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मोजिज़ा कितना निराला ये हुआ मेराज में | मेराज को चला दूल्हा / Mojiza Kitna Nirala Ye Hua Meraj Mein | Meraj Ko Chala Dulha

मे'राज को चला दूल्हा, मे'राज को चला दूल्हा मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में ला-मकाँ पहुँचे हबीब-ए-किब्रिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में भीनी भीनी थी हवा और रंग-ए-गुलशन था खिला कोयल-ओ-बुलबुल भी थे नग़्मा-सरा मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में प्यारे आक़ा के क़दम पर हज़रत-ए-जिब्रील ने अपने नूरानी लबों को रख दिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हर तरफ़ शादी रची है, हर कोई है शादमाँ आज महबूब-ए-ख़ुदा दूल्हा बना मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में जान-ए-ईमाँ जान-ए-इंसाँ की सलामी के लिए आसमाँ पर मुंतज़िर थे अंबिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हूर-ओ-ग़िल्माँ और फ़रिश्ते मरहबा कहने लगे जिस घड़ी पहुँचे फ़लक पर मुस्तफ़ा मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में पेश कर के अपना काँधा पा गए आ'ला मक़ाम ग़ौस-ए-आ'ज़म पेशवा-ए-औलिया मे'राज में मो'जिज़ा कितना निराला ये हुआ मे'राज में हम गुनह...

क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है / Qudsi Khade Hain Hairan Ho Ke Ki Sidra Se Aage Bashar Ja Raha Hai

सल्ले-'अला नबिय्येना, सल्ले-'अला मुहम्मदिन सल्ले-'अला शफ़ी'एना, सल्ले-'अला मुहम्मदिन सर-ए-ला-मकाँ से तलब हुई सू-ए-मुंतहा वो चले नबी कोई हद है उन के 'उरूज की सल्लू 'अलैहि व आलिहि क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है वो बन ठन के अपने ख़ालिक़ से मिलने सर-ए-'अर्श वो ताजवर जा रहा है क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है कि जाता है देखो वो बे-ख़ौफ़ कैसे कि सब जानता है राहें वो जैसे वो यूँ जा रहा है जैसे कि कोई घर वाला अपने ही घर जा रहा है क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है वो क़िस्सा हलीमा के आँगन का पूछो जवानी का छोड़ो, बचपन का पूछो अभी मुस्तफ़ा ने उठाई है उँगली क़मर से ये पूछो किधर जा रहा है क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है अक़्सा में जितने भी मुरसल खड़े थे हैरत में सारे के सारे पड़े थे हम उस के पीछे ये क्या पढ़ रहे हैं नमाज़ें वो लेने अगर जा रहा है क़ुदसी खड़े हैं हैरान हो के कि सिदरा से आगे बशर जा रहा है कहाँ तू, ऐ शाकिर ! कहाँ तेरी ना'तें कहाँ अपनी ज़ातें,...

फ़लक पर चाँद जैसा है नबी का नाम ऐसा है / Falak Par Chand Jaisa Hai Nabi Ka Naam Aisa Hai

फ़लक पर चाँद जैसा है, नबी का नाम ऐसा है दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है ये दिल जब ग़म का मारा हो मुहम्मद याद आते हैं जुदा जब कोई प्यारा हो, मुहम्मद याद आते हैं फ़लक पर चाँद जैसा है, नबी का नाम ऐसा है दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है कि उन की याद की शबनम है मरहम मेरे ज़ख़्मों का और उन के नाम की बरकत से दिल तस्कीन पाता है फ़लक पर चाँद जैसा है, नबी का नाम ऐसा है दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है किसी का दिल दुखाओ न सताओ ख़ल्क़-ए-बारी को मेहरबानी का हर रस्ता मदीने को ही जाता है फ़लक पर चाँद जैसा है, नबी का नाम ऐसा है दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है बनो तुम साएबाँ मीठा नबी की सारी उम्मत पर यही उल्फ़त, यही चाहत नबी का नाम देता है फ़लक पर चाँद जैसा है, नबी का नाम ऐसा है दिलों से ग़म मिटाता है, मुहम्मद नाम ऐसा है शायर: अबू अहमद ना'त-ख़्वाँ: हस्सान फ़ारूक़ महमूद हुज़ैफ़ा falak par chaand jaisa hai, nabi ka naam aisa hai dilo.n se Gam miTaata hai, muhammad naam aisa hai ye dil jab Gam ka maara ho muhammad yaad aate hai.n juda j...

ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू / Aye Mere Desh Mera Fakhr Meri Shaan Hai Tu

ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू तुझ पे क़ुर्बान मेरी जान, मेरी जान है तू हम में गांधी भी हैं, नेहरू भी हैं, आज़ाद भी हैं चाँद बीबी भी, भगत सिंग भी, परशाद भी हैं पहले दस्तूर लिखा, साहिब-ए-जमहूर हुए सारी दुनिया में इसी वास्ते मशहूर हुए ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू तुझ पे क़ुर्बान मेरी जान, मेरी जान है तू मेरी हर साँस में खेतों के तेरे ख़ुश्बू है मेरी धड़कन में तिरंगे का तेरे जादू है तू है गर शम'अ तो हम सब तेरे परवाने हैं तू है मय-ख़ाना तो हम सब तेरे पैमाने हैं ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू तुझ पे क़ुर्बान मेरी जान, मेरी जान है तू माँ की है गोद तू, महबूब का आँचल तू है भाई की आन है और बाप सा बादल तू है दिल कहीं और झुके ऐसी ज़मीं कोई नहीं सारी दुनिया में तेरे जैसा हसीं कोई नहीं ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू तुझ पे क़ुर्बान मेरी जान, मेरी जान है तू फ़ौज के वास्ते सरहद ही दुल्हन होती है धूल माथे का तिलक, मिट्टी कफ़न होती है दर ख़ुदा हम पे तरक़्क़ी के कई खोला है सच है हर बार शहीदों का लहू बोला है ऐ मेरे देश मेरा फ़ख़्र मेरी शान है तू तुझ पे क़ुर्बान मेरी जान...

कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मुआविया / Ki Jannati Hain Jannati Sayyidi Muawiya

जन्नती जन्नती हज़रत-ए-मु'आविया अमीर-उल-मोमिनीन ! मु'आविया मु'आविया ! सहाबी-ए-रसूल ! मु'आविया मु'आविया ! कातिब-ए-वही ! मु'आविया मु'आविया ! ख़ालुल-मोमिनीन ! मु'आविया मु'आविया ! मुहिब्ब-ए-अहल-ए-बैत ! मु'आविया मु'आविया ! कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया ख़ुदा का इन पे फ़ज़्ल है, ख़ुदा की इन पे रहमतें हैं फ़ज़्ल-ए-रब से बा-ख़ुदा जन्नती मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया 'अली का मैं ग़ुलाम हूँ, मु'आविया से प्यार है इसी मुनासिबत से ही तो अपना बेड़ा पार है 'अली के सच्चे 'आशिक़ों के लब पे है यही सदा कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया यही 'अक़ीदा है नबी के 'आशिक़ो का बा-ख़ुदा कि जन्नती हैं जन्नती हैं सय्यिदि मु'आविया ये ज़िंदगी है जब तलक कहेंगे हम ये बरमला कि जन्नती हैं जन्नती सय्यिदि मु'आविया कि जन्नती हैं जन्नती...

ऐ प्यारे वतन तेरी धरती को सजाएँगे | मेरी जाँ मेरे दिल की धड़कन हिन्दुस्ताँ / Aye Pyare Watan Teri Dharti Ko Sajaenge | Meri Jaan Mere Dil Ki Dhadkan Hindustan

ऐ प्यारे वतन ! तेरी धरती को सजाएँगे हर सिम्त मोहब्बत के हम फूल खिलाएँगे मेरी जाँ, मेरे दिल की धड़कन हिन्दुस्ताँ सलामत रहे तेरा गुलशन हिन्दुस्ताँ माथे पे तेरे लाली, गोदी में हरियाली निखरे तेरे गुलशन का पत्ता डाली-डाली धरती तेरी धन उगले, ज़रख़ेज़ हो हर बाली हर आँख में जुगनू हो, हर घर में हो ख़ुशहाली सर-मस्त हवाओं में, ख़ुश-रंग फ़ज़ाओं में सब मिल कर गाएँगे उल्फ़त की छाओं में मेरी जाँ, मेरे दिल की धड़कन हिन्दुस्ताँ सलामत रहे तेरा गुलशन हिन्दुस्ताँ एक जोहद-ए-मुसलसल का है क़िस्सा-ए-ला-फ़ानी दोहराते रहेंगे हम पुर्खों की वो क़ुर्बानी झुकने नहीं देंगे हम परचम कभी भारत का रक्खेंगे भरम अपने आबा की रिवायत का तेरा 'इश्क़ लहू में रवाँ है, मेरी जाँ तुझ पे क़ुर्बां है अस्लाफ़ की उम्मीदों का ख़ुश-रंग गुलिस्ताँ है वो औज मिले तुझ को जिस पर न ज़वाल आए ऊँचाई से भी ऊँचा परचम तेरा लहराए हम फ़स्ल-ए-बहार-ए-नौ से तुझ को सजाएँगे ज़र्रों को तेरे मिस्ल-ए-ख़ुर्शीद बनाएँगे हिन्दू हो कि मुस्लिम हो, सिख हो या कि 'ईसाई सब मिल के बढ़ाएँगे इस देश की रा'नाई मेरी जाँ, मेरे दिल की धड़कन हिन्दुस्ताँ सलामत रहे ...

