तेरे दर से है मँगतों का गुज़ारा, या शह-ए-बग़दाद ! / Tere Dar Se Hai Mangton Ka Guzaara, Ya Shah-e-Baghdad !
तेरे दर से है मँगतों का गुज़ारा, या शह-ए-बग़दाद !
ये सुन कर मैं ने भी दामन पसारा, या शह-ए-बग़दाद !
मेरी क़िस्मत का चमका दो सितारा या शह-ए-बग़दाद !
दिखा दो अपना चेहरा प्यारा प्यारा, या शह-ए-बग़दाद !
इजाज़त दो कि मैं बग़दाद हाज़िर हो के फिर कर लूँ
तुम्हारे नीले गुम्बद का नज़ारा, या शह-ए-बग़दाद !
करम मीरां ! मेरे उजड़े गुलिस्ताँ में बहार आए
ख़िज़ाँ का रुख़ फिरा दो अब ख़ुदारा ! या शह-ए-बग़दाद !
शहा ! ख़ैरात लेने को सलातीन-ए-ज़माना ने
तेरे दरबार में दामन पसारा, या शह-ए-बग़दाद !
वसीला चार यारों का, ख़ुदा से बख़्शवा दी जे
करम फ़रमाइए मुझ पर ख़ुदारा ! या शह-ए-बग़दाद !
अगर-चे लाख पापी है, मगर अत्तार किस का है ?
तुम्हारा है, तुम्हारा है, तुम्हारा या शह-ए-बग़दाद !
शायर:
मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी
ये सुन कर मैं ने भी दामन पसारा, या शह-ए-बग़दाद !
मेरी क़िस्मत का चमका दो सितारा या शह-ए-बग़दाद !
दिखा दो अपना चेहरा प्यारा प्यारा, या शह-ए-बग़दाद !
इजाज़त दो कि मैं बग़दाद हाज़िर हो के फिर कर लूँ
तुम्हारे नीले गुम्बद का नज़ारा, या शह-ए-बग़दाद !
करम मीरां ! मेरे उजड़े गुलिस्ताँ में बहार आए
ख़िज़ाँ का रुख़ फिरा दो अब ख़ुदारा ! या शह-ए-बग़दाद !
शहा ! ख़ैरात लेने को सलातीन-ए-ज़माना ने
तेरे दरबार में दामन पसारा, या शह-ए-बग़दाद !
वसीला चार यारों का, ख़ुदा से बख़्शवा दी जे
करम फ़रमाइए मुझ पर ख़ुदारा ! या शह-ए-बग़दाद !
अगर-चे लाख पापी है, मगर अत्तार किस का है ?
तुम्हारा है, तुम्हारा है, तुम्हारा या शह-ए-बग़दाद !
शायर:
मुहम्मद इल्यास अत्तार क़ादरी
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