वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा / Wo Din Aaega Ik Baar, Main Madine Jaaunga
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
करने रोज़े का दीदार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
मुझ को यक़ीं है, करम करेंगे आमिना बी के लाल
उन को तो मा'लूम है, वल्लाह ! मेरे दिल का हाल
कहते हैं ये दिल के तार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
ग़ौस-ओ-ख़्वाजा, लाल कलंदर मेरे सच्चे पीर
उन की निस्बत का सरमाया है मेरी जागीर
वो कर देंगे बेड़ा पार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
है आमिना में मीम, हलीमा में मीम है
मेहराब में है मीम तो मिम्बर में मीम है
मीनार में है मीम तो मस्जिद में मीम है
ईमान में है मीम तो मुस्लिम में मीम है
मीलाद में है मीम तो महफ़िल में मीम है
एहराम में है मीम तो ज़मज़म में मीम है
पैग़ाम में है मीम, पैग़म्बर में मीम है
इस्लाम में है मीम तो मज़हब में मीम है
नमाज़ में है मीम तो कलमे में मीम है
अहमद में मीम है तो मुहम्मद में मीम है
मक्के में मीम है तो मदीने में मीम है
इस मीम का है राज़ 'अलिफ़-लाम-मीम' में
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
देखा नहीं उन का दर अब तक, क्या होगा अंजाम !
मेरे दिल की धड़कन मुझ को देती है पैग़ाम
मरने से पहले इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
क्या ग़म है कि जकड़े हुए है दूरी की ज़ंजीर
मिल जाएगी मुझ को मेरे ख़्वाबों की ता'बीर
जिस दिन चाहेंगे सरकार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
शाह-ए-मदीना, रहमत-ए-आलम, नबियों के सरदार
देखें, कब दिखलाएँ अपना नूरानी दरबार
मैं तो हूँ कब से तैयार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
नात-ख़्वाँ:
मुहम्मद अर्सलान फ़ारूक़ और अज्वा बतूल
करने रोज़े का दीदार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
मुझ को यक़ीं है, करम करेंगे आमिना बी के लाल
उन को तो मा'लूम है, वल्लाह ! मेरे दिल का हाल
कहते हैं ये दिल के तार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
ग़ौस-ओ-ख़्वाजा, लाल कलंदर मेरे सच्चे पीर
उन की निस्बत का सरमाया है मेरी जागीर
वो कर देंगे बेड़ा पार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
है आमिना में मीम, हलीमा में मीम है
मेहराब में है मीम तो मिम्बर में मीम है
मीनार में है मीम तो मस्जिद में मीम है
ईमान में है मीम तो मुस्लिम में मीम है
मीलाद में है मीम तो महफ़िल में मीम है
एहराम में है मीम तो ज़मज़म में मीम है
पैग़ाम में है मीम, पैग़म्बर में मीम है
इस्लाम में है मीम तो मज़हब में मीम है
नमाज़ में है मीम तो कलमे में मीम है
अहमद में मीम है तो मुहम्मद में मीम है
मक्के में मीम है तो मदीने में मीम है
इस मीम का है राज़ 'अलिफ़-लाम-मीम' में
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
देखा नहीं उन का दर अब तक, क्या होगा अंजाम !
मेरे दिल की धड़कन मुझ को देती है पैग़ाम
मरने से पहले इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
क्या ग़म है कि जकड़े हुए है दूरी की ज़ंजीर
मिल जाएगी मुझ को मेरे ख़्वाबों की ता'बीर
जिस दिन चाहेंगे सरकार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
शाह-ए-मदीना, रहमत-ए-आलम, नबियों के सरदार
देखें, कब दिखलाएँ अपना नूरानी दरबार
मैं तो हूँ कब से तैयार, मैं मदीने जाऊँगा
वो दिन आएगा इक बार, मैं मदीने जाऊँगा
नात-ख़्वाँ:
मुहम्मद अर्सलान फ़ारूक़ और अज्वा बतूल
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سبحان اللہ
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