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कौनैन में उस मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार के जैसा सरकार के जैसा | महबूब-ए-ख़ुदा नबियों के सरदार के जैसा सरकार के जैसा / Kaunain Mein Us Moonis-o-Ghamkhwar Ke Jaisa | Mahboob-e-Khuda Nabiyon Ke Sardar Ke Jaisa Sarkar Ke Jaisa

कौनैन में उस मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार के जैसा, सरकार के जैसा है कौन भला अहमद-ए-मुख़्तार के जैसा, सरकार के जैसा महबूब-ए-ख़ुदा नबियों के सरदार के जैसा, सरकार के जैसा है कौन भला अहमद-ए-मुख़्तार के जैसा, सरकार के जैसा क्या इस में अजब कह दिया सिदरा के मकीं ने, जिब्रील-ए-अमीं ने देखा न कोई सय्यिद-ए-अबरार के जैसा, सरकार के जैसा सिद्दीक़ हों, फ़ारूक़ हों, 'उस्मान-ए-ग़नी हों या मौला 'अली हों है यार कहाँ दुनिया में इन चार के जैसा, सरकार के जैसा वो मौला 'अली शेर-ए-ख़ुदा फ़ातेह-ए-ख़ैबर दामाद-ए-पयम्बर लाए तो कोई हैदर-ए-कर्रार के जैसा, सरकार के जैसा ऐ चाँद ! तेरा हुस्न-ओ-जमाल अपनी जगह है, बिलाल अपनी जगह है आया न कोई इन के ख़रीदार के जैसा, सरकार के जैसा ऐ बाग़-ए-इरम ! तेरी बहारों में नहीं है, हज़ारों में नहीं है तयबा के हसीं उन गुल-ओ-गुलज़ार के जैसा, सरकार के जैसा पलता है सदा आप के टुकड़ों पे ज़माना, हसनैन के नाना ! दरबार कहाँ आप के दरबार के जैसा, सरकार के जैसा इस 'उर्स के मौक़े' पे समाँ ख़ूब बँधा आज, दूल्हा है बना ताज ये नूर चमकता है उस अनवार के जैसा, सरकार के जैसा ऐ साइलो ! दामान-ए-निय...

ख़ुदावंदा मुझे दर्द-ओ-अलम से अब रिहाई दे | मुझे ग़म से रिहाई दे / Khudawanda Mujhe Dard-o-Alam Se Ab Rihai De | Mujhe Gham Se Rihai De

ख़ुदा-वंदा ! मुझे दर्द-ओ-अलम से अब रिहाई दे निकलने की कोई तो राह अब मुझ को दिखाई दे मेरे जज़्बात गरमा दे, मेरी तू रूह तड़पा दे परे जाऊँ फलक के मेरी हिम्मत को रसाई दे जिसे इक आँख भी भाता नहीं हूँ आज मैं, या रब ! उसे जब भी मोहब्बत मुझ से दे तू इंतिहाई दे मुझे मा'लूम है इक घूँट भी हासिल नहीं होगा अगर रोज़-ए-जज़ा मालिक मुझे मेरी कमाई दे अना अपनी अना ही बस मुझे महबूब हो जिस में न दे ऐसी ख़ुदाई तू भले चाहे गदाई दे उसे यक-दम भी तूफ़ानों का आना क्या सताएगा जिसे हर वक़्त आहट बस अजल की ही सुनाई दे अना का इस की, दानिश ! तुम बताओ हश्र क्या होगा जो आँसू ख़ुद बहाए और फिर ख़ुद ही वो दुहाई दे शायर: दानिश आसी नशीद-ख़्वाँ: हाफ़िज़ ज़ुबैर KHuda-wanda ! mujhe dard-o-alam se ab rihaai de nikalne ki koi to raah ab mujh ko dikhaai de mere jazbaat garma de, meri tu rooh ta.Dpa de pare jaau.n phalak ke meri himmat ko rasaai de jise ik aankh bhi bhaata nahi.n hu.n aaj mai.n, ya rab ! use jab bhi mohabbat mujh se de tu intihaai de mujhe maa'loom hai ik ghoonT bhi haasil nahi....

