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एलान खुल के करती है उम्मत रसूल की / Elaan Khul Ke Karti Hai Ummat Rasool Ki

ए'लान खुल के करती है उम्मत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की आक़ा से प्यार करना ही मोमिन की शान है सरशार उन के 'इश्क़ में ये जिस्म-ओ-जान है सरमाया-ए-हयात है उल्फ़त रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की ए'लान खुल के करती है उम्मत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की गुलशन में सारी नग़्मा-सराई है आप से शम्स-ओ-क़मर की जल्वा-नुमाई है आप से दुनिया-ए-रंग-ओ-बू में है निकहत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की ए'लान खुल के करती है उम्मत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की तफ़रीक़-ए-रंग-ओ-नस्ल मिटाई है आप ने जन्नत की शाह-राह दिखाई है आप ने 'आलम में 'आम-ओ-ताम है रहमत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की ए'लान खुल के करती है उम्मत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की ये ग़ुंचा-ओ-गुलाब, ये बुलबुल ये गुलिस्ताँ रहमत-लक़ब नबी का ही सदक़ा है ये जहाँ भँवरे भी गुनगुनाते हैं मिदहत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है मोहब्बत रसूल की ए'लान खुल के करती है उम्मत रसूल की हर दिल में जा-गुज़ीं है ...

मरहबा क्या रूह-परवर है नज़ारा नूर का | सुब्ह तयबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का तज़मीन के साथ / Marhaba Kya Rooh Parwar Hai Nazara Noor Ka | Subh Taiba Mein Hui Bat.ta Hai Bada Noor Ka With Tazmeen

मरहबा क्या रूह-परवर है नज़ारा नूर का फ़र्श से ता-'अर्श फैला है उजाला नूर का ताजदार-ए-शर्क़ साइल बन के निकला नूर का सुब्ह तयबा में हुई बटता है बाड़ा नूर का सदक़ा लेने नूर का आया है तारा नूर का जश्न-ए-नूरानी है हर जानिब है चर्चा नूर का अंजुमन-आरा हुआ मक्के में का'बा नूर का माह-ए-हक़ तशरीफ़ लाया बन के क़िब्ला नूर का बारहवीं के चाँद का मुजरा है सज्दा नूर का बारह बुर्जों से झुका एक इक सितारा नूर का बढ़ गया पा कर जबीन-ए-नूर रुत्बा नूर का दूर पहुँचा नूर की दुनिया से शोहरा नूर का अल्लाह अल्लाह कोई देखे तो नसीबा नूर का तेरे ही माथे रहा, ऐ जान ! सेहरा नूर का बख़्त जागा नूर का, चमका सितारा नूर का नूर की सरकार में आया है मँगता नूर का है यही दुर-बार दरबार-ए-मु'अल्ला नूर का एक मुद्दत से दिल-ए-मुज़्तर है प्यासा नूर का मैं गदा तू बादशाह भर दे पियाला नूर का नूर दिन दूना तिरा, दे डाल सदक़ा नूर का फ़र्क़-ए-अनवर नूर की, दस्तार चेहरा नूर का सादगी में भी है इक अंदाज़ प्यारा नूर का कज-कुलाही पर कुछ ऐसा रो'ब छाया नूर का ताज वाले ! देख कर तेरा 'इमामा नूर का सर झुकाते हैं इलाही बो...

रौनक़-ए-अर्ज़-ओ-समा कुछ और है / Raunaq-e-Arz-o-Sama Kuchh Aur Hai

रौनक़-ए-अर्ज़-ओ-समा कुछ और है शहर-ए-तयबा की हवा कुछ और है चाँद को वो जोड़ते हैं तोड़ कर मो'जिज़े पे मो'जिज़ा कुछ और है लन-तरानी से नफ़ी ज़ाहिर हुई उदनु-मिन्नी की सदा कुछ और है सैकड़ों जंगें हुईं इस्लाम में कर्बला का वाक़ि'आ कुछ और है फेंक के ख़ंजर 'उमर कहने लगे अब हमारा फ़ैसला कुछ और है बाप के एहसान पर कुछ शक नहीं हाँ मगर माँ की दु'आ कुछ और है तर्जमा कितनों ने क़ुरआँ का किया जो रज़ा ने है किया कुछ और है हैं, मुबारक ! सैकड़ों सिन्फ़ें मगर ना'त-गोई का मज़ा कुछ और है शायर: मुबारक हुसैन मुबारक ना'त-ख़्वाँ: मुबारक हुसैन मुबारक ज़िया यज़दानी raunaq-e-arz-o-sama kuchh aur hai shehr-e-tayba ki hawa kuchh aur hai chaand ko wo jo.Dte hai.n to.D kar mo'jize pe mo'jiza kuchh aur hai lan-taraani se nafi zaahir hui udnu-minni ki sada kuchh aur hai saika.Do.n jange hui.n islaam me.n karbala ka waaqi'aa kuchh aur hai phenk ke KHanjar 'umar kehne lage ab hamaara faisla kuchh aur hai baap ke ehsaan par kuchh shak nahi.n haa.n ma...