मुआविया की अज़मतों पे जान-ओ-दिल फ़िदा करो | मेरे मुआविया / Muawiya Ki Azmaton Pe Jaan-o-Dil Fida Karo | Mere Muawiya

मेरे मु'आविया ! प्यारे मु'आविया ! मु'आविया की 'अज़मतों पे जान-ओ-दिल फ़िदा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया से प्यार था, मु'आविया से प्यार है मु'आविया का ज़िक्र-ए-ख़ैर जा-ब-जा किया करो मु'आविया कहा करो, मु'आविया कहा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया की 'अज़मतों पे जान-ओ-दिल फ़िदा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया इमाम था, मु'आविया इमाम है मु'आविया के हासिदो ! न दीन से दग़ा करो मु'आविया कहा करो, मु'आविया कहा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया की 'अज़मतों पे जान-ओ-दिल फ़िदा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया के मुन्किरो ! ज़ुबान को लगाम दो मु'आविया के नाम से न रोज़-ओ-शब जला करो मु'आविया कहा करो, मु'आविया कहा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया की 'अज़मतों पे जान-ओ-दिल फ़िदा करो मु'आविया पे मन्क़बत लिखा करो, पढ़ा करो मु'आविया के हासिदीं हसद की आग में जलें मु'आव...

वक़ार-ए-दीन-ए-मुस्तफ़ा मुआविया मुआविया / Waqar-e-Deen-e-Mustafa Muawiya Muawiya

मु'आविया ! मु'आविया ! मु'आविया ! मु'आविया ! हर सहाबी-ए-नबी ! जन्नती जन्नती ! और मु'आविया भी ! जन्नती जन्नती ! वक़ार-ए-दीन-ए-मुस्तफ़ा, मु'आविया मु'आविया हम अहल-ए-हक़ के पेशवा, मु'आविया मु'आविया सहाबी-ए-रसूल है, तू बाग़-ए-हक़ का फूल है है क्या बुलंद मर्तबा, मु'आविया मु'आविया उठेगा जब तू हश्र में, तो होगी रब के फ़ज़्ल से बदन पे नूर की रिदा, मु'आविया मु'आविया किताब का, हिसाब का मु'आविया को 'इल्म दे नबी ने की थी ये दु'आ, मु'आविया मु'आविया मु'आविया को प्यार है नबी के अहल-ए-बैत से मुहिब्ब-ए-आल-ए-मुर्तज़ा, मु'आविया मु'आविया ना'त-ख़्वाँ: मीलाद रज़ा अत्तारी mu'aawiya ! mu'aawiya ! mu'aawiya ! mu'aawiya ! har sahaabi-e-nabi ! jannati jannati ! aur mu'aawiya bhi ! jannati jannati ! waqaar-e-deen-e-mustafa, mu'aawiya mu'aawiya ham ahl-e-haq ke peshwa, mu'aawiya mu'aawiya sahaabi-e-rasool hai, tu baaG-e-haq ka phool hai hai kya buland martaba, mu...

ये मेरा वतन है ये मेरा चमन है | गुलाब, ख़्वाब नस्तरन हर एक सहरा लाला-ज़न / Ye Mera Watan Hai Ye Mera Chaman Hai | Gulab Khwab Nastaran Har Ek Sehra Lalazan

ये मेरा वतन है ! ये मेरा चमन है ! ये मेरा वतन है ! ये मेरा वतन है ! गुलाब, ख़्वाब, नस्तरन, हर एक सहरा लाला-ज़न ये रंग-ओ-बू का क़ाफ़िला, ये मेरे हिन्द का चमन गवाह आसमान है, हज़ार ज़ख़्म खाए हैं फ़रंगियों ने हौसले हमारे आज़माए हैं हवा न साज़गार थी मगर दिए जलाए हैं वतन के 'इश्क़ की 'अजब रही अज़ल से है लगन ये मेरा वतन है ! ये मेरा वतन है ! गुलाब, ख़्वाब, नस्तरन, हर एक सहरा लाला-ज़न ये रंग-ओ-बू का क़ाफ़िला, ये मेरे हिन्द का चमन ग़ुलामी और जब्र से, ख़िज़ाँ-रसीदा था चमन सरों पे बुज़ुर्गान-ए-हिन्द बाँध के चले कफ़न बुलंद कोह से रहा हमेशा 'अज़्म-ए-कोहकन ये हुर्रियत, ये ममलिकत है फ़ैज़-ए-रब्ब-ए-ज़ुल-मिनन ये मेरा वतन है ! ये मेरा वतन है ! गुलाब, ख़्वाब, नस्तरन, हर एक सहरा लाला-ज़न ये रंग-ओ-बू का क़ाफ़िला, ये मेरे हिन्द का चमन ये ख़ाक वो कि जिस से संत-सूफ़िया को प्यार है बहार हो कि हो ख़िज़ाँ यहीं पे बस क़रार है हमारी साँस साँस पे वतन तेरा उधार है दु'आ है चाँद जैसे देश को लगे नहीं गहन ये मेरा वतन है ! ये मेरा वतन है ! गुलाब, ख़्वाब, नस्तरन, हर एक सहरा लाला-ज़न ये रंग-ओ-बू का क़ाफ़िला, ये मेरे हि...