हर इक साँस सल्ले-अला पढ़ रही है / Har Ek Sans Salle Ala Padh Rahi Hai

हर इक साँस सल्ले-'अला पढ़ रही है, मैं नाम-ए-मुहम्मद लिए जा रहा हूँ मुझे मौत आए दर-ए-मुस्तफ़ा पर, इसी आरज़ू में जिए जा रहा हूँ मुझे मिल गई है शराब-ए-मोहब्बत, किसी जाम की अब नहीं है ज़रूरत पिया ग़ौस-ए-आ'ज़म से अहमद रज़ा ने, मैं अहमद रज़ा से पिए जा रहा हूँ ये जो मस्लक-ए-आ'ला हज़रत है, लल्ला ! यही दीन-ए-हक़ की है पहचान वल्लाह जो इस से कटा वो हमारा नहीं है, ये पैग़ाम हर-सू दिए जा रहा हूँ ज़माने में कुछ भी नहीं इस से बढ़ कर, कि हिस्से में आई मेरे ना'त-ए-सरवर वो नज़र-ए-'इनायत किए जा रहे हैं, मैं गुलज़ार ! मिदहत किए जा रहा हूँ शायर: सय्यिद शाह गुलज़ार इस्माइल वास्ती क़ादरी (गुलज़ार-ए-मिल्लत) ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद अब्दुल वसी क़ादरी रज़वी har ik saans salle-'ala pa.Dh rahi hai mai.n naam-e-muhammad liye jaa raha hu.n mujhe maut aae dar-e-mustafa par isi aarzoo me.n jiye jaa raha hu.n mujhe mil gai hai sharaab-e-mohabbat kisi jaam ki ab nahi.n hai zaroorat piya Gaus-e-aa'zam se ahmad raza ne mai.n ahmad raza se piye jaa raha hu.n ye jo maslak-e-aa...

ज़बाँ से क्या मैं कहूँ आप से छुपा क्या है / Zaban Se Kya Main Kahun Aap Se Chhupa Kya Hai

ज़बाँ से क्या मैं कहूँ आप से छुपा क्या है वो जानते हैं मेरे दिल का माजरा क्या है नबी के 'इश्क़ की लज़्ज़त बिलाल से पूछो बिलाल जानते हैं 'इश्क़-ए-मुस्तफ़ा क्या है कहा ख़ुदा ने सर-ए-हश्र बख़्श दी उम्मत मेरे हबीब बता और चाहता क्या है गले में देखा जो पट्टा तेरी ग़ुलामी का कहा नकीरों ने अब इस से पूछना क्या है मेरे हुज़ूर को ख़ुद जैसा बोलने वाले ! तू उन की ज़ात के बारे में जानता क्या है ? वो क्या बताएगा क़ुरआन के रुमूज़ भला जिसे पता ही नहीं शान-ए-मुस्तफ़ा क्या है सुना के नेज़े पे क़ुरआँ 'अली के बेटे ने बता दिया है फ़ना क्या है और बक़ा क्या है ना'त-ख़्वाँ: हाफ़िज़ अहसन क़ादरी सय्यिद अब्दुल वसी क़ादरी zabaa.n se kya mai.n kahu.n aap se chhupa kya hai wo jaante hai.n mere dil ka maajra kya hai nabi ke 'ishq ki lazzat bilaal se poochho bilaal jaante hai.n 'ishq-e-mustafa kya hai kaha KHuda ne sar-e-hashr baKHsh di ummat mere habeeb bata aur chaahta kya hai gale me.n dekha jo paTTa teri Gulaami ka kaha nakeero.n ne ab is se poochhna kya hai mere huzoor ...

