मंज़िल-ए-मक़्सूद ने क़दम चूमे फ़लक ने दूर से झुक कर कहा, इमाम सलाम ये शाह वो जिन्हें सब शाह शाह कहते हैं इमाम वो जिन्हें करते हैं सब इमाम सलाम सलाम-ए-बंदा-ए-'आसी क़बूल हो, शाहा ! तुम्हारी आल पर, औलाद पर मुदाम सलाम उन्हें सलाम, मुनव्वर ! ये चाहता है जी तमाम 'उम्र लिखूँ और न हो तमाम सलाम शायर: मुनव्वर बदायुनी ना'त-ख़्वाँ: ज़ुल्फ़िक़ार अली हुसैनी ओवैस रज़ा क़ादरी ba.Dhe jo kar ke wo soo-e-shah-e-anaam salaam sadaae.n aati thi.n har samt se salaam salaam ba.Da hujoom tha tayba ki pehli manzil par kha.De the raah me.n karne ko KHaas-o-'aam salaam chale husain jo tayba se karbala ki taraf jahaa.n pahunchte the karta tha wo maqaam salaam jo 'az...

मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का / Main Hun Hussaini Aur Zamana Hussain Ka

'इश्क़ मेरा है हुसैन ! प्यार मेरा है हुसैन ! मैं भी कहूँ या हुसैन ! तुम भी कहो या हुसैन ! हर घर में या हुसैन ! हर लब पे या हुसैन ! हम सब की है सदा या हुसैन ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का बे-मिस्ल है जहाँ में तेरा काम, या हुसैन ! वलियों का है वज़ीफ़ा तेरा नाम, या हुसैन ! आ आ के चूमते हैं फ़रिश्ते भी रात-दिन क्या दिल-नशीं हैं तेरे दर-ओ-बाम, या हुसैन ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का बज़्म-ए-हुसैन मिल के सजाओ, हुसैनियो ! शान-ए-हुसैन सब को सुनाओ, हुसैनियो ! कैसे यज़ीदियों को पछाड़ा हुसैन ने मिल कर ये कुल जहाँ को बताओ, हुसैनियो ! दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का मैं हूँ हुसैनी और ज़माना हुसैन का दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का दुनिया में ऐसा कोई भी मोमिन मिला नहीं सुल्तान-ए-कर्बला पे जो दिल से फ़िदा नहीं नहर-ए-फ़ुरात आज भी देती है ये सदा 'अब्बास सा जहाँ में कोई बा-वफ़ा नहीं दुनिया में हर जगह पे है चर्चा हुसैन का इस्लाम की बक़ा के लिए शाह-ए-कर्बला इक एक कर के सारा घराना...

अल-मदद मौला हुसैन फ़ातिमा ज़हरा के चैन / Al Madad Maula Hussain Fatima Zahra Ke Chain

अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! ज़हरा की निगाहों का है नूर-ए-नज़र शब्बीर मौला-ए-विलायत का है लख़्त-ए-जिगर शब्बीर सुल्तान-ए-मदीना का बे-मिस्ल गुहर शब्बीर अल्लाह के शेरों का है शेर-ए-बबर शब्बीर अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! फ़ैज़ान-ए-नबी से है सैराब मेरा शब्बीर है चर्ख़-ए-शहादत का महताब मेरा शब्बीर मिलता ही नहीं हम-सर दुनिया में कहीं जिस का ज़हरा का है वो दुर्र-ए-नायाब मेरा शब्बीर अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! महताब-ओ-गगन बहर-ए-ज़ख़्ख़ार हुसैनी है मौला के करम से ये संसार हुसैनी है ये दिल भी हुसैनी है, ये जाँ भी हुसैनी है इस्लाम की फ़ितरत का हर तार हुसैनी है अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा के चैन ! कर्बल की ज़मीं पर इक नायाब सा मंज़र है इक सम्त हज़ारों हैं, इक सम्त बहत्तर है फिर ग़ौल-ए-यज़ीदी में क्यूँ ख़ौफ़ है भगदड़ है मैदान में निकला जब वो सिब्त-ए-पयम्बर है अल-मदद मौला हुसैन ! फ़ातिमा ज़हरा ...