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नबी ने दर पे बुलाया बहुत सुकून में हूँ / Nabi Ne Dar Pe Bulaya Bahut Sukoon Mein Hoon

मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! चमक रहे हैं सितारे, 'उरूज पर क़िस्मत नज़र के सामने उन का दयार जो आया नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मेरा नसीब जगाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने का सफ़र है और मैं नम-दीदा नम-दीदा जबीं अफ़सुर्दा अफ़सुर्दा, क़दम लग़्ज़ीदा लग़्ज़ीदा चला हूँ एक मुजरिम की तरह मैं जानिब-ए-तयबा नज़र शर्मिंदा शर्मिंदा, बदन लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा उदासियों में गुज़रती थी ज़िंदगी पहले उदासियों को मिटाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीने आने से पहले तो बे-क़रारी थी मदीने आया तो पाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ किसी ने पूछा कि किस हाल में हो ? कैसे हो ? तो हाल दिल ने सुनाया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ जुनैद-ए-क़ासमी ! देखा जो रौज़ा-ए-अनवर क़रार रूह को आया, बहुत सुकून में हूँ नबी ने दर पे बुलाया, बहुत सुकून में हूँ मदीना मदीना ! मदीना मदीना ! शायर: जुनैद क़ासमी ना'त-ख़्वाँ: राओ अली हसनैन madina madina ! madina madina ! chamak rahe hai.n sitaare, 'urooj par...

रौनक़-ए-ज़िंदगी आप हैं आप हैं / Raunaq-e-Zindagi Aap Hain Aap Hain

रौनक़-ए-ज़िंदगी आप हैं आप हैं मेरी सारी ख़ुशी आप हैं आप हैं कौन होगा इमाम-ए-सफ़-ए-अंबिया बोले सारे नबी आप हैं आप हैं आस मेरी सर-ए-हश्र और क़ब्र में पहली और आख़िरी आप हैं आप हैं मेरे दामन में ज़हरा की ख़ैरात है क्यूँ हो मुझ को कमी, आप हैं आप हैं शाह-ए-ख़ैबर-शिकन शामिल-ए-पंजतन या 'अली या 'अली ! आप हैं आप हैं सारी दुनिया में अल्ताफ़ को आबरू जिन के सदक़े मिली, आप हैं आप हैं शायर: सय्यिद अल्ताफ़शाह काज़मी ना'त-ख़्वाँ: मीलाद रज़ा क़ादरी raunaq-e-zindagi aap hai.n aap hai.n meri saari KHushi aap hai.n aap hai.n kaun hoga imaam-e-saf-e-ambiya bole saare nabi aap hai.n aap hai.n aas meri sar-e-hashr aur qabr me.n pehli aur aaKHiri aap hai.n aap hai.n mere daaman me.n zahra ki KHairaat hai kyu.n ho mujh ko kami, aap hai.n aap hai.n shaah-e-KHaibar-shikan shaamil-e-panjtan ya 'ali ya 'ali ! aap hai.n aap hai.n saari duniya me.n Altaf ko aabroo jin ke sadqe mili, aap hai.n aap hai.n Poet: Syed Altaf Shah Kazmi Naat-Khwaan: Milad Raza Qadri Ro...