करम आज बाला-ए-बाम आ गया है / Karam Aaj Bala-e-Baam Aa Gaya Hai

करम आज बाला-ए-बाम आ गया है ज़बाँ पर मुहम्मद का नाम आ गया है दुरूदों की बारिश है कौन-ओ-मकाँ पर कि आज अंबिया का इमाम आ गया है मुझे मिल गई है दो 'आलम की शाही मेरा उन के मँगतों में नाम आ गया है मेरे पास कुछ भी न था रोज़-ए-महशर नबी का वसीला ही काम आ गया है मज़ा जब है सरकार महशर में कह दें वो देखो हमारा ग़ुलाम आ गया है चराग़ाँ हुआ बज़्म-ए-हस्ती में, ख़ालिद ! निगाहों में हुस्न-ए-तमाम आ गया है शायर: ख़ालिद महमूद नक़्शबंदी ना'त-ख़्वाँ: अल-हाज ख़ुर्शीद अहमद ओवैस रज़ा क़ादरी राओ अली हसनैन karam aaj baala-e-baam aa gaya hai zabaa.n par muhammad ka naam aa gaya hai duroodo.n ki baarish hai kaun-o-makaa.n par ki aaj ambiya ka imaam aa gaya hai mujhe mil gai hai do 'aalam ki shaahi mera un ke mangto.n me.n naam aa gaya hai mere paas kuchh bhi na tha roz-e-mehshar nabi ka waseela hi kaam aa gaya hai maza jab hai sarkaar mehshar me.n keh de.n wo dekho hamaara Gulaam aa gaya hai charaaGaa.n huaa bazm-e-hasti me.n KHaalid ! nigaaho.n me.n husn-e-tamaam aa ...

फ़ख़्र-ए-आदम रश्क-ए-ईसा आप हैं | मुस्तफ़ा-ए-ज़ात-ए-यकता आप हैं तज़मीन के साथ / Fakhr-e-Aadam Rashk-e-Isa Aap Hain | Mustafa-e-Zaat-e-Yakta Aap Hain With Tazmeen

फ़ख़्र-ए-आदम रश्क-ए-'ईसा आप हैं आप हैं हाँ मेरे आक़ा आप हैं ख़ालिक़-ए-अकबर का जल्वा आप हैं मुस्तफ़ा-ए-ज़ात-ए-यकता आप हैं यक ने जिस को यक बनाया, आप हैं यूसुफ़-ओ-या'क़ूब और यहया नहीं नूह-ओ-यूनुस, 'ईसा-ओ-मूसा नहीं सब हैं आ'ला पर कोई ऐसा नहीं आप जैसा कोई हो सकता नहीं अपनी हर ख़ूबी में तन्हा आप हैं का'बा-ए-सर, क़िब्ला-गाह-ए-'आशिक़ाँ ये ज़मीन-ओ-आसमाँ, कौन-ओ-मकाँ ऐ हबीब-ए-किब्रिया फ़ख़्र-ए-ज़माँ ! आप की ख़ातिर बनाए दो जहाँ अपनी ख़ातिर जो बनाया, आप हैं बेकस-ओ-मजबूर का सुल्ताँ तुई हसरत-ओ-चाहत तड़प अरमाँ तुई चारा-ए-ग़म, दर्द का दरमाँ तुई जाँ तुई जानाँ क़रार-ए-जाँ तुई जान-ए-जाँ जान-ए-मसीहा आप हैं आप मंज़िल, रह-रव-ए-मंज़िल हूँ मैं फ़ख़्र है कि तालिब-ए-कामिल हूँ मैं रहम कीजे, आप का बिस्मिल हूँ मैं आप से ख़ुद आप का साइल हूँ मैं जान-ए-जाँ ! मेरी तमन्ना आप हैं कौन रखता है भला इतना ख़याल जो भी आया हो गया है माला-माल कीजिए सय्यद वसी को भी निहाल बर दरत आमद गदा बहर-ए-सुवाल हो भला अख़्तर का, दाता आप हैं कलाम: मुफ़्ती अख़्तर रज़ा ख़ान तज़मीन: सय्यिद अब्दुल वसी क़ादरी रज़वी ना'...

