बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार / Bismillah Kar Bismillah Lakh Lakh Baar
बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
ख़ुशियाँ मनाओ, धूमे मचाओ
अर्श से नूर की आ गई बहार
स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला
या नबी सलाम अलैक, या रसूल सलाम अलैक
सलवातुल्लाह अलैक, या हबीब सलाम अलैक
या नबी सलाम अलैक, या रसूल सलाम अलैक
स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला
आज पैदा हुवे सैयदे-बहरोबर
कुफ्र थरला गया, बूत गिरे टूट कर
आमदे-मुस्तफ़ा मरहबा, मरहबा, मरहबा
मरहबा...
आया मीलाद का मौसम, रहमत बरस उठी छम-छम
मुबारक हो मुबारक हो सभी को मेरे नबी का जनम
बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मुहम्मद मुस्तफ़ा आए, बहारों पर बहार आई
ज़मीं को चूमने जन्नत की ख़ुश्बू बार-बार आई
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
कमली वाले मुहम्मद तों सदक़े मैं जां
जेने आ के गरीबाँ दी बां फड़ लई
मेरी बख़्शिश वसीला मुहम्मद दा नां
जेने आ के गरीबाँ दी बां फड़ लई
आओ अज ज़िक्रे-हबीब करीये
अपना बुलंदी ते नसीब करीये
जन्नत नूं जाण लैयाे रावां मिल गइयाँ
कमली वाला आया ते बहारां मिल गइया
ज़िक्र ये प्यारा, सुन के सारा
मूसा वारसी को आ गया करार है
बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
ताजदारे-हरम हो निग़ाहे-करम
हम ग़रीबों के दिन भी संवर जाएंगे
नातख्वां:
मुहम्मद मूसा वारसी
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
ख़ुशियाँ मनाओ, धूमे मचाओ
अर्श से नूर की आ गई बहार
स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला
या नबी सलाम अलैक, या रसूल सलाम अलैक
सलवातुल्लाह अलैक, या हबीब सलाम अलैक
या नबी सलाम अलैक, या रसूल सलाम अलैक
स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला, स़ल्ले अ़ला
आज पैदा हुवे सैयदे-बहरोबर
कुफ्र थरला गया, बूत गिरे टूट कर
आमदे-मुस्तफ़ा मरहबा, मरहबा, मरहबा
मरहबा...
आया मीलाद का मौसम, रहमत बरस उठी छम-छम
मुबारक हो मुबारक हो सभी को मेरे नबी का जनम
बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मुहम्मद मुस्तफ़ा आए, बहारों पर बहार आई
ज़मीं को चूमने जन्नत की ख़ुश्बू बार-बार आई
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
कमली वाले मुहम्मद तों सदक़े मैं जां
जेने आ के गरीबाँ दी बां फड़ लई
मेरी बख़्शिश वसीला मुहम्मद दा नां
जेने आ के गरीबाँ दी बां फड़ लई
आओ अज ज़िक्रे-हबीब करीये
अपना बुलंदी ते नसीब करीये
जन्नत नूं जाण लैयाे रावां मिल गइयाँ
कमली वाला आया ते बहारां मिल गइया
ज़िक्र ये प्यारा, सुन के सारा
मूसा वारसी को आ गया करार है
बिस्मिल्लाह कर बिस्मिल्लाह लख लख बार
दुनियाँ पे आ गए हैं मदनी सरकार
मेरे नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
लजपाल नबी आ गए मरहबा या मुस्तफ़ा
ताजदारे-हरम हो निग़ाहे-करम
हम ग़रीबों के दिन भी संवर जाएंगे
नातख्वां:
मुहम्मद मूसा वारसी
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