या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह (ज़ैनुल आबिदीन कानपुरी) / Ya Rasoolallah, Ya Rasoolallah (Zainul Aabideen Kaanpuri)

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

सुन तयबा नगर के महाराजा, फ़रियाद मोरे इन असुवन की
मोरे नैन दुखी हैं सुख-दाता, दो भीख इन्हें अब दर्शन की

जब तोरी डगर मैं पाउँगा, तोरे सपनों में खो जाऊंगा
तोरा रूप रचूंगा नैनन में, सुख छैयां में बैठ खजूरन की

तोरे रूप की ज्योत से तो जग में क्या जल जल जल उजियारो है
तोरे केश बदरवा रेहमत के, क्या रचना रचूं तोरे नैनन की

जब रुत हो सुहानी सावन की, तब मुझ को बुलाओ मोरे प्यारे नबी!
बागन में तोरे जुल्वा जूलूं, मैं बन के सहेली हूरन की

मिल जाए अगर दरबार तेरो, पलकन से बुहारूं द्वार तेरो
मैं मुख से मलूँ, नैनन में रचूं, जो धुल मिले तोरे आँगन की

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

उठा दो पर्दा, दिखा दो चेहरा, कि नूरे बारी ह़िजाब में है
ज़माना तारीक हो रहा है कि मेह्‌र कब से निक़ाब में है

खड़े हैं मुन्कर नकीर सर पर. न कोई ह़ामी न कोई यावर !
बता दो आ कर मेरे पयम्बर कि सख़्त मुश्किल जवाब में है

ख़ुदा-ए-क़ह्हार है ग़ज़ब पर, खुले हैं बदकारियों के दफ़्तर
बचा लो आ कर शफ़ीए़ मह़शर, तुम्हारा बन्दा अ़ज़ाब में है

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

सब से औला व आ’ला हमारा नबी
सब से बाला व वाला हमारा नबी

ख़ल्क़ से औलिया औलिया से रुसुल
और रसूलों से आ’ला हमारा नबी

कौन देता है देने को मुंह चाहिये
देने वाला है सच्चा हमारा नबी

सब चमक वाले उजलों में चमका किये
अन्धे शीशों में चमका हमारा नबी

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

सरकार मिसाल नहीं तुमरी, तुमसा न हुवा पैदा जाना
है सल्ले अला सुब्हानल्लाह, तेरी ज़ात को सब से जुदा जाना

है ज़िक्रे-नबी ता औज़े-फलक, यानी वरफ'अना लक ज़िक्रक
चो ओर है सुंदरता की झलक, हर शय को तेरा जल्वा जाना

ये दीन मिला, ईमान मिला, जीने के लिये क़ुरआन मिला
बख़्शिश का हमें सामान मिला, तुम्हे शाफ-ए-रोज़े-जज़ा जाना

वो नूर जो अर्श की ज़ीनत था, पेशानी-ए-आदम में चमका
पहला इन्सां तख़्लीक़ हुवा, तेरे नूर को नूरे-ख़ुदा जाना

मन कमतरो खामए मन कमतर, क्यों कर हो बयां शाने-अतहर
क़ुरआन है जिन का खुद मज़हर, क़ुरआन को रब की सदा जाना

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन, मिस्ले तो न शुद पैदा जाना
जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शहे दो सरा जाना

अल-बह़रू अ़ला वल-मौजु त़गा, मन बे कसो तू़फ़ां होशरुबा
मंजधार में हूं बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना

अना फी अ़त़शिव्व सखा़क अतम, ऐ गेसूए पाक ऐ अब्रे करम
बरसन हारे रिमझिम रिमझिम, दो बूंद इधर भी गिरा जाना

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

मेरी गवाही, मेरी शहादत मदीने वाले के हाथ में है
मेरी नमाज़ और मेरी जन्नत मदीने वाले के हाथ में है

ये इल्मो-फ़ज़्लो-कमालो-हिकमत मदीने वाले के हाथ में है
ये सरबुलन्दी, ये शानो-शौकत मदीने वाले के हाथ में है

ज़बूरो-तौरेत भी है बरहक़, मगर मुझे इनकी क्या ज़रुरत
मेरी किताब और मेरी हिदायत मदीने वाले के हाथ में है

दिखा के तहज़ीब के उजाले, मुझे न बहकाए दुनिया वाले
मैं जानता हूँ ख़ुदा की रहमत मदीने वाले के हाथ में है

ख़ुदा का रहमो-करम है सब पर, वही है दोनों जहां का मालिक
मगर बक़ौले रज़ा हुकूमत मदीने वाले के हाथ में है

वो राहबर भी, वो पासबां भी, वो इल्म वाले हैं ग़ैब-दां भी
ख़ुदा की बख़्शि हर एक नेअमत मदीने वाले के हाथ में है

गवाही देता है सेहने-अक़्सा, जो सारे नबियों ने सफ बनाई
कहा ये जिब्रील ने इमामत मदीने वाले के हाथ में है

हज़ार आएं बलाएं लेकिन, बलाएं कुछ भी न कर सकेंगी
बता दो उन से मेरी हिफाज़त मदीने वाले के हाथ में है

बहोत हैं महशर की गर्म ख़बरें, मगर मुझे कोई डर नहीं है
मुझे यक़ीं है मेरी शफ़ाअत मदीने वाले के हाथ में है

या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह
या रसूलल्लाह, या रसूलल्लाह

नातख्वां:
ज़ैनुल आबिदीन कानपुरी

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