उन की गली की बात न पूछो नक़्शा ही कुछ ऐसा है / Unki Gali Ki Baat Na Poochho Naqsha Hi Kuchh Aisa Hai

उन की गली की बात न पूछो, नक़्शा ही कुछ ऐसा है जन्नत भी क़ुर्बान है जिस पर, तयबा ही कुछ ऐसा है नूर-ए-मुजस्सम ! आप का रू-ए-ज़ेबा ही कुछ ऐसा है देख के क्यूँ ईमान न लाएँ, जल्वा ही कुछ ऐसा है दिल को सुकूँ दे, आँख को ठंडक, रौज़ा ही कुछ ऐसा है फ़र्श-ए-ज़मीं पर 'अर्श-ए-बरीं हो, लगता ही कुछ ऐसा है ज़ुल्फ़-ओ-रुख़, लबहा-ए-मुबारक, पेशानी सुब्हान-अल्लाह आँख मलें जिब्रील भी आ कर, तलवा ही कुछ ऐसा है उन के दर पर ऐसा झुका दिल, उठने का अब होश नहीं अहल-ए-शरी'अत हैं सकते में, सज्दा ही कुछ ऐसा है सिब्त-ए-नबी है पुश्त-ए-नबी पर और सज्दे की हालत है आक़ा ने तस्बीह बढ़ा दी, बेटा ही कुछ ऐसा है ऊँचे ऊँचे ताजवरों का सर है ख़म जिन क़दमों पर मेरे नबी के घर वालों का रुत्बा ही कुछ ऐसा है दोनों जहाँ को यकजा कर दो, तोल न फिर भी पाओगे कर्बल में शब्बीर का, लोगो ! सज्दा ही कुछ ऐसा है जिस सज्दे के सदक़े हम को सज्दे की तौफ़ीक़ हुई आल-ए-नबी औलाद-ए-'अली का सज्दा ही कुछ ऐसा है ना-मुमकिन को मुमकिन कर के शेर का जबड़ा फाड़ दिया ग़ौस के दर पर पलने वाला कुत्ता ही कुछ ऐसा है है ये करामत हिन्द के राजा या'नी मेरे ख़्वा...

दुनिया में कहीं कोई भी ऐसा हो तो बोलो / Duniya Mein Kahin Koi Bhi Aisa Ho To Bola

दुनिया में कहीं कोई भी ऐसा हो तो बोलो अल्लाह के महबूब के जैसा हो तो बोलो रू-ए-शह-ए-बतहा का बयाँ बा'द में करना उन जैसा किसी और का तलवा हो तो बोलो एक नूर-ए-मुजस्सम के 'अलावा भी किसी के क़दमों में शजर चल के जो आया हो तो बोलो मुख़्तार-ए-दो-'आलम के सिवा पेट पे पत्थर दुनिया में किसी शाह ने बाँधा हो तो बोलो जितने भी नबी आए हैं उम्मत के ग़मों में सरकार के जैसा कोई रोया हो तो बोलो पा कर शह-ए-ख़ूबाँ का फ़क़त एक इशारा सहबा में अगर शम्स न लौटा हो तो बोलो आक़ा के सिवा कोई भी सुल्तान-ए-ज़माना एक टूटी चटाई पे जो बैठा हो तो बोलो हैदर के दिलावर की तरह नेज़े पे चढ़ कर क़ुरआन किसी ने भी सुनाया हो तो बोलो सज्दे तो बहुत 'आबिद-ओ-ज़ाहिद ने किए हैं शब्बीर के जैसा कोई सज्दा हो तो बोलो ग़ुस्ताख़ियाँ करते भी शब-ओ-रोज़ वहाबी सरकार की ख़ैरात न खाता हो तो बोलो बस ग़ौस के ना'रे से नहीं काम चलेगा दामन को भी मज़बूती से पकड़ा हो तो बोलो जैसा था मेरे सय्यदी अख़्तर का जनाज़ा ऐसा भी जनाज़ा कहीं देखा हो तो बोलो ज़ाकिर ! किसी नज्दी से ज़बानी नहीं बनती उस के लिए फ़ारूक़ का दुर्रा हो तो बोलो शायर: ज़ाकि...

