अल-मदद पीरान-ए-पीर ग़ौस-उल-आज़म दस्तगीर / Al Madad Peeran-e-Peer Ghaus-ul-Azam Dastageer | Al Madad Peeran-e-Peer Ghaus-e-Azam Dastageer
रुत्बा ये विलायत में क्या ग़ौस ने पाया है अल्लाह ने वलियों का सरदार बनाया है है दस्त-ए-'अली सर पर, हसनैन का साया है मेरे ग़ौस की ठोकर ने मुर्दों को जिलाया है अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! लाखों ने उसी दर से तक़दीर बना ली है बग़दादी सँवरिया की हर बात निराली है डूबी हुई कश्ती भी दरिया से निकाली है ये नाम अदब से लो, ये नाम जलाली है अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! हर फ़िक्र से तुम हो कर आज़ाद चले जाओ ले कर के लबों पर तुम फ़रियाद चले जाओ मिलना है अगर तुम को वलियों के शहंशा से ख़्वाजा से इजाज़त लो, बग़दाद चले जाओ अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म दस्त-गीर ! ग़ौर कीजे कि निगाह-ए-ग़ौस का क्या हाल है है क़ुतुब कोई, वली कोई, कोई अब्दाल है दूर है जो ग़ौस से, बद-बख़्त है, बद-हाल है जो दीवाना ग़ौस का है सब में बे-मिसाल है दीन में ख़ुश-हाल है, दुनिया में माला-माल है अल-मदद, पीरान-ए-पीर ! ग़ौस-उल-आ'ज़म द...
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