हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई / Haider Sa Zamane Mein Sardar Nahin Koi
मौला हैदर ! मौला हैदर ! मौला हैदर ! मौला हैदर ! घर घर में ना'रा है, मौला मौला हैदर, मौला मौला हैदर घर घर में ना'रा है या 'अली मोमिन को प्यारा है या 'अली सरताज है ज़हरा का, हसनैन का बाबा है हैदर सा शह-ए-दीं का हुब-दार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई उस शेर-ए-जली जैसा सालार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई वो जिस की शुजा'अत पे नाज़ाँ हैं शह-ए-'आलम उस मर्द-ए-क़लंदर सा जर्रार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई ख़ैबर को जो लर्ज़ा दे, आ'दा को जो तड़पा दे हम ने तो सुनी ऐसी ललकार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई वो फ़ख़्र-ए-सहाबा है, वो नय्यर-ए-ताबाँ है दुनिया में 'अली जैसा दिलदार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई हैदर से 'अदावत जो रखता है सुनो लोगो कौनैन में उस जैसा बीमार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं कोई चौखट से तेरी उठ कर मैं जाऊँ कहाँ, हैदर ! इक तेरे सिवा मेरा ग़म-ख़्वार नहीं कोई मैं शौक़-ए-फ़रीदी हूँ, शैदा-ए-'अली हैदर क़िस्मत का सिकंदर हूँ, नादार नहीं कोई हैदर सा ज़माने में सरदार नहीं ...