कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी / Kar Do Nazr e Karam Ghaus e Aazam Ham Tumhare Hain Dar Ke Bhikari

मीरां मीरां, मीरां मीरां, मीरां मीरां, मीरां मीरां

सरकारे-ग़ौसे-आज़म नज़रे करम ख़ुदारा
मेरा खाली कासा भर दो मैं फ़क़ीर हूँ तुम्हारा

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली

तुम्हारे आस्ताने पर है झुकी सब की गर्दनें
तुम्हारे दर से मिली ज़िन्दगी की सारी रौनक़ें

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली


तुम हो शाहे-मदीना के लख्ते-जिगर
तुम हो ख़ातूने-जन्नत के नूरे-नज़र
तुम हो अक़्से-निगारे-अली-मुर्तज़ा
तुम हो हसनैन के रुख़ की ताज़ा सहर

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली

हम हैं अफ़्लासो-ग़ुर्बत के मारे हुवे
अपना सब कुछ ज़मानें पे हारे हुवे
अल मदद ग़ौस-ए-आज़म, इमामे-मुबीं
आ पड़े हम हैं दामन पसारे हुवे

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली

छोड़ कर आप का दर किधर जाएं हम
अपना ज़ख़्मी जिगर किस को दिखलाएं हम
आप हामी-ओ-यावर हैं जाने-करम
दिल की तस्क़ीं भला फिर कहां पाएं हम

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली

हक़ ने दी है तुम्हें वो करीमी, सारे शाहो-गदा पल रहे हैं
वो गदा ताजवर बन गए हैं जिन पे नज़रे-करम तुम ने डाली

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली


काश ! चौखट पे ग़ौस-ए-जली के आए राशिद ! बुलावा हमारा
खूब बातें करें उनसे दिल की थाम कर उन के रोज़े की झाली

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली

तुम्हारे आस्ताने पर है झुकी सब की गर्दनें
तुम्हारे दर से मिली ज़िन्दगी की सारी रौनक़ें

कर दो नज़रे-करम ग़ौसे-आज़म ! हम तुम्हारे हैं दर के भिकारी
तुम हो मौला अली के दुलारे, तुम ही अरब-ओ-अजम के हो वाली


नातख्वां:
मुहम्मद बिलाल क़ादरी

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