काश वो चेहरा मेरी आँख ने देखा होता / Kash Wo Chehra Meri Aankh Ne Dekha Hota

काश ! वो चेहरा मेरी आँख ने देखा होता मुझ को तक़दीर ने उस दौर में लिक्खा होता बातें सुनता मैं कभी, पूछता मा'नी उन के आप के सामने असहाब में बैठा होता आयतें अब्र हैं और दश्त ज़माने सारे हम कहाँ जाते अगर प्यास ने घेरा होता हर सियाह रात में सूरज हैं हदीसें उन की वो न आते तो ज़माने में अँधेरा होता फ़ख़री ! जब मस्जिद-ए-नबवी में अज़ानें होतीं मैं मदीने से गुज़रता हुआ झोंका होता शायर: ज़ाहिद फ़ख़री ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद मंज़ूर-उल-कौनैन सय्यिद ज़बीब मसूद kaash ! wo chehra meri aankh ne dekha hota mujh ko taqdeer ne us daur me.n likkha hota baate.n sunta mai.n kabhi, poochhta maa'ni un ke aap ke saamne as.haab me.n baiTha hota aayate.n abr hai.n aur dasht zamaane saare ham kahaa.n jaate agar pyaas ne ghera hota har siyaah raat me.n sooraj hai.n hadeese.n un ki wo na aate to zamaane me.n andhera hota FaKHri ! jab masjid-e-nabawi me.n azaane.n hoti.n mai.n madine se guzarta huaa jhonka hota Poet: Zahid Fakhri Naat-Khwaan: Syed Manzur ul Konain Syed Zabee...

हर दिल में जो रहते हैं वो मेरे मुहम्मद हैं / Har Dil Mein Jo Rehte Hain Wo Mere Muhammad Hain

हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं जो रब को भी प्यारे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं हर दिल में जो रहते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं महबूब ख़ुदा के हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं ये शान है बचपन की, उँगली के इशारे से जो चाँद हिलाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं सीरत है बड़ी प्यारी, अख़्लाक़ भी आ'ला है दुश्मन भी जो माने हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं क़ुर्बान समा'अत पर जो जानवरों की भी बोली को समझते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं मे'राज-ए-नबी ऐसी, अल्लाह को देख आए ए'ज़ाज़ ये रखते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं कुफ़्फ़ार भी हैराँ हैं कि पेड़ खजूरों का बिन बीज उगाते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं घबराओ न, दीवानो ! जो दिल में है वो माँगो हर बात जो सुनते हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं परवान ! किताबों में ग़ैरों ने भी लिक्खा है दुनिया में जो सच्चे हैं, वो मेरे मुहम्मद हैं शायर: मुहम्मद शफ़ीक़ अल्लाह यार परवान ना'त-ख़्वाँ: हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी मुहम्मद हस्सान रज़ा क़ादरी जवेरिआ सलीम har dil me.n jo rehte hai.n, wo mere muhammad hai.n jo rab ko bhi pyaare hai.n, wo mere muhammad hai.n har dil ...

की की न कीता यार ने इक यार वास्ते / Ki Ki Na Kita Yaar Ne Ik Yaar Waste

की की न कीता यार ने इक यार वास्ते रब महफ़िलाँ सजाइयाँ ने सरकार वास्ते दिल याद लई बनाया ए, ता'रीफ़ लई ज़ुबाँ अखियाँ बनाइयाँ सोहणे दे दीदार वास्ते कइयाँ नूँ रोज़ होंदे नें दीदार आप दे कई कई तरस दे रहंदे नें दीदार वास्ते सदक़ा नबी दी आल दा बख़्शे ख़ुदा शिफ़ा मँगो दु'आवाँ मेरे जए बीमार वास्ते गुज़रे, नियाज़ी ! ज़िंदगी 'इश्क़-ए-नबी दे विच ना'ताँ मैं पढ़ दा रहवाँ मिठन मँठार वास्ते शायर: मौलाना अब्दुल सत्तार नियाज़ी ना'त-ख़्वाँ: अल-हाज ख़ुर्शीद अहमद ओवैस रज़ा क़ादरी सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी ki ki na keeta yaar ne ik yaar waaste rab mehfilaa.n sajaaiyaa.n ne sarkaar waaste dil yaad lai banaya ae, taa'reef lai zubaa.n aakhiyaa.n banaaiyaa.n sohne de deedaar waaste kaiyaa.n nu.n roz honde ne.n deedaar aap de kai kai taras de rehnde ne.n deedaar waaste sadqa nabi di aal da baKHshe KHuda shifa mango du'aawaa.n mere jae beemaar waaste guzre, Niyazi ! zindagi 'ishq-e-nabi de wich naa'taa.n mai.n pa.Dh da rahwaa.n miThan manThaar waaste ...

