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जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी | नारा-ए-हैदरी या अली या अली / Jis Ke Hathon Mein Hai Zulfiqar-e-Nabi | Nara-e-Haidari Ya Ali Ya Ali

जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी जिस के पहलू में है राहवार-ए-नबी दुख़्तर-ए-मुस्तफ़ा जिस की दुल्हन बनी जिस के बेटों से नस्ल-ए-नबी है चली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जिस के बारे में फ़रमाएँ प्यारे नबी जिस का मौला हूँ मैं, उस का मौला 'अली जिस की तलवार की जग में शोहरत हुई जिस के कुंबे से रस्म-ए-शुजा'अत चली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जिस को शाह-ए-विलायत का दर्जा मिला जीते जी जिस को जन्नत का मुज़्दा मिला सय्यिद-ए-दो-जहाँ जिस को रुत्बा मिला सिलसिले सारे जिस पर हुए मुंतही हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली जो 'अली का हुआ, वो नबी का हुआ या 'अली कह दिया सारा ग़म टल गया वो हैं ख़ैबर-शिकन और शेर-ए-ख़ुदा नाम से उन के हर रंज-ओ-कुल्फ़त टली हाँ वही, हाँ वही, वो 'अली-यो-वली ना'रा-ए-हैदरी या 'अली या 'अली सय्यिदों के वही जद्द-ए-आ'ला भी हैं मेरे नाना भी हैं, मेरे दादा भी हैं मेरे आक़ा भी हैं, मेरे मौला भी...

अली की याद आए नजफ़ की याद आए / Ali Ki Yaad Aaye Najaf Ki Yaad Aaye

ख़ुशा ज़मीन-ए-मु'अल्ला, ज़हे-फ़ज़ा-ए-नजफ़ रियाज़-ए-ख़ुल्द भी है शाइक़-ए-हवा-ए-नजफ़ मिली अँगूठी भी वैसी ही था नगीं जैसा नजफ़ बरा-ए-'अली था, 'अली बरा-ए-नजफ़ मरीज़-ए-'इश्क़-ए-विला हूँ कि सुब्ह-ओ-शाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए उसी से रखता हूँ रिश्ता हर एक आन जिसे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए मरीज़-ए-'इश्क़-ए-विला हूँ कि सुब्ह-ओ-शाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए या 'अली ! 'अली या 'अली ! 'अली या 'अली ! 'अली या 'अली ! इज़ाफ़ा होता है मेरे मरज़ की शिद्दत में तड़प रहा हूँ मैं हर दम नजफ़ की फ़ुर्क़त में ये धड़कनों की सदा आए गाम-गाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए मरीज़-ए-'इश्क़-ए-विला हूँ कि सुब्ह-ओ-शाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए बिना 'अली के मेरा ज़िंदगी में जी न लगे ख़ुशी मिले भी कोई तो मुझे ख़ुशी न लगे मिला है साँसों की सूरत 'अली का नाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए मरीज़-ए-'इश्क़-ए-विला हूँ कि सुब्ह-ओ-शाम मुझे 'अली की याद आए, नजफ़ की याद आए या 'अली ! 'अली या 'अली ! ...

कुर्सी पर कोई भी बैठे राजा तो मेरा ख़्वाजा है / Kursi Par Koi Bhi Baithe Raja To Mera Khwaja Hai

या ख़्वाजा ! या ख़्वाजा ! या ख़्वाजा ! या ख़्वाजा ! ख़्वाजा ! या ख़्वाजा ! ख़्वाजा ! या ख़्वाजा ! मैं गदा-ए-ख़्वाजा-ए-चिस्त हूँ, मुझे इस गदाई पे नाज़ है मेरा नाज़ ख़्वाजा पे क्यूँ न हो, मेरा ख़्वाजा बंदा-नवाज़ है उस के करम के सब हैं भिकारी, क्या राजा महाराजा है कुर्सी पर कोई भी बैठे, राजा तो मेरा ख़्वाजा है सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा हैदर का लाडला है, वो ज़हरा का लाल है बेशक मेरा मु'ईन मुहम्मद की आल है दीवानों को किस बात का आख़िर मलाल है ख़्वाजा को अपनी परजा का पूरा ख़याल है मु'ईनुद्दीन... कुर्सी पर कोई भी बैठे, राजा तो मेरा ख़्वाजा है सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा हर आँख चाहती है ज़ियारत मु'ईन की हर दिल में बस गई है मोहब्बत मु'ईन की इस सर-ज़मीन-ए-हिन्द के शाहों ने कह दिया महशर तलक रहेगी हुकूमत मु'ईन की मु'ईनुद्दीन... कुर्सी पर कोई भी बैठे, राजा तो मेरा ख़्वाजा है सारे हिन्द का है राजा मेरा ख़्वाजा महाराजा हम ग़रीबों की सदाओं ने बुलाया है तुझे हिन्द का शाह मुहम्मद ने बनाया है तुझे कैसे आएगा कोई...

