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न ऐसी ज़ुल्फ़ें न ऐसा चेहरा न यूँ किसी पे शबाब होगा / Na Aisi Zulfein Na Aisa Chehra Na Yun Kisi Pe Shabab Hoga

न ऐसी ज़ुल्फ़ें, न ऐसा चेहरा, न यूँ किसी पे शबाब होगा जवाब होंगे सभी के लेकिन, न मुस्तफ़ा का जवाब होगा जो चेहरा निकले तो होगी सुब्ह, जो ज़ुल्फ़ बिखरे तो रात होगी पसीना उन का गिरेगा जिस पर, वही तो ज़र्रा गुलाब होगा ब-रोज़-ए-महशर हसीन सारे, इकट्ठे होंगे मुक़ाबले को तो सब से पहले यक़ीन मानो बिलाल का इंतिख़ाब होगा कि इतने लाशे पड़े हैं करबल, हुसैन का सर कहाँ है बोलो ? जवाब आया, कहीं वो नेज़े पे पढ़ता उम्म-उल-किताब होगा नबी का रौज़ा हमारी जाँ है, उसी के दर्शन से ज़िंदगी है कभी जो निकले कू-ए-नबी से तो मरना-जीना 'अज़ाब होगा ये ज़ेर-ए-मदफ़न फ़रिश्ते बोले, सुनाओ आक़ा की ना'त, हाकिम ! तुम्हें सुना कर सवाब होगा, तो हम को सुन कर सवाब होगा शायर: अहमद अली हाकिम ना'त-ख़्वाँ: अहमद अली हाकिम सय्यिद अरशद शाह जावेद रज़ा अब्दुल अज़ीज़ मुहम्मदी na aisi zulfe.n na aisa chehra na yu.n kisi pe shabaab hoga jawaab honge sabhi ke lekin na mustafa ka jawaab hoga jo chehra nikle to hogi sub.h jo zulf bikhre to raat hogi paseena un ka girega jis par wahi to zarra gulaab hoga ba-roz-...

क्यूँ चाँद में खोए हो उलझे हो सितारों में / Kyun Chand Mein Khoye Ho Uljhe Ho Sitaron Mein

क्यूँ चाँद में खोए हो, उलझे हो सितारों में आक़ा को मेरे ढूँडो क़ुरआन के पारों में उन के ही पसीने की ख़ुश्बू है बहारों में उन की ही तजल्ली है इन चाँद-सितारों में सरकार-ए-दो-'आलम की उल्फ़त में जो मरते हैं अल्लाह के वो बंदे ज़िंदा हैं मज़ारों में ऐ काश ! कबूतर ही हम बन के रहे होते उस गुंबद-ए-ख़ज़रा के पुर-नूर मिनारों में जिब्रील-ए-अमीं बोले, सिदरा के मकीं बोले तुम सा न हसीं देखा लाखों में हज़ारों में रिज़वाँ ! तेरी जन्नत को देखूँ जो मिले फ़ुर्सत खोई हैं अभी नज़रें तयबा के नज़ारों में आ तुझ को बता दूँ कि जन्नत किसे कहते हैं आ बैठ ज़रा मिल कर हम दर्द के मारों में अल्लाह ने उम्मत की बख़्शिश का किया वा'दा महबूब को जब देखा रोते हुए ग़ारों में तयबा के फ़क़ीरों की ठोकर में ज़माना है तारीख़ बताती है ये राज़ इशारों में ना'त-ख़्वाँ: तसनीम आरिफ़ सय्यिद रेहान क़ादरी जावेद रज़ा kyu.n chaand me.n khoye ho, uljhe ho sitaaro.n me.n aaqa ko mere DhoonDo qur.aan ke paaro.n me.n un ke hi paseene ki KHushboo hai bahaaro.n me.n un ki hi tajalli hai in chaand-sitaaro.n me.n s...