सर अपना कटा देंगे तेरे नाम की ख़ातिर | इस्लाम की ख़ातिर / Sar Apna Kata Denge Tere Naam Ki Khatir | Islam Ki Khatir

इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर बंदे हैं, मुसलमान हैं, ईमान है तुझ पर ये माल है क्या, जान भी क़ुर्बान है तुझ पर बस अपना तवक्कुल, ऐ निगहबान ! है तुझ पर सर अपना कटा देंगे तेरे नाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर जो कुछ था उठा लाए हैं, घर कुछ नहीं छोड़ा कंबल है बदन पर जिसे काँटों से है जोड़ा सिद्दीक़ ने बातिल का ग़ुरूर इस तरह तोड़ा सब दे दिया मज़हब के लिए काम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर ज़ेहनों से बड़े छोटे का हर फ़र्क़ मिटाया पैदल चले, ख़ादिम को सवारी पे बिठाया जागे हैं 'उमर, चैन से सोई है रि'आया अल्लाह जो देगा उसी इन'आम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर वो ज़ुल्म तड़प उठता है दिल सुन के हिकायत मज़लूम-ए-मदीना पे जो टूटी थी क़यामत रोज़े में हुई हज़रत-ए-'उस्माँ की शहादत क़ुरआन की आयात के पैग़ाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इस्लाम की ख़ातिर, इस्लाम की ख़ातिर इक वार में मरहब को ठिकाने से लगाया ख़...

झुकी हुई है जबीन-ए-दिल भी लबों पे आक़ा का नाम आया / Jhuki Hui Hai Jabeen-e-Dil Bhi Labon Pe Aaqa Ka Naam Aaya

झुकी हुई है जबीन-ए-दिल भी लबों पे आक़ा का नाम आया क़लम भी लगता है सर-ब-सज्दा अदब का ऐसा मक़ाम आया हुज़ूर-ए-वाला की ज़ात पर जब सलाम भेजा तो फिर न पूछो ख़ुदा की जानिब से मेरी जानिब ख़ुदा के घर से सलाम आया हुआ ये महसूस जाम-ए-कौसर छलक रहा है मेरी नज़र में जो मेरे आक़ा के ज़िक्र-ए-अनवर का मेरे होंटों पे जाम आया वहीं वहीं पर परों को अपने बिछा दिया है मलाइका ने जहाँ जहाँ भी रसूल-ए-अरबी ख़ुदा का देने पयाम आया मे'राज की शब रसूलों नबियों ने देखा जब तो पुकार उट्ठे उठो और उठ कर सफ़ें बनाओ है आज हमारा इमाम आया नबी के दीं पे लुटा के सब कुछ हुसैन इब्न-ए-'अली थे बोले हमीं वो हैं जिन के हिस्से में बस शहादतों का है जाम आया आ'माल तो न थे मेरे अच्छे ब-रोज़-ए-महशर हुई है बख़्शिश क़बर हशर में है सय्यिदा का अदब ही बस मेरे काम आया शहाब ! दिल की ये आरज़ू है रसूल-ए-अकरम के दर पे जा के सदा लगाऊँ नवाज़ दीजे, हुज़ूर ! दर पर ग़ुलाम आया शायर: मुहम्मद शहाबुद्दीन सैफ़ी ना'त-ख़्वाँ: उमेर मुनीर क़ादरी jhuki hui hai jabeen-e-dil bhi labo.n pe aaqa ka naam aaya qalam bhi lagta hai sar-ba-sajda...