उर्स आया है वलियों के सुल्तान का मरहबा मरहबा | बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का मरहबा मरहबा / Urs Aaya Hai Waliyon Ke Sultan Ka Marhaba Marhaba | Batta Hai Sadqa Khwaja Ke Faizan Ka Marhaba Marhaba

ग़रीब जान के हर इक ने मुझ को टाला है तुम अपने दर से न टालो मुझे, ग़रीब नवाज़ ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! जगमगा उट्ठा फिर दीप ईमान का, मरहबा मरहबा ! क्या हसीं है समाँ उन के ऐवान का, मरहबा मरहबा ! खिल उठा चेहरा हर एक मुसलमान का, मरहबा मरहबा ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! वो 'अता-ए-नबी फ़ज़्ल-ए-रहमान है, वाह क्या शान है इब्न-ए-ज़हरा है, हसनैन की जान है, वाह क्या शान है हिन्द की सर-ज़मीं का वो सुल्तान है, वाह क्या शान है मैं ही क्या उस पे हर एक क़ुर्बान है, वाह क्या शान है फूल है वो 'अली के गुलिस्तान का, मरहबा मरहबा ! 'उर्स आया है वलियों के सुल्तान का, मरहबा मरहबा ! बटता है सदक़ा ख़्वाजा के फ़ैज़ान का, मरहबा मरहबा ! ग़ुस्ल आब-ए-करम से कराया गया, मरहबा मरहबा ! नूरी जोड़े से तन जगमगाया गया, मरहबा मरहबा ! सर पे ताज-ए-विलायत सजाया गया, मरहबा मरहबा ! मेरे ख़्वाजा को दूल्हा बनाया गया, मरहबा मरहबा ! और सदक़ा मिला शाह-ए-जीलान का, मरहबा मर...

अर्श-ए-आज़म तक है शोहरा ख़्वाजा-ए-अजमेर का / Arsh-e-Azam Tak Hai Shohra Khwaja-e-Ajmer Ka

'अर्श-ए-आ'ज़म तक है शोहरा ख़्वाजा-ए-अजमेर का बजता है 'आलम में डंका ख़्वाजा-ए-अजमेर का सय्यिदा ज़हरा 'अली हसनैन के नूर-ए-नज़र पंजतन का है घराना ख़्वाजा-ए-अजमेर का ये क़ुतुब बाबा फ़रीदुद्दीन साबिर और निज़ाम बा-अदब पढ़ते हैं ख़ुत्बा ख़्वाजा-ए-अजमेर का रहमत-ओ-अनवार की बारिश है पैहम सुब्ह-ओ-शाम रौज़ा है 'अक्स-ए-मदीना ख़्वाजा-ए-अजमेर का हर मुसीबत, हर वबा अमराज़ से महफ़ूज़ है जो भी पढ़ता है वज़ीफ़ा ख़्वाजा-ए-अजमेर का हासिदों से हर घड़ी महफ़ूज़ हूँ रब की क़सम फ़ैज़ है मुझ पर पुराना ख़्वाजा-ए-अजमेर का है शरीफ़-ए-क़ादरी पर ख़्वाजा 'उस्माँ की नज़र कहती है दुनिया दिवाना ख़्वाजा-ए-अजमेर का शायर: मुहम्मद शरीफ़ रज़ा पाली ना'त-ख़्वाँ: मुहम्मद शरीफ़ रज़ा पाली सय्यिद अब्दुल क़ादिर अल-क़ादरी 'arsh-e-aa'zam tak hai shohra KHwaja-e-ajmer ka bajta hai 'aalam me.n Danka KHwaja-e-ajmer ka sayyida zahra 'ali hasnain ke noor-e-nazar panjtan ka hai gharaana KHwaja-e-ajmer ka ye qutub baaba fareeduddin saabir aur nizaam baa-adab pa.Dhte hai.n KHutba KHwaja-e-ajmer ka ra...