मस्कन-ए-मुस्तफ़ा मदीना है | क्या बताऊँ कि क्या मदीना है तज़मीन के साथ / Maskan-e-Mustafa Madina Hai | Kya Bataun Ki Kya Madina Hai With Tazmeen

मस्कन-ए-मुस्तफ़ा मदीना है रहमतों से भरा मदीना है 'अक़्ल से मा-वरा मदीना है क्या बताऊँ कि क्या मदीना है बस मेरा मुद्द'आ मदीना है पी के जाम-ए-वफ़ा क़रीने से आह निकली है मेरे सीने से क्यूँ मुझे रोकते हो जीने से उठ के जाऊँ कहाँ मदीने से क्या कोई दूसरा मदीना है उस के क़दमों की धूर तो देखो उस का कैफ़-ओ-सुरूर तो देखो देखने का श'ऊर तो देखो उस की आँखों का नूर तो देखो जिस का देखा हुवा मदीना है सामने हों तो गीत गाते हैं पीठ पीछे बुराई करते हैं बे-वफ़ाई का खेल रचते हैं दुनिया वाले तो दर्द देते हैं ज़ख़्मी दिल की दवा मदीना है ग़ैर के दर पे क्यूँ झुकाएँ जबीं कोई हाजत नहीं कि जाएँ कहीं हो ख़ज़ाना हो या कि ख़ुल्द-ए-बरीं दिल में अब कोई आरज़ू ही नहीं या मुहम्मद है या मदीना है मेरे, तफ़्सीर ! हैं वही दिलबर मुझ से कमतर को कर दिया बर-तर क्या 'अजब इस में है ? कहूँ मैं अगर दिल फ़िदा है मदीने वाले पर दिल, मुनव्वर ! मेरा मदीना है कलाम: - तज़मीन: तफ़्सीर रज़ा अमजदी ना'त-ख़्वाँ: सय्यिद हस्सानुल्लाह हुसैनी maskan-e-mustafa madina hai rahmato....

अश्कों की गुज़ारिश है ये सरकार-ए-मदीना / Ashkon Ki Guzarish Hai Ye Sarkar-e-Madina

या रसूलल्लाह ! या रसूलल्लाह ! या रसूलल्लाह ! गर तुम न सुनोगे तो मेरी कौन सुनेगा गर तुम न करोगे तो करम कौन करेगा टाले से भिकारी न टला है न टलेगा झोली को मेरी तेरे सिवा कौन भरेगा अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! हो जाए मुयस्सर कभी दीदार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बे-दाम यहाँ बिकते हैं यूसुफ़ के ख़रीदार बाज़ार-ए-मदीना है ये बाज़ार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बुलवाएँगे मुझ को भी शहंशाह-ए-दो-'आलम देखूँगा कभी आँखों से अनवार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! हर ग़ुंचा-ओ-गुल पर है फ़िदा तल'अत-ए-फ़िरदौस देखो तो ज़रा निकहत-ए-गुलज़ार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! मे'राज-ए-बसारत इसे कहिए कि न कहिए आते हैं नज़र दूर से मीनार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! 'उक़्बा में हर इक ग़म से मैं आज़ाद रहूँगा दुनिया में जो, फ़ाज़िल ! हूँ गिरिफ़्तार-ए-मदीना अश्कों की गुज़ारिश है ये, सरकार-ए-मदीना ! बड़ी उम्मीद है सरकार क़दमों में बुलाएँगे करम की जब नज़र होगी मदीने हम भी जाएँगे अगर जाना ...

बयाँ हो किस ज़बाँ से मर्तबा सिद्दीक़-ए-अकबर का / Bayan Ho Kis Zaban Se Martaba Siddiq-e-Akbar Ka