शहर-ए-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है / Shehr-e-Nabi Teri Galiyon Ka Naqsha Hi Kuchh Aisa Hai

शहर-ए-नबी ! तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़-ए-ज़ियारत, जल्वा ही कुछ ऐसा है दिल को सुकूँ दे, आँख को ठंडक, रौज़ा ही कुछ ऐसा है फ़र्श-ए-ज़मीं पर 'अर्श-ए-बरीं हो, लगता ही कुछ ऐसा है उन के दर पर ऐसा झुका दिल, उठने का अब होश नहीं अहल-ए-शरी'अत हैं सकते में, सज्दा ही कुछ ऐसा है 'अर्श-ए-मु'अल्ला सर पे उठाए, ताइर-ए-सिदरा आँख लगाए पत्थर भी क़िस्मत चमकाए, तल्वा ही कुछ ऐसा है सिब्त-ए-नबी है पुश्त-ए-नबी पर और सज्दे की हालत है आक़ा ने तस्बीह बढ़ा दी, बेटा ही कुछ ऐसा है रब के सिवा देखा न किसी ने, फ़र्शी हों या 'अर्शी हों उन की हक़ीक़त के चेहरे पर पर्दा ही कुछ ऐसा है ताज को अपने कासा बना कर हाज़िर हैं शाहान-ए-जहाँ उन की 'अता ही कुछ ऐसी है, सदक़ा ही कुछ ऐसा है ख़म हैं यहाँ जमशेद-ओ-सिकंदर, इस में क्या हैरानी है ? उन के ग़ुलामों का, ऐ अख़्तर ! रुत्बा ही कुछ ऐसा है शायर: सय्यिद मुहम्मद मदनी मियाँ ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी हसनैन रज़ा अत्तारी shehr-e-nabi teri galiyo.n ka naqsha hi kuchh aisa hai KHuld bhi hai mushtaaq-e-ziy...

शाह-ए-कौनैन के यारों ने बड़ा काम किया / Shah-e-Kaunain Ke Yaaron Ne Bada Kaam Kiya

शाह-ए-कौनैन के यारों ने बड़ा काम किया माल-ओ-जाँ दे के ग़ुलामों ने बड़ा काम किया साँसें लम्बी हुईं, ता'ज़ीम से वो आईं गईं उन के दरबार में साँसों ने बड़ा काम किया हर तरफ़ आज भी मौजूद हैं साजिद, लोगो ! मौला शब्बीर के सज्दों ने बड़ा काम किया जो बड़े हैं वो बड़ा काम किया करते हैं 'अली असग़र ! तेरे होंटों ने बड़ा काम किया देख कर लाखों मुसलमान हुए पल भर में सच में सादात के चेहरों ने बड़ा काम किया पढ़ते ही नज़र-ए-करम चोर बने रब वाले शाह-ए-बग़दाद की नज़रों ने बड़ा काम किया जोगी जयपाल को 'अब्दुल्लाह बना ही डाला मेरे ख़्वाजा की खड़ाओं ने बड़ा काम किया सुल्ह-ए-कुल्ली के इरादों का जनाज़ा निकला आ'ला हज़रत के नबीरों ने बड़ा काम किया 'उर्स-ए-ख़्वाजा में लगा कर के रज़ा का ना'रा फ़ख़्र-ए-अज़हर के दीवानों ने बड़ा काम किया ख़िदमत-ए-दीन, ये दरगाह-ओ-मदरसे का जमाल मेरे गुलज़ार के हाथों ने बड़ा काम किया इल्तिजाएँ मेरी अल्लाह ने पूरी कर दीं सा'दी ! वलियों के वसीलों ने बड़ा काम किया शायर: मुफ़्ती मुहम्मद सुहैल सा'दी ना'त-ख़्वाँ: ज़ाकिर इस्माईली shaah-e-kaunain ke yaaro...

