साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो (दुरूद-ए-ताज | मंज़ूम तर्जुमा) / Sahib-e-Taaj Wo, Shaah-e-Mea'raj Wo (Durood-e-Taaj | Lyrical Translation)
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
शह-सवार-ए-बुराक़-ओ-अमीर-ए-अ'लम
दाफ़े-ए-हर-बला, दाफ़े-ए-हर-वबा
दाफ़े-ए-क़हत-ओ-अमराज़-ओ-रंज-ओ-अलम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
इस्म लिखा गया, इस्म ऊँचा हुआ
इस्म मोहर-ए-क़बूल-ए-शफ़ाअ'त भी है
इस्म की बरकतें, इस्म की रौनक़ें
इस्म लोह-ओ-क़लम की अमानत भी है
क्या अ'रब ! क्या अ'जम ! सब के सरदार हैं
सब के सरदार का है मुक़द्दस बदन
हरम-ओ-का'बा को वो जो मुनव्वर करे
वो महकती, वो पाकीज़ा सी इक किरन
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
चाश्त-गाहों का सूरज वजूद आप का
आप हर शब की ज़ुल्मत के माहताब हैं
सदर बज़्म-ए-बुलंदी-ओ-रिफ़अ'त के हैं
राह-गुज़ार-ए-हिदायत के माहताब हैं
सारी मख़्लूक़ की हैं वो जा-ए-अमाँ
सारी तारीकियों के वो रौशन चराग़
नेक तीनत हैं वो, नेक अतवार हैं
उन के हाथों में है बख़्शिशों के अयाग़
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
सर से पैरों तलक वो करम ही करम
रब हिफ़ाज़त करे बिल-यक़ीं आप की
उन के ख़िदमत-गुज़ारों में जिब्रील है
और सवारी बुराक़-ए-हसीं आप की
सफ़र उन का है मेअ'राज और सिद्रतुल-
मुंतहा मुस्तक़र और मक़ाम उन का है
क़ाब क़ौसेन का मर्तबा उन का मतलूब-
है और दारु-स्सलाम उन का है
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
और मतलूब ही उन का मक़्सूद है
और मक़्सूद ही उन का मौजूद है
आप सारे रसूलों के सरदार हैं
आप का सिर्फ़ अल्लाह मअ'बूद है
बा'द में सारे नबियों के आए हैं वो
बख़्शवाएँगे हर इक गुनाहगार को
हर मुसाफ़िर की करते हैं ग़म-ख़्वारियाँ
रहमतें बाँटते हैं वो संसार को
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
आशिक़ों के दिलों की वो तस्कीन हैं
और मुरादें हर इक साहिब-ए-शौक़ की
हक़-शनासों के ख़ुर्शीद-ओ-ख़ावर हैं वो
सालिकीन-ए-रह-ए-इश्क़ की रौशनी
प्यार मोहताज-ओ-मुफ़्लिस से, मिस्कीन से
हर मुक़र्रिब की वो रह-नुमाई करें
जिन्न-ओ-इंसाँ के सरदार, दोनों हरम-
दोनों क़िबलों की वो पेशवाई करें
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
दुनिया और आख़िरत का वसीला हैं वो
रुत्बा-ए-क़ाब-क़ौसेन जिन को मिला
दोनों ही मश्रिक़ों मग़रिबों का वो रब
हासिल उन को ख़िताब उस के महबूब का
जद्द-ए-अमजद हैं हसनैन के और हर-
जिन्न-ओ-इंसाँ के आक़ा-ओ-मौला हैं वो
बाप क़ासिम के, बेटे हैं अब्दुल्लाह के
और नूर-ए-इलाही का हिस्सा हैं वो
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
ए फ़िदायान-ए-नूर-ए-जमाल-ए-नबी !