मैं जा रहा हूँ दर-ए-नबी पर दुरूद ले कर सलाम ले कर / Main Ja Raha Hun Dar-e-Nabi Par Durood Le Kar Salam Le Kar

मैं जा रहा हूँ दर-ए-नबी पर, दुरूद ले कर, सलाम ले कर तलाश-ए-हक़ में निकल पड़ा हूँ, ख़ुदा-ए-बरतर का नाम ले कर निगाहें पुर-नम हैं, दिल हज़ीं है, नज़ारे पल पल मचल रहे हैं रवाँ-दवाँ हूँ हरम की जानिब मैं दर्द-ए-दिल का दवाम ले कर कोई न पूछे कि मैं कहाँ हूँ, मैं कौन था और अब मैं क्या हूँ मैं बारगाह-ए-ख़ुदा में निकला हूँ दिल बनाने का काम ले कर झुकी झुकी हैं मेरी निगाहें, तलब की दिल में उठी हैं आहें दयार-ए-हक़ में पहुँच रहा हूँ शिकस्ता दिल का निज़ाम ले कर दु'आएँ करना हमारे हक़ में, मैं आप के हक़ में हूँ दु'आ-गो सुनाने निकला हूँ दिल के दुखड़े ग़म-ए-ख़वास-ओ-'अवाम ले कर ग़िलाफ़-ए-का'बा पकड़ पकड़ कर, फ़ुग़ाँ करूँगा मैं चीख़ चीख़ कर कहूँगा, या रब ! है बंदा हाज़िर उम्मीद-ए-रहमत का दाम ले कर नहीं है नेकी की कुछ भी पूँजी, तलाश-ए-जन्नत में आ पड़ा हूँ गुनाहगारी की सुब्ह ले कर, गुनाहगारी की शाम ले कर मदीना जा कर मैं क्या कहूँगा, बहाना रौज़ा पे क्या करूँगा कमाल-ए-दा'वा-ए-'इश्क़ ले कर, दलील बस ना-तमाम ले कर हफ़ीज़ ! देखो सँभल के जाना, दयार-ए-तयबा में जा रहे हो नबी से कहना मैं आ रहा हूँ दुखी द...

तौबा का दरवाज़ा खुला है तौबा अस्तग़फ़ार करो / Tauba Ka Darwaza Khula Hai Tauba Astaghfar Karo

तौबा का दरवाज़ा खुला है, तौबा अस्तग़फ़ार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो अल्लाह त'आला फ़रमाता है, मैं ही बख़्शने वाला हूँ तौबा करने वाला बन जा, माफ़ मैं करने वाला हूँ मेरे बंदो ! सिद्क़-ए-दिल से तौबा तो कर के देखो अपनी रहमत काएनात पे मैं बरसाने वाला हूँ नेकी के रस्तों पर आओ, तक़्वा इख़्तियार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो अच्छाई का रस्ता हम को जन्नत तक ले जाता है और शैतान उन्हीं रस्तों पे मुँह तकता रह जाता है वो इंसान जो ख़ुद शैतान के हर्बों को नाकाम करे वो ही तो दरअस्ल ज़माने में मोमिन कहलाता है बुराई के गंदे रस्तों पर चलने से इंकार करो गुनाह से नफ़रत करो हमेशा और नेकी से प्यार करो शायर: बाबू फ़राज़ नशीद-ख़्वाँ: नवल ख़ान tauba ka darwaaza khula hai, tauba astaGfaar karo gunah se nafrat karo hamesha aur neki se pyaar karo allah ta'aala farmaata hai, mai.n hi baKHshne waala hu.n tauba karne waala ban ja, maaf mai.n karne waala hu.n mere bando ! sidq-e-dil se tauba to kar ke deko apni rahmat kaaenaat pe mai.n barsaane w...