ज़माना बहुत ख़ूबसूरत है लेकिन मदीने के बाज़ार जैसा नहीं है / Zamana Bahut Khubsurat Hai Lekin Madine Ke Bazar Jaisa Nahin Hai

ज़माना बहुत ख़ूबसूरत है लेकिन मदीने के बाज़ार जैसा नहीं है सबब इस का ये है कि सारी ज़मीं पर कहीं और आक़ा का रौज़ा नहीं है अज़ानें भी होतीं, नमाज़ें भी होतीं, बहुत 'इल्म होता मगर ये भी होता नबी के नवासे न गर्दन कटाते तो सब कहते इस्लाम ज़िंदा नहीं है कोई चढ़ते सूरज से कह दे किसी दिन, भरी दो पहर में तुझे देख लूँगा अभी मेरी आँखें मुकम्मल नही हैं, अभी उन का दर मैं ने देखा नहीं है वो जब चाहें मुश्किल को आसान कर दें, वो जब चाहें मँगतों को सुल्तान कर दें शह-ए-दीं का दस्त-ए-'इनायत न पूछो, समंदर भी इतना कुशादा नहीं है शायर: शकील आरफ़ी फ़र्रूख़ाबादी ना'त-ख़्वाँ: शकील आरफ़ी फ़र्रूख़ाबादी zamaana bahut KHoobsoorat hai lekin madine ke baazaar jaisa nahi. hai sabab is ka ye hai ki saari zamee.n par kahi.n aur aaqa ka rauza nahi.n hai azaane.n bhi hoti.n, namaaze.n bhi hoti.n bahut 'ilm hota magar ye bhi hota nabi ke nawaase na gardan kaTaate to sab kehte islaam zinda nahi.n hai koi cha.Dhte sooraj se keh de kisi din bhari do pahar me.n tujhe dekh loonga abh...

मदीना पहुँचा है जब दिवाना कभी इधर से कभी उधर से / Madina Pahuncha Hai Jab Diwana Kabhi Idhar Se Kabhi Udhar Se

मदीना पहुँचा है जब दिवाना कभी इधर से कभी उधर से नबी की चौखट को उस ने चूमा कभी इधर से कभी उधर से ब-रोज़-ए-महशर परेशाँ हो कर उन्हें पुकारेगी जिस दम उम्मत सभी को देंगे नबी सहारा कभी इधर से कभी उधर से तमाशा इतना तो कर गुज़रना, नबी का दीवाना हो के मरना कि लोग देखें तेरा जनाज़ा कभी इधर से कभी उधर से कभी तो ग़ौस-उल-वरा के दर से, कभी तो ख़्वाजा पिया के घर से निकल ही जाता है काम अपना कभी इधर से कभी उधर से इधर बरेली उधर किछौछा, वहाँ पे कलियर यहाँ पे देवा मिला है वलियों का हम को सदक़ा कभी इधर से कभी उधर से क़सीदा बू-बक्र का पढ़ा था, 'उमर की ता'रीफ़ कर रहा था 'अली ने मुझ को बहुत नवाज़ा कभी इधर से कभी उधर से बचाने दीन-ए-नबी की 'अज़मत जो रन में निकला 'अली का बेटा यज़ीदी कुत्तों को जम के मारा कभी इधर से कभी उधर से बचाने दीन-ए-नबी की 'अज़मत जो रन में निकला रज़ा का अख़्तर वहाबियों को पटक के मारा कभी इधर से कभी उधर से मेरी ज़बाँ पर जो नाम-ए-नामी इमाम अहमद रज़ा का आया लगा है महफ़िल में ख़ूब ना'रा कभी इधर से कभी उधर से ख़ुदा ने हुस्न-ओ-जमाल वल्लाह रज़ा के अख़्तर को ऐसा बख़्शा दिवा...

