नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली ! (जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी) / Naara-e-Haidri ! Ya Ali ! Ya Ali ! (Jis Ke Haathon Mein Hai Zulfiqaar-e-Nabi)
जिस के हाथों में है ज़ुल्फ़िक़ार-ए-नबी
जिस के पहलू में है राह-वार-ए-नबी
दुख़्तर-ए-मुस्तफ़ा जिस की दुल्हन बनी
जिस के बेटों से नस्ल-ए-नबी है चली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जिस के बारे में फ़रमाएँ प्यारे नबी
जिस का मौला हूँ मैं, उस का मौला अली
जिस की तलवार की जग में शोहरत हुई
जिस के कुन्बे से रस्म-ए-शुजाअ'त चली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जिस को शाह-ए-विलायत का दर्जा मिला
जीते जी जिस को जन्नत का मुज़्दा मिला
सय्यिद-ए-दो-जहाँ जिस को रुत्बा मिला
सिलसिले सारे जिस पर हुए मुंतही
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जो अली का हुआ, वो नबी का हुआ
'या अली' कह दिया सारा ग़म टल गया
वो हैं ख़ैबर-शिकन और शेर-ए-ख़ुदा
नाम से जिन के हर रंज-ओ-कुल्फ़त टली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
सय्यिदों के वही जद्द-ए-आ'ला भी हैं
मेरे नाना भी हैं, मेरे दादा भी हैं
मेरे आक़ा भी हैं, मेरे मौला भी हैं
नज़्मी ! वो ही सफ़ी, वो नजी, वो रज़ी
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
शायर:
नज़्मी मियाँ
नात-ख़्वाँ:
मनाज़िर हुसैन बदायुनी
जिस के पहलू में है राह-वार-ए-नबी
दुख़्तर-ए-मुस्तफ़ा जिस की दुल्हन बनी
जिस के बेटों से नस्ल-ए-नबी है चली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जिस के बारे में फ़रमाएँ प्यारे नबी
जिस का मौला हूँ मैं, उस का मौला अली
जिस की तलवार की जग में शोहरत हुई
जिस के कुन्बे से रस्म-ए-शुजाअ'त चली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जिस को शाह-ए-विलायत का दर्जा मिला
जीते जी जिस को जन्नत का मुज़्दा मिला
सय्यिद-ए-दो-जहाँ जिस को रुत्बा मिला
सिलसिले सारे जिस पर हुए मुंतही
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
जो अली का हुआ, वो नबी का हुआ
'या अली' कह दिया सारा ग़म टल गया
वो हैं ख़ैबर-शिकन और शेर-ए-ख़ुदा
नाम से जिन के हर रंज-ओ-कुल्फ़त टली
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
सय्यिदों के वही जद्द-ए-आ'ला भी हैं
मेरे नाना भी हैं, मेरे दादा भी हैं
मेरे आक़ा भी हैं, मेरे मौला भी हैं
नज़्मी ! वो ही सफ़ी, वो नजी, वो रज़ी
हाँ ! वही, हाँ ! वही, वो अली-यो-वली
नारा-ए-हैदरी ! या अली ! या अली !
शायर:
नज़्मी मियाँ
नात-ख़्वाँ:
मनाज़िर हुसैन बदायुनी
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یا علی ❤❤❤
ReplyDeleteسبحان اللہ