मेहर-ए-बैज़ा है जाफ़र-ए-सादिक़ | दुर्र-ए-यकता है जाफ़र-ए-सादिक़ / Mehr-e-Baiza Hai Jafar-e-Sadiq | Durr-e-Yakta Hai Jafar-e-Sadiq

मेहर-ए-बैज़ा है जा'फ़र-ए-सादिक़ दुर्र-ए-यकता है जा'फ़र-ए-सादिक़ अच्छा अच्छा है जा'फ़र-ए-सादिक़ प्यारा प्यारा है जा'फ़र-ए-सादिक़ शाह-ए-कौनैन की सख़ावत का बहता दरिया है जा'फ़र-ए-सादिक़ बद्र-ए-कामिल को देखता हूँ या तेरा चेहरा है, जा'फ़र-ए-सादिक़ ! जिस से बीमार दिल शिफ़ा पाए वो मसीहा है जा'फ़र-ए-सादिक़ ताजदार-ए-रुसुल, इमाम-ए-कुल तेरा नाना है जा'फ़र-ए-सादिक़ मुर्तज़ा शेर-ए-हक़ का लख़्त-ए-जिगर इब्न-ए-ज़हरा है जा'फ़र-ए-सादिक़ मेरे आक़ा मु'आविया के लिए ख़ूब सुथरा है जा'फ़र-ए-सादिक़ मेरे बाक़िर का तुझ पे और तेरा मुझ पे साया है, जा'फ़र-ए-सादिक़ ! बू-हनीफ़ा हैं जिस के ख़ोशा-चीं जान लो क्या है जा'फ़र-ए-सादिक़ ग़ौस-ए-आ'ज़म का इफ़्तिख़ार है वो मीर-ए-ख़्वाजा है जा'फ़र-ए-सादिक़ हम रज़ा के हैं और रज़ा उस का यूँ हमारा है जा'फ़र-ए-सादिक़ क़ल्ब-ए- अय्यूब ! क्यूँ परेशाँ है तेरा आक़ा है जा'फ़र-ए-सादिक़ शायर: मौलाना अय्यूब रज़ा अमजदी ना'त-ख़्वाँ: अब्दुल मुस्तफ़ा रज़वी अदोनी mehr-e-baiza hai jaa'far-e-saadiq durr-e-yakta hai jaa'far-e-sa...

या नबी मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए / Ya Nabi Mera Naseeba Yun Jagaya Jaae

कर दो करम, या रसूलल्लाह ! कर दो करम, या हबीबल्लाह ! या रसूलल्लाह ! सुन लीजे मेरी फ़रियाद को दिल मेरा ग़मगीन है, ऐ ग़म-ज़दों के ग़म-गुसार ! या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए दिल है बेचैन मुझे दर पे बुलाया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए मदीने क़ाफ़िले जाते हैं, मैं भी आऊँगा हुज़ूर ! कितने ही आते हैं, मैं भी आऊँगा ग़ुलाम आप के जितने ग़रीब हों फिर भी ग़ुलाम आते हैं जाते हैं, मैं भी आऊँगा बाँध कर शाह-ए-मदीना की वफ़ा का एहराम चल, ऐ दिल ! फेरा मदीने का लगाया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए जब कोई पूछे कि जन्नत का है नक़्शा कैसा मेरे आक़ा का उसे रौज़ा दिखाया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए मेरे लजपाल के दरबार से कोई साइल कभी महरूम गया हो तो बताया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए हर घड़ी लुत्फ़ हुज़ूरी का उठाने के लिए सब्ज़ गुंबद को निगाहों में बसाया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए हर तरफ़ से ये सदा आएगी रोज़-ए-महशर मेरे आक़ा ! मुझे दोज़ख़ से बचाया जाए या नबी ! मेरा नसीबा यूँ जगाया जाए काश ! आक़ा ये फ़रिश्तों से कहें जन्नत में है कहाँ सैफ़ , ज़रा उस को बुलाया जाए ...