मौत के भँवर से या नबी बच के बाल-बाल आ गया / Maut Ke Bhanwar Se Ya Nabi Bach Ke Baal Baal Aa Gaya

मौत के भँवर से, या नबी ! बच के बाल-बाल आ गया ख़ैर हो गई कि उस घड़ी आप का ख़याल आ गया दो सवाल ख़त्म जब हुए, क़ब्र में दिवाना झूम उठा अब हुज़ूर होंगे सामने, तीसरा सवाल आ गया रब ने तेरे घर को भर दिया, तुझ को माला-माल कर दिया ऐ हलीमा ! तेरी गोद में आमिना का लाल आ गया ज़िक्र-ए-मुस्तफ़ा की रात थी, हुस्न-ए-मुस्तफ़ा की बात थी 'अक़्ल वाले सोचते रहे, 'आशिक़ों को हाल आ गया ज़ुल्फ़िक़ार-ए-हैदरी चली, यूँ लगा कि आ गए 'अली जब यज़ीदियों के सामने फ़ातिमा का लाल आ गया था ग़ुरूर जिन को हुस्न पर, आ नहीं रहे हैं वो नज़र हुस्न-ए-'इश्क़-ए-मुस्तफ़ा लिए हश्र में बिलाल आ गया नज्दियों को मौत आ गई, सुन्नियों को ज़िंदगी मिली जब रज़ा की बात छिड़ गई, 'इश्क़ में उछाल आ गया क्या नहीं है उन के पास में, क्या नहीं है उन के हाथ में तेग़-'अली के दर पे जो गया, हो के माला-माल आ गया ना'त-ख़्वाँ: सैफ़ रज़ा कानपुरी maut ke bhanwar se, ya nabi ! bach ke baal-baal aa gaya KHair ho gai ki us gha.Di aap ka KHayaal aa gaya do sawaal KHatm jab hue, qabr me.n diwaana jhoom uTha ab huzoor honge s...

कोई बताए दरियाओं को ऐसी रवानी किस ने दी / Koi Bataye Dariyaon Ko Aisi Rawani Kis Ne Di

कोई बताए दरियाओं को ऐसी रवानी किस ने दी किस ने चमकता दिन बख़्शा है रात सुहानी किस ने दी नन्हे मुन्ने पौदों को गुलशन में जवानी किस ने दी वो यकता, क़ुदरत भी यकता, यकता है मेरा अल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह सोचो ज़रा फ़िर'औन के घर में मूसा को पाला किस ने ग़ौर करो मछली के शिकम में यूनुस को रक्खा किस ने पहले आग में डाला और फिर आग को फूल किया किस ने किस के नाम के गुन गाते हैं इब्राहीम ख़लीलुल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह जिन को आना था वो आ गए, सिर्फ़ क़यामत बाक़ी है सूरज के शो'ले कहते हैं हश्र की शिद्दत बाक़ी है मौत जिसे कहती है दुनिया वो भी हक़ीक़त बाक़ी है यारो ! अपने दिल से निकालो अब तो ख़याल-ए-ग़ैरुल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह ला इलाहा इल्लल्लाहु ला इलाहा इल्लल्लाह सूरा-ए-रहमाँ पढ़ के कर लो अपने दिल को नूरानी रौशन रौशन क़ल्ब-ओ-जिगर हो, जगमग जगमग पेशानी दिल में ख़ुदा का नाम बसा लो, बात करो तुम क़ुरआनी चमका लो किरदार को अपने लोग कहें माशा-अल्लाह ला इलाहा इ...

