रसूल-ए-पाक की चाहत अबु बकर सिद्दीक़ | सिद्दीक़ मौला मेरे सिद्दीक़ मौला / Rasool-e-Paak Ki Chahat Abu Bakar Siddiq | Siddiq Maula Mere Siddiq Maula

सिद्दीक़-ए-अकबर ! सिद्दीक़-ए-अकबर !
सिद्दीक़-ए-अकबर ! सिद्दीक़-ए-अकबर !

या अमीरुल-मोमिनीन ! या अमीरुल-मोमिनीन !

पहले सहाबी मेरे सिद्दीक़ हैं
पहले ख़लीफ़ा मेरे सिद्दीक़ हैं

बिलाल को ग़ुलामी से आज़ाद कराए
इमामत-ए-'अली-'उमर-'उस्मान कराए

मौला ! मौला ! मौला ! मौला ! मौला !

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

रसूल-ए-पाक की चाहत अबू-बकर सिद्दीक़
हैं आप फ़ख़्र-ए-ख़िलाफ़त अबू-बकर सिद्दीक़

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

नबी के बा'द जो अफ़ज़ल है सारे 'आलम में
वही है शान-ए-सदाक़त अबू-बकर सिद्दीक़

वो पहला मदद-गार, पहला सहाबी
नबी ने जिसे हर क़दम पर दु'आ दी

वो अफ़ज़ल-बशर-बा'द-अज़-अंबिया है
वो जान-ए-सदाक़त, वो जान-ए-वफ़ा है

फ़रिश्ते उसी की 'अदाओं पे 'आशिक़
उसी की नमाज़ों दु'आओं पे 'आशिक़

सहाबी वो ऐसा इमामों से आ'ला
मुहम्मद से हर दम वफ़ा करने वाला

वो सिद्दीक़-ए-अकबर कि जिस का लक़ब है
वो पहला ख़लीफ़ा, वो पहला 'अरब है

बशर की सदाक़त का मे'यार ठहरा
सदाक़त का ऊँचा वो मीनार ठहरा

चटानों से मज़बूत उस का क़दम था
वो चलता हुआ एक बाब-ए-हरम था

वो सारा था ता'लीम क़ुरआन जैसा
ख़ुदा का था इक इक फ़रमान जैसा

ख़ुदा उस से राज़ी, हुआ वो ख़ुदा से
कहे क़ुदसी आमीन उस की दु'आ पे

ज़मीं पे वो 'अर्श-ए-बरीं देखता है
वो सब से निराला, वो सब से जुदा है

दु'आ के लिए वो अगर लब हिला दे
ख़ुदा उस पे अपने ख़ज़ाने लुटा दे

वही 'स़ानी अस़नैन' का है मुख़ातब
उसी के लिए हैं बड़े सब मरातिब

वो सिद्दीक़-ए-अकबर कि जिस का लक़ब है
वो पहला ख़लीफ़ा, वो पहला 'अरब है

वो जब भी ख़ुदा से दु'आ माँगता है
वो अपने लिए मुस्तफ़ा माँगता है

मेरी जान क़ुर्बान जान-ए-वफ़ा पे
मैं राज़ी हूँ, राज़ी हूँ उस की रज़ा पे

मेरी जान जान-ए-वफ़ा के लिए है
मेरा हर नफ़स मुस्तफ़ा के लिए है

मैं सौ बार लौटूँ, मैं सौ बार आऊँ
मैं क़ुर्बान जाऊँ, मैं क़ुर्बान जाऊँ

क्या ख़ूब प्यारी हैं उस की दु'आएँ
ग़ुनाहों से महफ़ूज़ उस की अदाएँ

वो पहला मुजाहिद, वो पहला है ग़ाज़ी
वो पहला ख़लीफ़ा, वो पहला नमाज़ी

ज़मीं पे चराग़-ए-वफ़ा बन के आया
हबीब-ए-हबीब-ए-ख़ुदा बन के आया

तेरा सानी पैदा हुआ है न होगा
कोई मर्द ऐसा हुआ है न होगा

वो सिद्दीक़-ए-अकबर कि जिस का लक़ब है
वो पहला ख़लीफ़ा, वो पहला 'अरब है

सदाक़त का पैकर, समंदर वफ़ा का
वो ग़म-ख़्वार पहला रसूल-ए-ख़ुदा का

नबी से वो नज़रें हटाता नहीं है
जहाँ पर नबी है वो अब भी वहीं है

वो ईमान लाने बचाने में पहला
