पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं / Paanch Naam Lete Hain, Panjtan Hamaare Hain
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
उन पे जीते-मरते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
ले लिया है चारों को मुस्तफ़ा ने चादर में
अहल-ए-बैत ऐसे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
फ़ातिमा, मुहम्मद और शब्बर-ओ-अली, शब्बीर
नूर से चमकते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
था मुबाहिला जिस दम, साथ थे ये पाँचों तन
कौन इन के जैसे हैं ! पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
जब मरीज़ आता है, मिस्ल-ए-इब्न-ए-हम्बल हम
पाँचों नाम लिखते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
नाम लिखना कश्ती पर, देखना समुंदर भी
ख़ुद किनारा देते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
बाइ'स-ए-शफ़ाअ'त हैं, ख़ुल्द की ज़मानत हैं
मौला के ये प्यारे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
बाग़ है मुहम्मद का, बाग़-बाँ अली, ज़हरा
फूल से नवासे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
टूटे हैं मुसीबत के कैसे कोह-ए-ग़म इन पर
सब्र-ओ-हिल्म वाले हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
जो भी उन का नौकर है, हर जगह उजागर है
सारे जग से ऊँचे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
उन पे जीते-मरते हैं, पंज-तन हमारे हैं
शायर:
अल्लामा निसार अली उजागर
उन पे जीते-मरते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
ले लिया है चारों को मुस्तफ़ा ने चादर में
अहल-ए-बैत ऐसे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
फ़ातिमा, मुहम्मद और शब्बर-ओ-अली, शब्बीर
नूर से चमकते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
था मुबाहिला जिस दम, साथ थे ये पाँचों तन
कौन इन के जैसे हैं ! पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
जब मरीज़ आता है, मिस्ल-ए-इब्न-ए-हम्बल हम
पाँचों नाम लिखते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
नाम लिखना कश्ती पर, देखना समुंदर भी
ख़ुद किनारा देते हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
बाइ'स-ए-शफ़ाअ'त हैं, ख़ुल्द की ज़मानत हैं
मौला के ये प्यारे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
बाग़ है मुहम्मद का, बाग़-बाँ अली, ज़हरा
फूल से नवासे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
टूटे हैं मुसीबत के कैसे कोह-ए-ग़म इन पर
सब्र-ओ-हिल्म वाले हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
जो भी उन का नौकर है, हर जगह उजागर है
सारे जग से ऊँचे हैं, पंज-तन हमारे हैं
पाँच नाम लेते हैं, पंज-तन हमारे हैं
उन पे जीते-मरते हैं, पंज-तन हमारे हैं
शायर:
अल्लामा निसार अली उजागर
नात-ख़्वाँ:
हाफ़िज़ ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी
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