उर्स आया है वलियों के सुल्तान का मरहबा मरहबा | बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का मरहबा मरहबा / Urs Aaya Hai Waliyon Ke Sultan Ka Marhaba Marhaba | Batta Hai Sadqa Khwaja Ke Faizan Ka Marhaba Marhaba
ग़रीब जान के हर इक ने मुझ को टाला है तुम अपने दर से न टालो मुझे, ग़रीब नवाज़ ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! जगमगा उट्ठा फिर दीप ईमान का, मरहबा मरहबा ! क्या हसीं है समाँ उन के ऐवान का, मरहबा मरहबा ! खिल उठा चेहरा हर एक मुसलमान का, मरहबा मरहबा ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! वो 'अता-ए-नबी फ़ज़्ल-ए-रहमान है, वाह क्या शान है इब्न-ए-ज़हरा है, हसनैन की जान है, वाह क्या शान है हिन्द की सर-ज़मीं का वो सुल्तान है, वाह क्या शान है मैं ही क्या उस पे हर एक क़ुर्बान है, वाह क्या शान है फूल है वो 'अली के गुलिस्तान का, मरहबा मरहबा ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! ग़ुस्ल आब-ए-करम से कराया गया, मरहबा मरहबा ! नूरी जोड़े से तन जगमगाया गया, मरहबा मरहबा ! सर पे ताज-ए-विलायत सजाया गया, मरहबा मरहबा ! मेरे ख़्वाजा को दूल्हा बनाया गया, मरहबा मरहबा ! और सदक़ा मिला शाह-ए-जीलान का, मरहबा मर...