हासिल-ए-नौ-बहार फिरते हैं | वो सू-ए-लालाज़ार फिरते हैं तज़मीन के साथ / Hasil-e-Nau-bahar Phirte Hain | Wo Sue Lalazar Phirte Hain With Tazmeen

हासिल-ए-नौ-बहार फिरते हैं जान-ए-लुत्फ़-ओ-क़रार फिरते हैं हुस्न के ताजदार फिरते हैं वो सू-ए-लालाज़ार फिरते हैं तेरे दिन, ऐ बहार ! फिरते हैं यूँ तो दरबार और मजालिस में दाता मँगता की हैं कई क़िस्में कितने उलझे हुए हैं जिस-तिस में उस गली का गदा हूँ मैं जिस में माँगते ताजदार फिरते हैं क़ुदसियों के हुजूम शाम-ओ-सहर भेजते हैं दुरूद आक़ा पर कितना पुर-कैफ़ होगा वो मंज़र लाखों क़ुदसी हैं काम-ए-ख़िदमत पर लाखों गिर्द-ए-मज़ार फिरते हैं सब की खाते हैं मार फिरते हैं पहने ज़िल्लत का हार फिरते हैं ले के ज़ेहनी बुख़ार फिरते हैं जो तेरे दर से यार फिरते हैं दर-ब-दर यूँ ही ख़्वार फिरते हैं है जहाँ गौहर-ए-हयात रज़ा बट रही है जहाँ निजात, रज़ा ! क्यूँ हो मख़्सूस तेरी ज़ात, रज़ा ! कोई क्यूँ पूछे तेरी बात, रज़ा ! तुझ से शैदा हज़ार फिरते हैं कलाम: इमाम अहमद रज़ा ख़ान तज़मीन: - ना'त-ख़्वाँ: अमीर हम्ज़ा ख़लीलाबादी haasil-e-nau-bahaar phirte hai.n jaan-e-lutf-o-qaraar phirte hai husn ke taajdaar phirte hai.n wo soo-e-laalaazaar phirte hai.n tere din, ai bahaar ! phirte hai.n yu.n to dar...

ऐ ख़ालिक़-ओ-मालिक रब्ब-ए-उला सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह | तू रब है मेरा मैं बंदा तेरा / Aye Khaliq-o-Malik Rabb-e-Ula Subhanallah Subhanallah | Tu Rab Hai Mera Main Banda Tera

ऐ ख़ालिक़-ओ-मालिक रब्ब-ए-'उला ! सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह तू रब है मेरा मैं बंदा तेरा, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह हम मँगते हैं तू मो'अती है, हम बंदे हैं तू मौला है मोहताज तेरा हर शाह-ओ-गदा, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह हम जुर्म करें तू 'अफ़्व करे, हम क़हर करें तू मेहर करे घेरे है जहाँ को फ़ज़्ल तेरा, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह तू वाली है हर बेकस का, तू हामी है हर बेबस का हर इक के लिए दर तेरा खुला, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह राज़िक़ है मोर-ओ-मगस का तू, ग़फ़्फ़ार है नेक-ओ-बद का तू है सब पर तेरी जूद-ओ-'अता, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह हम 'ऐबी हैं सत्तार है तू, हम मुजरिम हैं ग़फ़्फ़ार है तू बद-कारों पर भी ऐसी 'अता, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह तेरे 'इश्क़ में रोए मुर्ग़-ए-सहर, तेरा नाम है मरहम-ए-ज़ख़्म-ए-जिगर तेरे नाम पे मेरी जान फ़िदा, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह ये सालिक मुजरिम आया है और ख़ाली झोली लाया है दे सदक़ा रहमत-ए-'आलम का, सुब्हानल्लाह सुब्हानल्लाह शायर: मुफ़्ती अहमद यार ख़ान नईमी ना'त-ख़्वाँ: अल्लामा हाफ़िज़ बिलाल क़ादरी ai KHaaliq-o-maalik rabb-...

तमन्ना दिल की है अब तो दियार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ | मदीने का शहर देखूँ मदीने की फ़िज़ा देखूँ / Tamanna Dil Ki Hai Ab To Diyar-e-Mustafa Dekhun | Madine Ka Shahar Dekhun Madine Ki Fiza Dekhun