आप पर, आल-ओ-असहाब पर सुब्ह-ओ-शाम
जैसे हक़ भेजने का है भेजो ब-सद-
एहतिराम-ओ-मोहब्बत दुरूद-ओ-सलाम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
शह-सवार-ए-बुराक़-ओ-अमीर-ए-अ'लम
दाफ़े-ए-हर-बला, दाफ़े-ए-हर-वबा
दाफ़े-ए-क़हत-ओ-अमराज़-ओ-रंज-ओ-अलम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
नात-ख़्वाँ:
हूरिया फ़हीम - असद अत्तारी
शह-सवार-ए-बुराक़-ओ-अमीर-ए-अ'लम
दाफ़े-ए-हर-बला, दाफ़े-ए-हर-वबा
दाफ़े-ए-क़हत-ओ-अमराज़-ओ-रंज-ओ-अलम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
इस्म लिखा गया, इस्म ऊँचा हुआ
इस्म मोहर-ए-क़बूल-ए-शफ़ाअ'त भी है
इस्म की बरकतें, इस्म की रौनक़ें
इस्म लोह-ओ-क़लम की अमानत भी है
क्या अ'रब ! क्या अ'जम ! सब के सरदार हैं
सब के सरदार का है मुक़द्दस बदन
हरम-ओ-का'बा को वो जो मुनव्वर करे
वो महकती, वो पाकीज़ा सी इक किरन
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
चाश्त-गाहों का सूरज वजूद आप का
आप हर शब की ज़ुल्मत के माहताब हैं
सदर बज़्म-ए-बुलंदी-ओ-रिफ़अ'त के हैं
राह-गुज़ार-ए-हिदायत के माहताब हैं
सारी मख़्लूक़ की हैं वो जा-ए-अमाँ
सारी तारीकियों के वो रौशन चराग़
नेक तीनत हैं वो, नेक अतवार हैं
उन के हाथों में है बख़्शिशों के अयाग़
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
सर से पैरों तलक वो करम ही करम
रब हिफ़ाज़त करे बिल-यक़ीं आप की
उन के ख़िदमत-गुज़ारों में जिब्रील है
और सवारी बुराक़-ए-हसीं आप की
सफ़र उन का है मेअ'राज और सिद्रतुल-
मुंतहा मुस्तक़र और मक़ाम उन का है
क़ाब क़ौसेन का मर्तबा उन का मतलूब-
है और दारु-स्सलाम उन का है
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
और मतलूब ही उन का मक़्सूद है
और मक़्सूद ही उन का मौजूद है
आप सारे रसूलों के सरदार हैं
आप का सिर्फ़ अल्लाह मअ'बूद है
बा'द में सारे नबियों के आए हैं वो
बख़्शवाएँगे हर इक गुनाहगार को
हर मुसाफ़िर की करते हैं ग़म-ख़्वारियाँ
रहमतें बाँटते हैं वो संसार को
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
आशिक़ों के दिलों की वो तस्कीन हैं
और मुरादें हर इक साहिब-ए-शौक़ की
हक़-शनासों के ख़ुर्शीद-ओ-ख़ावर हैं वो
सालिकीन-ए-रह-ए-इश्क़ की रौशनी
प्यार मोहताज-ओ-मुफ़्लिस से, मिस्कीन से
हर मुक़र्रिब की वो रह-नुमाई करें
जिन्न-ओ-इंसाँ के सरदार, दोनों हरम-
दोनों क़िबलों की वो पेशवाई करें
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
दुनिया और आख़िरत का वसीला हैं वो
रुत्बा-ए-क़ाब-क़ौसेन जिन को मिला
दोनों ही मश्रिक़ों मग़रिबों का वो रब
हासिल उन को ख़िताब उस के महबूब का
जद्द-ए-अमजद हैं हसनैन के और हर-
जिन्न-ओ-इंसाँ के आक़ा-ओ-मौला हैं वो
बाप क़ासिम के, बेटे हैं अब्दुल्लाह के
और नूर-ए-इलाही का हिस्सा हैं वो
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
ए फ़िदायान-ए-नूर-ए-जमाल-ए-नबी !
आप पर, आल-ओ-असहाब पर सुब्ह-ओ-शाम
जैसे हक़ भेजने का है भेजो ब-सद-
एहतिराम-ओ-मोहब्बत दुरूद-ओ-सलाम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
शह-सवार-ए-बुराक़-ओ-अमीर-ए-अ'लम
दाफ़े-ए-हर-बला, दाफ़े-ए-हर-वबा
दाफ़े-ए-क़हत-ओ-अमराज़-ओ-रंज-ओ-अलम
साहिब-ए-ताज वो, शाह-ए-मेअ'राज वो
नात-ख़्वाँ:
हूरिया फ़हीम - असद अत्तारी
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