बयाँ हो किस ज़बाँ से मर्तबा सिद्दीक़-ए-अकबर का है यार-ए-ग़ार महबूब-ए-ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का इलाही ! रहम फ़रमा ख़ादिम-ए-सिद्दीक़-ए-अकबर हूँ तेरी रहमत के सदक़े, वास्ता सिद्दीक़-ए-अकबर का रुसुल और अंबिया के बा'द जो अफ़ज़ल हो 'आलम से ये 'आलम में है किस का मर्तबा ? सिद्दीक़-ए-अकबर का गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का ख़ुदा से फ़ज़्ल पाता है ख़ुदा के फ़ज़्ल से मैं हूँ गदा सिद्दीक़-ए-अकबर का हुए फ़ारूक़-ओ-'उस्मान-ओ-'अली जब दाख़िल-ए-बै'अत बना फ़ख़्र-ए-सलासिल सिलसिला सिद्दीक़-ए-अकबर का नबी का और ख़ुदा का मद्ह-गो सिद्दीक़-ए-अकबर है नबी सिद्दीक़-ए-अकबर का, ख़ुदा सिद्दीक़-ए-अकबर का 'अली हैं उस के दुश्मन और वो दुश्मन 'अली का है जो दुश्मन 'अक़्ल का, दुश्मन हुआ सिद्दीक़-ए-अकबर का लुटाया राह-ए-हक़ में घर कई बार इस मोहब्बत से कि लुट लुट कर, हसन ! घर बन गया सिद्दीक़-ए-अकबर का शायर: मौलाना हसन रज़ा ख़ान ना'त-ख़्वाँ: ओवैस रज़ा क़ादरी bayaa.n ho kis zabaa.n se martaba siddiq-e-akbar ka hai yaar-e-Gaar mahboob-e-KHuda siddiq-e-akbar ka ilaahi ! rahm farma KHaadim-e-siddiq-e-a...

सालार-ए-सहाबा वो पहला ख़लीफ़ा | सरकार का प्यारा सिद्दीक़ हमारा | हर सुन्नी का नारा सिद्दीक़ हमारा / Salar-e-Sahaba Wo Pehla Khalifa | Sarkar Ka Pyara Siddiq Hamara | Har Sunni Ka Pyara Siddiq Hamara

अना मजनून, मजनून, मजनूनु-सिद्दीक़ अना मजनून, मजनून, मजनूनु-सिद्दीक़ परवाने को चराग़ तो बुलबुल को फूल बस सिद्दीक़ के लिए है ख़ुदा का रसूल बस सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा मुस्तफ़ा का हम-सफ़र ! अबू-बकर अबू-बकर ! गली-गली नगर-नगर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लुटाया जिस ने अपना घर ! अबू-बकर अबू-बकर ! नहीं है जिस को कोई डर ! अबू-बकर अबू-बकर ! है चर्चे जिस के 'अर्श पर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लगेगा नारा फ़र्श पर ! अबू-बकर अबू-बकर ! दुनिया-ए-सदाक़त में तेरा नाम रहेगा सिद्दीक़ तेरे नाम से इस्लाम रहेगा सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा हर नस्ल तेरे काम की तजदीद करेगी जब तक रहेगी दुनिया तेरा नाम रहेगा सालार-ए-सहाबा, वो पहला ख़लीफ़ा सरकार का प्यारा, सिद्दीक़ हमारा हर सुन्नी का ना'रा, सिद्दीक़ हमारा मुस्तफ़ा का हम-सफ़र ! अबू-बकर अबू-बकर ! गली-गली नगर-नगर ! अबू-बकर अबू-बकर ! लुटाया जिस ने अपना घर ! अबू-बकर अबू-बकर ! नहीं है जिस को कोई डर ! अबू-बकर अबू-बकर ! है चर्...

दोनों आलम का दाता हमारा नबी / Dono Aalam Ka Data Hamara Nabi

दोनों 'आलम का दाता हमारा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! दोनों 'आलम की आँखों का तारा नबी शान वाला नबी, ताज वाला नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! बोले जिब्रील, यूँ तो हैं लाखों नबी कोई तुझ सा न देखा नबी, या नबी ! है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! ख़ुद ख़ुदा जिस पे पढ़ता हो, सल्ले-'अला कौन है जुज़ मुहम्मद के ऐसा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! जिस की 'अज़मत के डंके बजे चार-सू वो है मेरा नबी, है वो मेरा नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! अल्लाह अल्लाह मदीने की रंगीनियाँ जल्वा-गर है जहाँ पे ख़ुदा का नबी है ख़ुदा की ख़ुदाई से प्यारा नबी या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी ! या नबी...