अब शान-ए-सहाबा पे मैं अशआर क्या लिखूँ | जन्नत के शह-सवारों पे अशआर क्या लिखूँ / Ab Shan-e-Sahaba Pe Main Ashaar Kya Likhun | Jannat Ke Shahsawaron Pe Ashaar Kya Likhun

अब शान-ए-सहाबा पे मैं अश'आर क्या लिखूँ जन्नत के शह-सवारों पे अश'आर क्या लिखूँ देते थे जो हर मोड़ पे प्यारे नबी का साथ उन ज़िंदा-दिल जवानों पे अश'आर क्या लिखूँ असहाब सितारे हैं मेरे प्यारे नबी के आक़ा के उन सितारों पे अश'आर क्या लिखूँ असहाब ने आक़ा पे अपनी जानें वार दीं उन जैसे जाँ-निसारों पे अश'आर क्या लिखूँ शागिर्द उन के सारे ज़माने के वली हैं उन वलियों के सरदारों पे अश'आर क्या लिखूँ अतहर ! है इरादा कि कुछ अश'आर मैं लिखूँ लेकिन मैं ताजदारों पे अश'आर क्या लिखूँ शायर: मुहम्मद अतहर जलाली नशीद-ख़्वाँ: मुहम्मद अतहर जलाली ab shaan-e-sahaaba pe mai.n ash'aar kya likhu.n jannat ke shah-sawaaro.n pe ash'aar kya likhu.n dete the jo har mo.D pe pyaare nabi ka saath un zinda-dil jawaano.n pe ash'aar kya likhu.n as.haab sitaare hai.n mere pyaare nabi ke aaqa ke un sitaaro.n pe ash'aar kya likhu.n as.haab ne aaqa pe apni jaane.n waar dee.n un jaise jaa.n-nisaaro.n pe ash'aar kya likhu.n shaagird un ke saare za...

ऐ सबा सरकार की बातें सुना / Aye Saba Sarkar Ki Baatein Suna

ऐ सबा ! सरकार की बातें सुना सय्यिद-ए-अबरार की बातें सुना मैं दुरूदों के हूँ नग़्मे छेड़ता तू मुझे सरकार की बातें सुना फिर महक उट्ठे मेरे ज़ख़्मों के फूल नूर की, गुलज़ार की बातें सुना सब्ज़ गुंबद और सुनहरी जालियाँ मसदर-ए-अनवार की बातें सुना जिस से हासिल हो सुकून-ए-दिल मुझे हाँ ज़रा उस यार की बातें सुना हम न जाने कब मदीने जाएँगे तू मेरे मन-ठार की बातें सुना मैं पढ़ूँ विज्दान में सल्ले-'अला प्यार से तू प्यार की बातें सुना हम को दोज़ख़ से न, ऐ वा'इज़ ! डरा रहमत-ए-ग़फ़्फ़ार की बातें सुना जिस का सदक़ा माँगते हैं दो जहाँ उस सख़ी दरबार की बातें सुना जिस ने बाँटे 'उम्र-भर उम्मत के ग़म मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार की बातें सुना शायद आ जाएँ कभी वो ख़्वाब में वस्ल की, दीदार की बातें सुना है, नियाज़ी ! दम में जब तक दम तेरे अहमद-ए-मुख़्तार की बातें सुना शायर: मौलाना अब्दुल सत्तार नियाज़ी ना'त-ख़्वाँ: अफ़ज़ल नोशाही सरवर हुसैन नक़्शबंदी ai saba ! sarkaar ki baate.n suna sayyid-e-abraar ki baate.n suna mai.n duroodo.n ke hu.n naGme chhe.Dta tu mujhe sarkaar ki baate.n suna...