सोज़-ए-दिल चाहिए, चश्म-ए-नम चाहिए जीने को अब मुझे बस हरम चाहिए प्यास बुझती नहीं, दिल सँभलता नहीं जाम-ए-ग़म का ये बादल सिमटता नहीं दूरियाँ ख़त्म होंगी ये कब, या ख़ुदा ! सफ़र तयबा का हो मेरा अब, या ख़ुदा ! देख लूँ मैं नबी का वो शहर-ओ-चमन ले के कब से मैं बैठा हूँ दिल में लगन ख़्वाहिश-ए-नफ़्स पूरी हो जाए मेरी दूर अब, या ख़ुदा ! दिल की हो अँधेरी तमन्ना दिल की है अब तो दियार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ मदीने का शहर देखूँ, मदीने की फ़िज़ा देखूँ जहाँ पर नूर की बारिश, मलाइक का बसेरा है जहाँ पुर-नूर है मंज़र, हर एक पल में सवेरा है जहाँ पर ने'मतों की आसमानों से रवानी है वहाँ जा कर मैं आँखों से नवाज़िश बे-बहा देखूँ तमन्ना दिल की है अब तो दियार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ मदीने का शहर देखूँ, मदीने की फ़िज़ा देखूँ मु'अत्तर है फ़ज़ा-ए-चार-सू रहमत की बारिश है दु'आ मंज़ूर हो, पूरी जहाँ हर एक ख़्वाहिश है वो जिस शहर-ए-मोहब्बत में मेरे आक़ा की बस्ती है पहुँच कर उस मुक़द्दस शहर की आब-ओ-हवा देखूँ तमन्ना दिल की है अब तो दियार-ए-मुस्तफ़ा देखूँ मदीने का शहर देखूँ, मदीने की फ़िज़ा देखूँ मुक़द्दर का सितारा अब मदीने पाक ले ज...

नाम-ए-अहमद हमें जाँ से प्यारा | आई लव मुहम्मद / Naam-e-Ahmad Hamein Jaan Se Pyara | I Love Muhammad

मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! क्या पेश करूँ, जानाँ ! क्या चीज़ हमारी है ये दिल भी तुम्हारा है, ये जाँ भी तुम्हारी है आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद मुस्तफ़ा ! नाम-ए-अहमद हमें जाँ से प्यारा इस पे क़ुर्बान सब कुछ हमारा ज़ुल्म जितना भी तुम चाहे कर लो फिर भी लब पे रहेगा ये ना'रा आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद मुस्तफ़ा ! मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! 'इश्क़ के नग़्मे सब को सुना दें सारी दुनिया को मिल कर बता दें ये सहाबा से सीखा है हम ने अपना सब कुछ नबी पर लुटा दें आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद मुस्तफ़ा ! मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! मेरा प्यार प्यार प्यार मुस्तफ़ा ! चाँद के टुकड़े जिस ने किए हैं पेड़ भी क़दमों में झुक गए हैं जिस ने कंकर को कलमा पढ़ाया दो जहाँ जिस की ख़ातिर बने हैं आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद ! आई लव मुहम्मद मुस्तफ़ा ! प्यारे आक़ा ने पाया वो रुत्बा करते हैं ग़ैर भी उन का चर्चा क्या करोगे ये बैनर हटा कर दिल की तख़्ती पे है नाम उन का...

मदीने के आक़ा सलामुन अलैका / Madine Ke Aaqa Salamun Alaika

मदीने के आक़ा ! सलामुन-'अलैका दो 'आलम के शाहा ! सलामुन-'अलैका ज़मीं में मुहम्मद, ज़माँ में मुहम्मद मकीं में मुहम्मद, मकाँ में मुहम्मद हर इक शय में जल्वा रसूल-ए-ख़ुदा का सलामुन-'अलैका, सलामुन-'अलैका मदीने के आक़ा ! सलामुन-'अलैका दो 'आलम के शाहा ! सलामुन-'अलैका गुनाहों ने घेरा, ख़ताओं ने घेरा मुसीबत ने घेरा, बलाओं ने घेरा बचा लीजिएगा, बचा लीजिएगा सलामुन-'अलैका, सलामुन-'अलैका मदीने के आक़ा ! सलामुन-'अलैका दो 'आलम के शाहा ! सलामुन-'अलैका हमारी भी क़िस्मत बना दो, नबी जी ! नसीबा भी सोया जगा दो, नबी जी ! हमें अपना रौज़ा दिखा दीजिएगा सलामुन-'अलैका, सलामुन-'अलैका मदीने के आक़ा ! सलामुन-'अलैका दो 'आलम के शाहा ! सलामुन-'अलैका न दौलत तलब है, न शोहरत तलब है हुकूमत तलब है न 'इज़्ज़त तलब है नवासों का सदक़ा 'अता कीजिएगा सलामुन-'अलैका, सलामुन-'अलैका मदीने के आक़ा ! सलामुन-'अलैका दो 'आलम के शाहा ! सलामुन-'अलैका हूँ मोहताज में आप की इक नज़र का फ़िदा आप पर मेरे माँ-बाप, आक़ा ! कि अरशद पे नज़र-ए-क...

