मोजिज़ा कितना निराला ये हुआ मेराज में | मेराज को चला दूल्हा / Mojiza Kitna Nirala Ye Hua Meraj Mein | Meraj Ko Chala Dulha
मे'राज को चला दूल्हा, मे'राज को चला दूल्हा मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में ला-मकाँ पहुँचे हबीब-ए-किब्रिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में भीनी भीनी थी हवा और रंग-ए-गुलशन था खिला कोयल-ओ-बुलबुल भी थे नग़्मा-सरा मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में प्यारे आक़ा के क़दम पर हज़रत-ए-जिब्रील ने अपने नूरानी लबों को रख दिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हर तरफ़ शादी रची है, हर कोई है शादमाँ आज महबूब-ए-ख़ुदा दूल्हा बना मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में जान-ए-ईमाँ जान-ए-इंसाँ की सलामी के लिए आसमाँ पर मुंतज़िर थे अंबिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हूर-ओ-ग़िल्माँ और फ़रिश्ते मरहबा कहने लगे जिस घड़ी पहुँचे फ़लक पर मुस्तफ़ा मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में पेश कर के अपना काँधा पा गए आ'ला मक़ाम ग़ौस-ए-आ'ज़म पेशवा-ए-औलिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हम गुनह...