क्यूँ भला बेकार की बातें करें | हर घड़ी सरकार की बातें करें / Kyun Bhala Bekar Ki Baatein Karein | Har Ghadi Sarkar Ki Baatein Karein

क्यूँ भला बेकार की बातें करें हर घड़ी सरकार की बातें करें सय्यिद-ए-अबरार की बातें करें वाक़िफ़-ए-असरार की बातें करें वद्दुहा वलैल पढ़ कर सुब्ह-ओ-शाम गेसू-ओ-रुख़्सार की बातें करें हम ने देखे हैं बयाबान-ए-'अरब कैसे लाला-ज़ार की बातें करें जिन की पाकी का बयाँ क़ुरआँ में है शाह के घर-बार की बातें करें जिस जगह साइल न लौटे ना-मुराद उस सख़ी दरबार की बातें करें गर्मी-ए-महशर से बचना है अगर गेसू-ए-ख़मदार की बातें करें जो लिखे अहमद रज़ा ने, ऐ 'उबैद ! आओ उन अश'आर की बातें करें शायर: ओवैस रज़ा क़ादरी ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी kyu.n bhala bekaar ki baate.n kare.n har gha.Di sarkaar ki baate.n kare.n sayyid-e-abraar ki baate.n kare.n waaqif-e-asraar ki baate.n kare.n wadduha wallail pa.Dh kar sub.h-o-shaam gesu-o-ruKHsaar ki baate.n kare.n ham ne dekhe hai.n bayaabaan-e-'arab kaise laala-zaar ki baate.n kare.n jin ki paaki ka bayaa.n qur.aa.n me.n hai shaah ke ghar-baar ki baate.n kare.n jis jagah saail na lauTe naa-muraad us ...

जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं / Jis Dar Pe Ghulamon Ke Halaat Badalte Hain

जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं ये अपना 'अक़ीदा है, जाएँगे वो जन्नत में सरकार की सीरत के साँचे में जो ढलते हैं जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं लिल्लाह बुला लीजिए दुख-दर्द के मारों को तयबा की ज़ियारत को अरमान मचलते हैं जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं होता है करम जिन पे सुल्तान-ए-मदीना का तूफ़ान की मौजों से बे-ख़ौफ़ निकलते हैं जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं तू अदना गदा बन जा सरकार की चौखट का सब शाह-ओ-गदा जिन की ख़ैरात पे पलते हैं जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं कहता हूँ, मु'ईन ! उस दम मैं ना'त-ए-शह-ए-वाला जज़्बात मेरे जिस दम अश'आर में ढलते हैं जिस दर पे ग़ुलामों के हालात बदलते हैं आओ उसी आक़ा के दरबार में चलते हैं ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी jis dar pe Gulaamo.n ke haalaat badalte hai.n aao usi aaqa ke darbaar me.n chalte hai.n ye ap...