वो बार-ए-ख़िलाफ़त उठाने में पहला

सदाक़त, सुजा'अत में वो सब से आगे
नबी की इता'अत में वो सब से आगे

रसूल-ए-ख़ुदा पर फ़िदा होने वाला
वो जान-ए-वफ़ा पर फ़िदा होने वाला

वो सारे का सारा ख़ुदा के लिए था
वो ज़िंदा फ़क़त मुस्तफ़ा के लिए था

वो सिद्दीक़-ए-अकबर कि जिस का लक़ब है
वो पहला ख़लीफ़ा, वो पहला 'अरब है

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

फ़क़त बशर ही नहीं 'अर्श पर फ़रिश्ते भी
हैं करते आप की 'इज़्ज़त अबू-बकर सिद्दीक़

रसूल-ए-पाक की चाहत अबू-बकर सिद्दीक़
हैं आप फ़ख़्र-ए-ख़िलाफ़त अबू-बकर सिद्दीक़

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

'अली का हो नहीं सकता वो रोज़-ए-महशर तक
जो रक्खे तुझ से 'अदावत अबू-बकर सिद्दीक़

मुस्तफ़ा के दिलबर-ओ-दिलदार भी सिद्दीक़ हैं
जाँ-निसार ऐसे के यार-ए-ग़ार भी सिद्दीक़ हैं
दुश्मन-ए-दीं के लिए तलवार भी सिद्दीक़ हैं
हिफ़्ज़-ए-दीं की आहनी दीवार भी सिद्दीक़ हैं

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

अव्वल भी तू है, मौला !
अफ़ज़ल भी तू है, मौला !

'उमर ने कह दिया, अबू-बकर ! अबू-बकर !
'उस्मान की सदा, अबू-बकर ! अबू-बकर !
हैदर ने भी कहा, अबू-बकर ! अबू-बकर !

'उमर ने कह दिया, 'उस्मान की सदा, हैदर ने ना'रा लगाया

नबी के पास जो सोए हुए हैं राहत से
वही हैं साहिब-ए-'इज़्ज़त अबू-बकर सिद्दीक़

रसूल-ए-पाक की चाहत अबू-बकर सिद्दीक़
हैं आप फ़ख़्र-ए-ख़िलाफ़त अबू-बकर सिद्दीक़

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

मुख़ालिफ़ीन तड़पते रहेंगे यूँ ही तेरे
न होगी कम तेरी शोहरत, अबू-बकर सिद्दीक़ !

मुस्तफ़ा के दिलबर-ओ-दिलदार भी सिद्दीक़ हैं
जाँ-निसार ऐसे के यार-ए-ग़ार भी सिद्दीक़ हैं
दुश्मन-ए-दीं के लिए तलवार भी सिद्दीक़ हैं
हिफ़्ज़-ए-दीं की आहनी दीवार भी सिद्दीक़ हैं

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

सहाबियों की जमा'अत के पेशवा हैं आप
सभी को तुझ से है उल्फ़त, अबू-बकर सिद्दीक़ !

रसूल-ए-पाक की चाहत अबू-बकर सिद्दीक़
हैं आप फ़ख़्र-ए-ख़िलाफ़त अबू-बकर सिद्दीक़

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !

क़याम ! रोज़-ए-जज़ा हम को बख़्शवा लेंगे
रफ़ीक़-ए-मालिक-ए-जन्नत अबू-बकर सिद्दीक़

रसूल-ए-पाक की चाहत अबू-बकर सिद्दीक़
हैं आप फ़ख़्र-ए-ख़िलाफ़त अबू-बकर सिद्दीक़

सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !
सिद्दीक़ मौला मेरे ! सिद्दीक़ मौला !


शायर:
मौलाना क़याम रज़ा क़ादरी

नात-ख़्वाँ:
हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी और हाफ़िज़ अहसन क़ादरी
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