बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना / Be-Khud Kiye Dete Hain Andaaz-e-Hijabana
बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
इतना तो करम करना, ए चश्म-ए-करीमाना !
जब जान लबों पर हो, तुम सामने आ जाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
क्यूँ आँख मिलाई थी, क्यूँ आग लगाई थी
अब रुख़ को छुपा बैठे कर के मुझे दीवाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
जी चाहता है तोहफ़े में भेजूँ मैं उन्हें आँखें
दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़राना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
क्या लुत्फ़ हो महशर में ! क़दमों में गिरूँ उन के
सरकार कहें देखो, दीवाना है दीवाना !
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
मैं होश-ओ-हवास अपने इस बात पे खो बैठा
जब तू ने कहा हँस के, आया मेरा दीवाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
पीने को तो पी लूँगा, पर अर्ज़ ज़रा सी है
अजमेर का साक़ी हो, बग़दाद का मय-ख़ाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
बेदम ! मेरी क़िस्मत में चक्कर हैं इसी दर के
छूटा है न छूटेगा मुझ से दर-ए-जानाना
बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
शायर:
बेदम शाह वारसी
नात-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी - अम्जद साबरी - अहमद रज़ा क़ादरी - असद रज़ा अत्तारी
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
इतना तो करम करना, ए चश्म-ए-करीमाना !
जब जान लबों पर हो, तुम सामने आ जाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
क्यूँ आँख मिलाई थी, क्यूँ आग लगाई थी
अब रुख़ को छुपा बैठे कर के मुझे दीवाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
जी चाहता है तोहफ़े में भेजूँ मैं उन्हें आँखें
दर्शन का तो दर्शन हो, नज़राने का नज़राना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
क्या लुत्फ़ हो महशर में ! क़दमों में गिरूँ उन के
सरकार कहें देखो, दीवाना है दीवाना !
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
मैं होश-ओ-हवास अपने इस बात पे खो बैठा
जब तू ने कहा हँस के, आया मेरा दीवाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
पीने को तो पी लूँगा, पर अर्ज़ ज़रा सी है
अजमेर का साक़ी हो, बग़दाद का मय-ख़ाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
बेदम ! मेरी क़िस्मत में चक्कर हैं इसी दर के
छूटा है न छूटेगा मुझ से दर-ए-जानाना
बे-ख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना
आ दिल में तुझे रख लूँ, ए जल्वा-ए-जानाना !
शायर:
बेदम शाह वारसी
नात-ख़्वाँ:
ओवैस रज़ा क़ादरी - अम्जद साबरी - अहमद रज़ा क़ादरी - असद रज़ा अत्तारी
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Subhan allah
ReplyDeleteSubhanallah
Deleteسبحان اللہ
ReplyDeleteMasha Allah
ReplyDeleteMasha allah
ReplyDelete🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
ReplyDeleteMashallah bahut khub
ReplyDeleteMashallah
ReplyDeleteMashaallah 🌹
ReplyDeleteMashaAllah
ReplyDeleteMashallah
ReplyDeleteAllah ham sab ko bhi madina sharif Jane ki toufeeq Ata farmaye
DeleteAmeen
DeleteMassh allah
ReplyDelete💫Masha Allah ✨💚✨
ReplyDeleteAllah padhne or sunne walo ki tamam mushkilo ko aasan farmaye
ReplyDeleteماشااللہ
ReplyDeleteSubhaan allah
ReplyDeleteAise behtreen kalaam likhne wale ko allah apne hifz o Amaan me rakhe aur bhi khubsurat kalaam likhne ki taufeeq de
MashaAllah
ReplyDeleteMashallah subanallaha 😍
ReplyDeleteماشااللہ Subhanallah
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