दिल तड़पने लगा आँख रोने लगी | मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई / Dil Tadapne Laga Aankh Rone Lagi | Mustafa Jaan-e-Rehmat Ki Yaad Aa Gai

दिल तड़पने लगा, आँख रोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई जब घटा छाई बरसात होने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई उलझनों ने ज़माने की उलझा दिया मेरे अपनों ने भी मुझ को ठुकरा दिया दुनिया ता'नों के नश्तर चुभोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई कौन हमदर्द है मेरा, जाऊँ कहाँ सोचता था सुनाऊँ किसे दास्ताँ ज़िंदगी ग़म के मोती पिरोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई फ़िक्र का सारा पानी उतरने लगा ग़म के दरियाओं से मैं उभरने लगा कश्ती-ए-ज़िंदगी जब डुबोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई ये मोहब्बत है, इस में तड़पना भी है देर है पर मदीने को जाना भी है थक के जब मुफ़्लिसी रो के सोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई ऐ स'ईद ! 'इश्क़ में ये मक़ाम आ गया मेरे होंटों पे तयबा का नाम आ गया याद तयबा की पलकें भिगोने लगी मुस्तफ़ा जान-ए-रहमत की याद आ गई शायर: सईद अख़्तर जोखनपुरी ना'त-ख़्वाँ: सईद अख़्तर जोखनपुरी dil ta.Dapne laga aankh rone lagi mustafa jaan-e-rahmat ki yaad aa gai jab ghaTa chhaai barsaat hone lagi mustafa jaan-e-rahmat ki yaad aa ...

सर झुकाए हैं फ़रिश्ते हाज़िरी क्या चीज़ है / Sar Jhukae Hain Farishte Haziri Kya Cheez Hai

सर झुकाए हैं फ़रिश्ते, हाज़िरी क्या चीज़ है अल्लाह अल्लाह उन के दर की नौकरी क्या चीज़ है बुलबुल-ए-सिदरा भी उन की ज़ात से वाक़िफ़ नहीं दो टके का देवबंदी मौलवी क्या चीज़ है मौत जब आना तो आना रौज़ा-ए-सरकार पर फिर बताऊँगा तुझे मैं ज़िंदगी क्या चीज़ है आ'ला हज़रत से मिला है ना'त-गोई का मिज़ाज आप ने समझा दिया कि शा'इरी क्या चीज़ है यार-ए-ग़ार-ए-मुस्तफ़ा से पूछना, काशिफ़ ! कभी 'इश्क़ कहते हैं किसे और 'आशिक़ी क्या चीज़ है शायर: अख़्तर काशिफ़ ना'त-ख़्वाँ: अख़्तर काशिफ़ sar jhukaae hai.n farishte, haaziri kya cheez hai allah allah un ke dar ki naukri kya cheez hai bulbul-e-sidra bhi un ki zaat se waaqif nahi.n do Take ka deobandi maulwi kya cheez hai maut jab aana to aana rauza-e-sarkaar par phir bataaunga tujhe mai.n zindagi kya cheez hai aa'la hazrat se mila hai naa't-goi ka mizaaj aap ne samjha diya ki shaa'iri kya cheez hai yaar-e-Gaar-e-mustafa se poochhna, Kaashif ! kabhi 'ishq kehte hai.n kise aur 'aashiqi kya cheez hai Poet...

ज़ुल्फ़ें तेरी वल्लैल हैं रुख़्सार का क्या पूछना / Zulfein Teri Wallail Hain Rukhsar Ka Kya Poochhna

ज़ुल्फ़ें तेरी वल्लैल हैं, रुख़्सार का क्या पूछना हसनैन के नाना ! तेरे दीदार का क्या पूछना छू कर तुझे ऐसा लगा, 'इस्याँ बदन के झड़ गए ऐ ख़ाना-ए-का'बा ! तेरी दीवार का क्या पूछना रुख़ दिन है या उन की महक, सरवर कहूँ, फिर के गली ऐ आ'ला हज़रत ! आप के अश'आर का क्या पूछना तू क़ासिम-ए-ने'मत भी है और मालिक-ए-जन्नत भी है सूरत तेरी बे-मिस्ल है, किरदार का क्या पूछना हर आदमी मसरूर है, हर इक गली पुर-नूर है काशिफ़ ! नबी के शहर में अनवार का क्या पूछना शायर: अख़्तर काशिफ़ ना'त-ख़्वाँ: अख़्तर काशिफ़ zulfe.n teri wallail hai.n, ruKHsaar ka kya poochhna hasnain ke naana ! tere deedaar ka kya poochhna chhu kar tujhe aisa laga, 'isyaa.n badan ke jha.D gae ai KHaana-e-kaa'ba ! teri deewaar ka kya poochhna ruKH din hai ya un ki mahak, sarwar kahu.n, phir ke gali ai aa'la hazrat ! aap ke ash'aar ka kya poochhna tu qaasim-e-ne'mat bhi hai aur maalik-e-jannat bhi hai soorat teri be-misl hai, kirdaar ka kya poochhna har aadmi masroor hai, har i...