ख़्वाजा-ए-हिन्द वो दरबार है आला तेरा / Khwaja-e-Hind Wo Darbar Hai Aala Tera

ख़्वाजा-ए-हिन्द ! वो दरबार है आ'ला तेरा कभी महरूम नहीं माँगने वाला तेरा मय-ए-सर-जोश दर-आग़ोश है शीशा तेरा बेख़ुदी छाए न क्यूँ पी के पियाला तेरा ख़ुफ़्तगान-ए-शब-ए-ग़फ़्लत को जगा देता है साल-हा-साल वो रातों का न सोना तेरा है तेरी ज़ात 'अजब बहर-ए-हक़ीक़त, प्यारे ! किसी तैराक ने पाया न किनारा तेरा जौर-ए-पामाली-ए-'आलम से इसे क्या मतलब ख़ाक में मिल नहीं सकता कभी ज़र्रा तेरा किस-क़दर जोश-ए-तहय्युर के अयाँ हैं आसार नज़र आया मगर आईने को तल्वा तेरा गुलशन-ए-हिन्द है शादाब, कलेजे ठंडे वाह ऐ अब्र-ए-करम ! ज़ोर बरसना तेरा क्या महक है कि मु'अत्तर है दिमाग़-ए-'आलम तख़्ता-ए-गुलशन-ए-फ़िरदौस है रौज़ा तेरा तेरे ज़र्रे पे म'आसी की घटा छाई है इस तरफ़ भी कभी, ऐ मेहर ! हो जल्वा तेरा तुझ में हैं तर्बियत-ए-ख़िज़्र के पैदा आसार बहर-ओ-बर में हमें मिलता है सहारा तेरा फिर मुझे अपना दर-ए-पाक दिखा दे, प्यारे ! आँखें पुर-नूर हों फिर देख के जल्वा तेरा ज़िल्ल-ए-हक़ ग़ौस पे है, ग़ौस का साया तुझ पर साया-गुस्तर ! सर-ए-ख़ुद्दाम पे साया तेरा तुझ को बग़दाद से हासिल हुई वो शान-ए-रफ़ी' दंग रह जाते हैं सब ...

अल मदद ख़्वाजा-ए-दीं / Al Madad Khwaja-e-Deen (All Versions)

अल-मदद, ख़्वाजा-ए-दीं ! हिन्द के माह-ए-मुबीं ! इक दश्त को ख़्वाजा ने गुलज़ार बनाया है इक वादी-ए-ज़ुल्मत को ज़ौ-बार बनाया है अल्लाह ने ख़्वाजा को मुख़्तार बनाया है कुल हिन्द के वलियों का सरदार बनाया है अल-मदद, ख़्वाजा-ए-दीं ! हिन्द के माह-ए-मुबीं ! अब क़ल्ब-ओ-नज़र सब कुछ जागीर तुम्हारी है हर दिल की सतह पर अब तस्वीर तुम्हारी है हो कुफ़्र की गर्दन ख़म क्यूँ-कर न तेरे आगे किरदार-ए-मु'अज़्ज़म जब शमशीर तुम्हारी है अल-मदद, ख़्वाजा-ए-दीं ! हिन्द के माह-ए-मुबीं ! गुल बन के महक उठा, जो तुझ से जुड़ा, ख़्वाजा ! वो ग़र्क़ हुवा समझो, जो तुझ से फिरा, ख़्वाजा ! क्यूँ-कर न हों गिरवीदा हम तेरी बुज़ुर्गी पर नाज़ाँ है तेरे ऊपर जब पीर तेरा, ख़्वाजा ! अल-मदद, ख़्वाजा-ए-दीं ! हिन्द के माह-ए-मुबीं ! कश्मीर से तामिल तक उस का ही 'इलाक़ा है भारत का हर इक ज़र्रा उस का ही असासा है कुर्शी पे कोई बैठे, क्या इस से ग़रज़ हम को ता-हश्र मेरा ख़्वाजा इस हिन्द का राजा है अल-मदद, ख़्वाजा-ए-दीं ! हिन्द के माह-ए-मुबीं ! रहमत की फ़ज़ाओं में बा-ख़ैर चले जाओ दुनिया की महाफ़िल से रुख़ फेर चले जाओ मिलना है अगर तुम को भारत के शह...