वादी-ए-तसव्वुर भी ख़ुशबूओं से भर जाए / Waadi-e-Tasawwur Bhi Khushbuon Se Bhar Jaae
वादी-ए-तसव्वुर भी ख़ुशबूओं से भर जाए
नात का हसीं मिसरा मुश्क-बार कर जाए
रू-ए-मुस्तफ़ाई पर ज़ुल्फ़ जब बिखर जाए
आईना अगर देखे, आईना सँवर जाए
इक तरफ़ हसीं जन्नत, इक तरफ़ हसीं रोज़ा
इश्क़ कश्मकश में है, जाए तो किधर जाए
इस लिए रज़ा वाले ना'त-ए-पाक लिखते हैं
इश्क़-ए-सरवर-ए-आलम रूह में उतर जाए
कश्ती-ए-मोहब्बत का डूबना है ना-मुम्किन
उन के इक इशारे से डूब कर उभर जाए
नात-ख़्वाँ:
असद इक़बाल
नात का हसीं मिसरा मुश्क-बार कर जाए
रू-ए-मुस्तफ़ाई पर ज़ुल्फ़ जब बिखर जाए
आईना अगर देखे, आईना सँवर जाए
इक तरफ़ हसीं जन्नत, इक तरफ़ हसीं रोज़ा
इश्क़ कश्मकश में है, जाए तो किधर जाए
इस लिए रज़ा वाले ना'त-ए-पाक लिखते हैं
इश्क़-ए-सरवर-ए-आलम रूह में उतर जाए
कश्ती-ए-मोहब्बत का डूबना है ना-मुम्किन
उन के इक इशारे से डूब कर उभर जाए
नात-ख़्वाँ:
असद इक़बाल
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