हमारा सोया नसीबा जगा दिया जाए / Hamara Soya Naseeba Jaga Diya Jaye

हमारा सोया नसीबा जगा दिया जाए हुज़ूर ! 'अर्ज़ है तयबा दिखा दिया जाए शिफ़ा जिसे नहीं मिलती कहीं ज़माने में तो उस मरीज़ को ज़मज़म पिला दिया जाए 'उमर ने देख लिया जब हुज़ूर का चेहरा कहा हुज़ूर से कलमा पढ़ा दिया जाए कहा ये साँप ने दीदार की तमन्ना है ऐ यार-ए-गार ! अँगूठा हटा दिया जाए ज़ुलैख़ा उँगली नहीं जान भी लुटाएगी अगर हुज़ूर का चेहरा दिखा दिया जाए नज़र जिसे नहीं आए हुज़ूर की 'अज़मत उसे बरेली का सुरमा लगा दिया जाए ब-रोज़-ए-हश्र जहन्नम कहेगी, ऐ मौला ! जो मुस्तफ़ा का नहीं है जला दिया जाए वो मिट गया है जो उलझा है मेरे ख़्वाजा से फ़सादियों को ज़रा ये बता दिया जाए मिलेगी मस्जिद-ए-अक़्सा को फिर से आज़ादी अगर 'उमर को दोबारा बुला लिया जाए सुकून क़ल्ब को हासिल हो इस लिए, 'अज़मत ! नबी की ना'त का नग़्मा सुना दिया जाए शायर: अज़मत रज़ा भागलपुरी ना'त-ख़्वाँ: अज़मत रज़ा भागलपुरी hamaara soya naseeba jaga diya jaae huzoor ! 'arz hai tayba dikha diya jaae shifa jise nahi.n milti kahi.n zamaane me.n to us mareez ko zamzam pila diya jaae 'umar ne dekh liya j...

मेरे रब कहाँ पे नहीं है तू | तेरी शान जल्ला-जलालुहू / Mere Rab Kahan Pe Nahin Hai Tu | Teri Shaan Jallajalaluhu

मेरे रब ! कहाँ पे नहीं है तू तेरी शान जल्ला-जलालुहू तेरी ज़र्रे ज़र्रे में है नमू तेरी शान जल्ला-जलालुहू तेरी क़ुदरतों का शुमार क्या तेरी वुस'अतों का हिसाब क्या तू मुहीत-ए-'आलम-ए-रंग-ओ-बू तेरी शान जल्ला-जलालुहू तेरा फ़ैज़ फ़ैज़-ए-'अमीम है तू ही मेरा रब्ब-ए-करीम है मेरे दिल में है तेरी आरज़ू तेरी शान जल्ला-जलालुहू जिसे चाहे तू वो 'अज़ीज़ है जिसे तू न चाहे ज़लील है तेरे हाथ ज़िल्लत-ओ-आबरू तेरी शान जल्ला-जलालुहू कभी हम्द तेरी लबों पे हो कभी ना'त तेरे हबीब की है रियाज़ की यही आरज़ू तेरी शान जल्ला-जलालुहू शायर: सय्यिद मुहम्मद रियाज़ुद्दीन सोहरवर्दी ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद फ़सीहुद्दीन सोहरवर्दी सय्यिद अहमद सोहरवर्दी mere rab ! kahaa.n pe nahi.n hai tu teri shaan jalla-jalaaluhu teri zarre zarre me.n hai namu teri shaan jalla-jalaaluhu teri qudrato.n ka shumaar kya teri wus'ato.n ka hisaab kya tu muheet-e-'aalam-e-rang-o-bu teri shaan jalla-jalaaluhu tera faiz faiz-e-'ameem hai tu hi mera rabb-e-kareem hai mere dil me.n hai ...

