हुसैन आज सर को कटाने चले हैं / Husain Aaj Sar Ko Katane Chale Hain

मुहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं
जो बचपन में नाना से वा'दा किया था
उसे करबला में निभाने चले हैं

मुहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं

मिलेगा न तारीख़ में ऐसा गाज़ी
लगा दे जो औलाद की जां की बाज़ी
दिखाए कोई उनके जैसा नमाज़ी
जो सजदे में गरदन कटाने चले हैं

मुहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं

बड़े नाज़ से जिन को पाला नबी ने
जिन्हें रखा पलकों पे मौला अली ने
जिन्हें फ़ातिमा बी ने झूला झुलाया
वो हीं तीर सीने पे खाने चले हैं

मुहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं

यही केह के अकबर की तलवार चमकी
इधर आ सितमगर, क्या देता है धमकी
जो अकबर निशानी है शाहे-उमम की
अली का वो तेवर दिखाने चले हैं

मुहम्मद पे सब कुछ लुटाने चले हैं
हुसैन आज सर को कटाने चले हैं
जो बचपन में नाना से वा'दा किया था
उसे करबला में निभाने चले हैं

नातख्वां:
शमीम रज़ा फ़ैज़ी

Comments

Post a Comment

Most Popular

वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं / Wo Shehr-e-Mohabbat Jahan Mustafa Hain (All Versions)

क्या बताऊँ कि क्या मदीना है / Kya Bataun Ki Kya Madina Hai

या नबी सलाम अलैका / Ya Nabi Salam Alaika | Ya Nabi Salam Alayka (All Popular Versions)

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है | उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है / Hum Ne Aankhon Se Dekha Nahin Hai Magar Unki Tasweer Seene Mein Maujood Hai | Un Ka Jalwa To Seene Mein Maujood Hai

ऐ ज़हरा के बाबा सुनें इल्तिजा मदीना बुला लीजिए / Aye Zahra Ke Baba Sunen Iltija Madina Bula Lijiye

अल-मदद पीरान-ए-पीर ग़ौस-उल-आज़म दस्तगीर / Al-Madad Peeran-e-Peer Ghaus-ul-Azam Dastageer

मुस्तफ़ा, जान-ए-रहमत पे लाखों सलाम (मुख़्तसर) / Mustafa, Jaan-e-Rahmat Pe Laakhon Salaam (Short)

बेख़ुद किए देते हैं अंदाज़-ए-हिजाबाना / Bekhud Kiye Dete Hain Andaz-e-Hijabana

हो करम सरकार अब तो हो गए ग़म बे-शुमार / Ho Karam Sarkar Ab To Ho Gaye Gham Beshumar

मेरे ताजुश्शरीआ की क्या शान है / Mere Tajushsharia Ki Kya Shaan Hai