जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी | नारा-ए-हैदरी या अली या अली / Jis Ke Hathon Mein Hai Zulfiqar-e-Nabi | Nara-e-Haidari Ya Ali Ya Ali
जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी जिस के पहलू में है राहवार-ए-नबी दुख़्तर-ए-मुस्तफ़ा जिस की दुल्हन बनी जिस के बेटों से नस्ल-ए-नबी है चली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जिस के बारे में फ़रमाएँ प्यारे नबी जिस का मौला हूँ मैं, उस का मौला 'अली जिस की तलवार की जग में शोहरत हुई जिस के कुंबे से रस्म-ए-शुजा'अत चली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जिस को शाह-ए-विलायत का दर्जा मिला जीते जी जिस को जन्नत का मुज़्दा मिला सय्यिद-ए-दो-जहाँ जिस को रुत्बा मिला सिलसिले सारे जिस पर हुए मुंतही हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जो 'अली का हुआ, वो नबी का हुआ या 'अली कह दिया सारा ग़म टल गया वो हैं ख़ैबर-शिकन और शेर-ए-ख़ुदा नाम से उन के हर रंज-ओ-कुल्फ़त टली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली सय्यिदों के वही जद्द-ए-आ'ला भी हैं मेरे नाना भी हैं, मेरे दादा भी हैं मेरे आक़ा भी हैं, मेरे मौला भी...