नबी ने दर पे बुलाया बहुत सुकून में हूँ / Nabi Ne Dar Pe Bulaya Bahut Sukoon Mein Hoon
मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! चमक रहे हैं सितारे, 'उरूज पर क़िस्मत नज़र के सामने उन का दयार जो आया नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मेरा नसीब जगाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने का सफ़र है और मैं नम-दीदा नम-दीदा जबीं अफ़सुर्दा अफ़सुर्दा, क़दम लग़्ज़ीदा लग़्ज़ीदा चला हूँ एक मुजरिम की तरह मैं जानिब-ए-तयबा नज़र शर्मिंदा शर्मिंदा, बदन लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा उदासियों में गुज़रती थी ज़िंदगी पहले उदासियों को मिटाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने आने से पहले तो बे-क़रारी थी मदीने आया तो पाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ किसी ने पूछा कि किस हाल में हो ? कैसे हो ? तो हाल दिल ने सुनाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ जुनैद-ए-क़ासमी ! देखा जो रौज़ा-ए-अनवर क़रार रूह को आया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! शायर: जुनैद क़ासमी ना'त-ख़्वाँ: राओ अली हसनैन madina madina ! madina madina ! chamak rahe hai.n sitaare, 'urooj par...