इस्लाम के ऐ मर्द-ए-मुजाहिद तुझे सलाम / Islam Ke Aye Mard-e-Mujahid Tujhe Salam

इस्लाम के ऐ मर्द-ए-मुजाहिद ! तुझे सलाम ऐ कारवान-ए-'इश्क़ के मुर्शिद ! तुझे सलाम ख़ादिम हुसैन रज़वी अमीर-उल-मुजाहिदीन ! ऐ मेहर-ए-इंक़िलाब, ऐ क़ाइद ! तुझे सलाम आवाज़ तेरी शो'ला-ओ-शमशीर बन गई ऐ जा-नशीन-ए-तारिक़-ओ-ख़ालिद ! तुझे सलाम तू दे गया है 'इश्क़-ए-नबी को नई हयात आ'दाद और शुमार से ज़ाइद तुझे सलाम ता-'उम्र की हिफ़ाज़त-ए-नामूस-ए-मुस्तफ़ा ऐ सुन्नियों के रहबर-ए-राशिद ! तुझे सलाम जब्र-ओ-सितम की छाओं में भी तू डटा रहा रस्म-ए-हुसैनियत के मुजद्दिद ! तुझे सलाम पैग़ाम-ए-हक़ सुनाया भी, उस पर चलाया भी ऐ 'इश्क़-ए-मुस्तफ़ाई के क़ासिद ! तुझे सलाम तुझ पर फ़िदा, ऐ ख़त्म-ए-नुबुव्वत के पहरे-दार ! ऐ पासबान-ए-बाग़-ए-'अक़ाइद ! तुझे सलाम किरदार में भरी थीं 'अज़ीमत की बिजलियाँ तुझ को झुका सके न शदाइद, तुझे सलाम मिल्लत में रूह-ए-'इश्क़ को बेदार कर दिया हैं सारे अहल-ए-हक़ तेरे हामिद, तुझे सलाम करता रहा तू आख़िरी दम तक मुक़ाबला असहाब-ए-बद्र के ऐ मुक़ल्लिद ! तुझे सलाम ऐ सुन्नियत के शेर ! न भूलेंगे हम तुझे हासिल करेंगे तेरे मक़ासिद, तुझे सलाम मशग़ूल हैं दु'आ में फ़रीदी के जान-ओ...

लम याति नज़ीरुका फ़ी नज़रिन मिस्ल-ए-तो न शुद पैदा जाना / Lam Yaati Nazeeruka Fee Nazarin Misl-e-To Na Shud Paida Jana

लम-याति नज़ीरुका फ़ी नज़रिन, मिस्ल-ए-तो न शुद पैदा जाना जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शह-ए-दो-सरा जाना अल-बहरु 'अला वल-मौजु तग़ा, मन बेकस-ओ-तूफ़ाँ होश-रुबा मंजधार में हूँ बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना या शम्सु ! नज़रति इला लैली, चू ब-तयबा रसी 'अर्ज़े ब-कुनी तोरी जोत की झल झल जग में रची, मेरी शब ने न दिन होना जाना लका बदरुन फ़िल-वजहिल-अजमल, ख़त-हाला-ए-मह ज़ुल्फ़ अब्र-ए-अजल तोरे चंदन चंद्र परो कुंडल, रहमत की भरन बरसा जाना अना फ़ी 'अतशि-व्व-सख़ाका अतम, ऐ गेसू-ए-पाक ऐ अब्र-ए-करम ! बरसन हारे रिम-झिम रिम-झिम, दो बूँद इधर भी गिरा जाना या क़ाफ़िलती ज़ीदी अजलक, रहमे बर हसरत-ए-तिश्ना-लबक मोरा जियरा लरजे दरक दरक, तयबा से अभी न सुना जाना वाहन लिसुवै'आतिन ज़हबत, आँ अहद-ए-हुज़ूर-ए-बार-गहत जब याद आवत मोहे कर न परत, दर्दा वो मदीने का जाना अल-क़ल्बु शजि-व्वल्हम्मु-शुजूँ, दिल ज़ार चुनाँ जाँ-ज़ेर चुनूँ पत अपनी बिपत मैं का से कहूँ, मेरा कौन है तेरे सिवा जाना अर्रुहु़ फ़िदाका फ़ज़िद हरक़ा, यक शो'ला दिगर बर्ज़न 'इश्क़ा मोरा तन मन धन सब फूँक दिया, ये जान भी प्यारे जला जाना बस ख़ा...