ये मो'जिज़ा रसूल-ए-ख़ुदा ने दिखा दिया / Ye Mo'jiza Rasool-e-Khuda Ne Dikha Diya
ये मो'जिज़ा रसूल-ए-ख़ुदा ने दिखा दिया
मुट्ठी में कंकरी को भी कलमा पढ़ा दिया
राह-ए-ख़ुदा में दे के ख़दीजा ने माल-ओ-ज़र
मक्के के हर ग़रीब का चूल्हा जला दिया
बू-जहल बेचता था जो अंधों को आईना
आक़ा ने उस दुकान में ताला लगा दिया
अपने गले लगा के नबी ने बिलाल को
दुनिया से काले गोरे का झगड़ा मिटा दिया
बंजर ज़मीं पे खेती ऊगा दी गुलाब की
कुएँ के खारे पानी को मीठा बना दिया
'तब्बत यदा' की ज़द में जो आया अबू-लहब
उस को ख़ुदा के क़हर ने लूला बना दिया
वो आख़री अज़ान थी हिज्र-ए-रसूल में
रो कर मेरे बिलाल ने सब को रुला दिया
मुट्ठी में कंकरी को भी कलमा पढ़ा दिया
राह-ए-ख़ुदा में दे के ख़दीजा ने माल-ओ-ज़र
मक्के के हर ग़रीब का चूल्हा जला दिया
बू-जहल बेचता था जो अंधों को आईना
आक़ा ने उस दुकान में ताला लगा दिया
अपने गले लगा के नबी ने बिलाल को
दुनिया से काले गोरे का झगड़ा मिटा दिया
बंजर ज़मीं पे खेती ऊगा दी गुलाब की
कुएँ के खारे पानी को मीठा बना दिया
'तब्बत यदा' की ज़द में जो आया अबू-लहब
उस को ख़ुदा के क़हर ने लूला बना दिया
वो आख़री अज़ान थी हिज्र-ए-रसूल में
रो कर मेरे बिलाल ने सब को रुला दिया
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