जानशीन-ए-नबी मेरे सिद्दीक़ हैं / Janasheen-e-Nabi Mere Siddiq Hain

सहाबा के अफ़सर अबू-बकर प्यारे हमारे हैं रहबर अबू-बकर प्यारे जा-नशीन-ए-नबी मेरे सिद्दीक़ हैं हक़ के हैं जो वली, मेरे सिद्दीक़ हैं मेरे आक़ा की उम्मत में, यारो ! सुनो रहम-दिल उम्मती मेरे सिद्दीक़ हैं दी बशारत नबी ने जिसे ख़ुल्द की जन्नती जन्नती मेरे सिद्दीक़ हैं जा-नशीन-ए-नबी मेरे सिद्दीक़ हैं हक़ के हैं जो वली, मेरे सिद्दीक़ हैं सहाबा के अफ़सर अबू-बकर प्यारे हमारे हैं रहबर अबू-बकर प्यारे हैं 'उमर और 'उस्मान प्यारे 'अली जिस के सब मुक़तदी, मेरे सिद्दीक़ हैं वो ख़लीफ़ा बिला-फ़स्ल बा'द-ए-नबी सय्यिदी मुर्शिदी मेरे सिद्दीक़ हैं जा-नशीन-ए-नबी मेरे सिद्दीक़ हैं हक़ के हैं जो वली, मेरे सिद्दीक़ हैं बा'द अज़ अंबिया हैं वही मुहतरम शान जिन की बड़ी, मेरे सिद्दीक़ हैं आप के सब मनाक़िब ये फ़ाइज़ लिखे फिर पढ़े हर घड़ी, मेरे सिद्दीक़ हैं जा-नशीन-ए-नबी मेरे सिद्दीक़ हैं हक़ के हैं जो वली, मेरे सिद्दीक़ हैं सहाबा के अफ़सर अबू-बकर प्यारे हमारे हैं रहबर अबू-बकर प्यारे सदाक़त, ख़िलाफ़त, इमामत में पहले हैं मर्द-ए-क़लंदर अबू-बक्र प्यारे हबीब-ए-ख़ुदा का तेरी गोद में सर वो कैसा था मंज़र, अबू-बक्र प्यार...

हम असहाब के ख़ादिम उन के नौकर हैं | हम सिद्दीक़-ओ-उमर वाले / Hum Ashab Ke Khadim Unke Naukar Hain | Hum Siddiq-o-Umar Wale

हम असहाब के ख़ादिम उन के नौकर हैं अहल-ए-बैत-ए-नबी के दर के नौकर हैं हम सिद्दीक़-ओ-'उमर वाले हम 'उस्माँ, हैदर वाले कभी न झुकते हैं, कभी न बिकते हैं मेरे नबी के सारे असहाब हैं ज़िंदाबाद अबू-बकर सिद्दीक़, 'उमर ख़त्ताब हैं ज़िंदाबाद 'उस्माँ ग़नी भी प्यारे हैं मौला 'अली भी हमारे हैं मोमिन के दिल में हर दम ये धड़कते हैं हम असहाब के ख़ादिम उन के नौकर हैं अहल-ए-बैत-ए-नबी के दर के नौकर हैं हम सिद्दीक़-ओ-'उमर वाले हम 'उस्माँ, हैदर वाले कभी न झुकते हैं, कभी न बिकते हैं ज़िक्र-ए-'अली तो, यारो ! चेहरे दिखलाए ज़िक्र-ए-मु'आविया, लोगो ! नस्लें बतलाए 'अली-मु'आविया हैं भाई राह-ए-'अज़ीमत के राही जब ये कहते हैं मुन्किर जलते हैं हम असहाब के ख़ादिम उन के नौकर हैं अहल-ए-बैत-ए-नबी के दर के नौकर हैं हम सिद्दीक़-ओ-'उमर वाले हम 'उस्माँ, हैदर वाले कभी न झुकते हैं, कभी न बिकते हैं प्यारी अम्मी आइशा ! तुझ पर जाँ क़ुर्बान अम्मी ! तेरी 'इफ़्फ़त पर मेरी माँ क़ुर्बान हम तेरे ही बेटे हैं सुन ले दुनिया, कहते हैं अम्मी की ख़ातिर हम शौक़ से मरते हैं हम अ...