रोज़ बेचैन करता ही है दिल किसी न किसी के लिए | सामने सीरत-ए-मुस्तफ़ा दर्स है रहबरी के लिए तज़मीन के साथ / Roz Bechain Karta Hi Hai Dil Kisi Na Kisi Ke Liye | Samne Seerat-e-Mustafa Dars Hai Rahbari Ke Liye With Tazmeen

रोज़ बेचैन करता ही है दिल किसी न किसी के लिए जाम-ए-'इश्क़-ए-नबी पी जिए क़ल्ब की ताज़गी के लिए 'उम्र हरगिज़ नहीं, दोस्तो ! नफ़्स की पैरवी के लिए सामने सीरत-ए-मुस्तफ़ा दर्स है रहबरी के लिए फिर हमें और क्या चाहिए, दोस्तो ! ज़िंदगी के लिए जब तलक जिस्म में जान है, चल रहा फिर रहा है बशर सूखना है मगर एक दिन शादमाँ ज़िंदगी का शजर रो रहा होगा आ'माल पर, कुछ न आएगा तुझ को नज़र कर यक़ीं तू मेरी बात पर, कैसा होगा अँधेरा वो घर आ ही जाएँगे ख़ैर-उल-बशर, क़ब्र में रौशनी के लिए पहुँचे जिन के क़दम फ़र्श से 'अर्श और 'अर्श से ला-मकाँ है उन्हीं के तसद्दुक़ रवाँ अपने जीवन का ये कारवाँ आज दुनिया है आबाद है अपने सपनों का ये आशियाँ हश्र में हम कहाँ तुम कहाँ, जब न होगा कोई मेहरबाँ बन के रहमत हुज़ूर आएँगे, अपने हर उम्मती के लिए काम ऐसे करो सब कहें, आफ़रीं आफ़रीं आफ़रीं चखना है मौत का तो मज़ा लाज़मी लाज़मी लाज़मी बात इक और कर लीजिए, ख़ूब अच्छी तरह दिल-नशीं हाथ आने को कुछ भी नहीं, बस मिलेगी ये दो गज़ ज़मीं जाने फिर क्यूँ परेशान है आदमी आदमी के लिए ना'त-ख़्वाँ: गुलफ़ाम रज़ा हस्सानी ...

मदीने के आक़ा मदीने के सरवर | दुरूद आप पर हो सलाम आप पर हो / Madine Ke Aaqa Madine Ke Sarwar | Durood Aap Par Ho Salam Aap Par Ho

मदीने के आक़ा, मदीने के सरवर ! दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो 'अरब के मकीनों को इंसाँ बनाया सबक़ आदमिय्यत का उन को सिखाया दिया दर्स-ए-तौहीद क़िस्मत जगा कर दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो मदीने के आक़ा, मदीने के सरवर ! दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो इस उम्मत की ख़ातिर एक दिन न सोए इस उम्मत की ख़ातिर शब-ओ-रोज़ रोए इस उम्मत पे, आक़ा ! करम है तुम्हारा दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो मदीने के आक़ा, मदीने के सरवर ! दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो जफ़ाओं के बदले वफ़ाएँ तुम्हारी सितमगर के हक़ में दु'आएँ तुम्हारी 'अजब सब्र का 'आलम अल्लाहु अकबर दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो मदीने के आक़ा, मदीने के सरवर ! दुरूद आप पर हो, सलाम आप पर हो ना'त-ख़्वाँ: मुहम्मद नबील madine ke aaqa, madine ke sarwar ! durood aap par ho, salaam aap par ho 'arab ke makeeno.n ko insaa.n banaaya sabaq aadmiyyat ka un ko sikhaaya diya dars-e-tauheed qismat jaga kar durood aap par ho, salaam aap par ho madine ke aaqa, madine ke sarwar ! durood aap par ho, salaam aap par ho is...