दियार मेरे हबीब का है न चल यहाँ सर उठा उठा कर / Diyar Mere Habib Ka Hai Na Chal Yahan Sar Utha Utha Kar

दियार मेरे हबीब का है, न चल यहाँ सर उठा उठा कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर दर-ए-नबी पर जो हाज़िरी दूँ, सलाम लाखों मैं उन पे भेजूँ बड़े अदब से मैं ना'त-ए-अक़दस सुनाऊँ सर को झुका झुका कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर दियार मेरे हबीब का है, न चल यहाँ सर उठा उठा कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर सना-ए-सरवर अदा हो कैसे, हर एक लम्हा इसी में गुज़रे ब-फ़ज़्ल-ए-रब्बी जो शे'र उतरे, तो ख़ुश हों उन को सुना सुना कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर दियार मेरे हबीब का है, न चल यहाँ सर उठा उठा कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर 'अज़ीज़-तर है नबी की सीरत, है लब पे मेरे नबी की मिदहत जो ना'त मैं ने लिखी है अब तक सना की शम'एँ जला जला कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर दियार मेरे हबीब का है, न चल यहाँ सर उठा उठा कर यही वो दर है जहाँ मलाइक हैं आते पलकें बिछा बिछा कर यक़ीं है मुझ को ब-फ़ज़्ल-ए-रब्बी ज़रूर होगी वो मेरी पूरी दर-ए-नबी पर दु'आ जो माँगूँ मैं अपना दु...

मुस्तफ़ा मुज्तबा ख़ातम-उल-अंबिया | हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर / Mustafa Mujtaba Khatam-ul-Ambiya | Hon Hazaron Durood-o-Salam Aap Par

मुस्तफ़ा मुज्तबा ख़ातम-उल-अंबिया ! हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर शान-ए-रब्ब-उल-'उला सूरत-ए-हक़-नुमा हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर आप हैं वज्ह-ए-तख़्लीक़-ए-अर्ज़-ओ-समा आप ही इब्तिदा, आप ही इंतिहा सिदरतुल-मुंतहा आप के ज़ेर-ए-पा हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर क़ाबा-क़ौसैन है आप की शान में ना'त है आप की सारे क़ुरआन में आप की ज़ात ममदूह-ए-ज़ात-ए-ख़ुदा हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर आप शम्सुद्दुहा, आप बदरुद्दुजा आप नूर-उल-हुदा, आप ख़ैर-उल-वरा शम'-ए-बज़्म-ए-हुदा, शाहिद-ए-किब्रिया हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर ज़ात-ए-मुतलक़ का रौशन निशाँ बन गई इस्म-ए-आ'ज़म जभी तो है ज़ात आप की इस वसीले सुनी रब ने सब की दु'आ हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर आप की है 'अता, अम्न-ओ-'अद्ल-ओ-जज़ा हुस्न-ए-ख़ुल्क़ और तक़्वा-ओ-जूद-ओ-सख़ा रिफ़्क़-ओ-ईसार, 'अज़्म और मेहर-ओ-वफ़ा हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर भेजता है दुरूद आप पर ख़ुद ख़ुदा सब फ़रिश्ते, सभी अंबिया औलिया 'अर्ज़ करता है ये 'आजिज़-ओ-पुर-ख़ता हों हज़ारों दुरूद-ओ-सलाम आप पर आप को हक़ ने मुख़्तार-ए-'आलम किया की 'अता आप को ने...