लक़ब सिद्दीक़ बन जाए सदाक़त हो तो ऐसी हो / Laqab Siddiq Ban Jaye Sadaqat Ho To Aisi Ho

लक़ब सिद्दीक़ बन जाए, सदाक़त हो तो ऐसी हो मज़ार-ओ-ग़ार के साथी, रफ़ाक़त हो तो ऐसी हो मेरे सरकार का रौज़ा जो जन्नत से भी आ'ला है तेरी बेटी का घर है वो, करामत हो तो ऐसी हो उठाया अपने काँधों पर है सरदार-ए-दो-'आलम को ख़ुदा की इस अमानत की हिफ़ाज़त हो तो ऐसी हो दिलबर-ओ-दिलदार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर सहाबा के सरदार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर और हैदर के यार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर हर सुन्नी का प्यार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर तेरी पाकीज़ा बेटी पर ग़लत तोहमत लगी जिस दम ख़ुदा ने ख़ुद सफ़ाई दी, बराअत हो तो ऐसी हो ख़ुदा की राह में क़ुर्बान कर डाला है तन-मन-धन बदन पर टाट ओढ़ा है, सख़ावत हो तो ऐसी हो शब-ए-हिजरत तेरे दर पर मेरे आक़ा ने दस्तक दी किसी के सिदक़-ए-ईमाँ पर शहादत हो तो ऐसी हो बता मंज़र, ऐ ग़ार-ए-सौर ! दीवाने की नज़रों का कि थे महबूब झोली में, ज़ियारत हो तो ऐसी हो रसूलुल्लाह तेरे घर में दूल्हा बन के आए थे घराने हों तो ऐसे हों, क़राबत हो तो ऐसी हो दिलबर-ओ-दिलदार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर सहाबा के सरदार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर और हैदर के यार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर हर सुन्नी का प्यार हैं सिद्दीक़-ए-अकबर नबी के बा'द सब असहाब न...

ये वक़ार-ओ-शान ये शौकत रसूलुल्लाह की | अर्श-ए-हक़ है तज़मीन के साथ / Ye Waqar-o-Shan Ye Shaukat Rasoolullah Ki | Arsh-e-Haq Hai With Tazmeen

ये वक़ार-ओ-शान ये शौकत रसूलुल्लाह की ये हुकूमत और ये सतवत रसूलुल्लाह की शान-ए-लौलाका-लमा ख़िल'अत रसूलुल्लाह की 'अर्श-ए-हक़ है मसनद-ए-रिफ़'अत रसूलुल्लाह की देखनी है हश्र में 'इज़्ज़त रसूलुल्लाह की किस-क़दर पुर-नूर है सूरत रसूलुल्लाह की दीद-ए-हक़ है बिल-यक़ीं रूयत रसूलुल्लाह की मरहबा ये शान ये 'अज़मत रसूलुल्लाह की 'अर्श-ए-हक़ है मसनद-ए-रिफ़'अत रसूलुल्लाह की देखनी है हश्र में 'इज़्ज़त रसूलुल्लाह की फूटेंगे कुंज-ए-लहद से अपनी सौत-ए-नूर के झिलमिलाएँगे शब-ए-मरक़द में लम'ए नूर के इस-क़दर भर जाएँगे बर्ज़ख़ में जल्वे नूर के क़ब्र में लहराएँगे ता-हश्र चश्मे नूर के जल्वा फ़रमा होगी जब तल'अत रसूलुल्लाह की हू-ब-हू कहर-ए-ख़ुदा-ए-पाक थी बर्क़-ए-ग़ज़ब पूछ उन का क्या हुआ जिन पर पड़ी बर्क़-ए-ग़ज़ब अल्लाह अल्लाह ख़ाक हस्ती कर गई बर्क़-ए-ग़ज़ब काफ़िरों पर तेग़-ए-वाला से गिरी बर्क़-ए-ग़ज़ब अब्र आसा छा गई हैबत रसूलुल्लाह की देख ले तू दामन-ए-ख़ैरात क्या उन से मिला दो-जहाँ उन से मिले, बे-इंतिहा उन से मिला इस से आगे और क्या बोलूँ ख़ुदा उन से मिला ला-व-रब्बिल-'अर्श जिस को जो मिला उन...