हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो ! / Hashr Mein Phir Milenge Mere Dosto !
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
बस यही है मक़ाम आख़री आख़री
ज़िंदगी ने जहाँ तक वफ़ा की, रही
चल दिए अब सलाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
कहना सब जीते जी के हैं शिकवे-गिले
आज से ख़त्म दुनिया के सब सिलसिले
शम्अ' ढलने को है, दम निकलने को है
अब है क़िस्सा तमाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
मुझ को नहला के पहना दिए हैं कफ़न
रो चुके मिलके माँ-बाप, भाई-बहन
मौत भी दोस्तो ! आज हैरत में है
हो चुका एहतिमाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
ख़ुश्बुओं में कफ़न को बसाने लगे
मेरी मय्यत को दुल्हन बनाने लगे
दोस्तो ! अब उठाओ जनाज़ा मेरा
हो चुका इंतिज़ाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
मुझ को ज़ेर-ए-ज़मीं यार दफ़ना गए
किस क़दर संग-दिल हो के फ़रमा गए
दोस्तो ! चैन की नींद सोते रहो
बस यही है मक़ाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
कैसी दुनिया है यारो ! गज़ब रे गज़ब !
चंद दिनों में यहाँ भूल जाते हैं सब !
जिस बहाने मेरी याद आ जाए तो
पढ़ लेना ये कलाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
अलविदाअ' अलविदाअ' दोस्तो ! मैं चला
हो चुका मेरा काम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
नात-ख़्वाँ:
मुज़फ़्फ़र रज़ा
बस यही है मक़ाम आख़री आख़री
ज़िंदगी ने जहाँ तक वफ़ा की, रही
चल दिए अब सलाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
कहना सब जीते जी के हैं शिकवे-गिले
आज से ख़त्म दुनिया के सब सिलसिले
शम्अ' ढलने को है, दम निकलने को है
अब है क़िस्सा तमाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
मुझ को नहला के पहना दिए हैं कफ़न
रो चुके मिलके माँ-बाप, भाई-बहन
मौत भी दोस्तो ! आज हैरत में है
हो चुका एहतिमाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
ख़ुश्बुओं में कफ़न को बसाने लगे
मेरी मय्यत को दुल्हन बनाने लगे
दोस्तो ! अब उठाओ जनाज़ा मेरा
हो चुका इंतिज़ाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
मुझ को ज़ेर-ए-ज़मीं यार दफ़ना गए
किस क़दर संग-दिल हो के फ़रमा गए
दोस्तो ! चैन की नींद सोते रहो
बस यही है मक़ाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
कैसी दुनिया है यारो ! गज़ब रे गज़ब !
चंद दिनों में यहाँ भूल जाते हैं सब !
जिस बहाने मेरी याद आ जाए तो
पढ़ लेना ये कलाम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
अलविदाअ' अलविदाअ' दोस्तो ! मैं चला
हो चुका मेरा काम आख़री आख़री
हश्र में फिर मिलेंगे मेरे दोस्तो !
नात-ख़्वाँ:
मुज़फ़्फ़र रज़ा
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Mashallah
ReplyDeleteMashallah
DeleteMassallah
ReplyDeleteMashallah
Deletemasgha allah
ReplyDeleteMashaallah
ReplyDeleteसच्चाई
ReplyDeleteमाशाअल्लाह
ReplyDeleteबहुत उम्दा
DeleteMashah Allah
ReplyDeleteMashallah
ReplyDeleteMashaAllah
ReplyDeleteMashallah
ReplyDeleteMasha Allha
ReplyDeleteSubhanallah mashallah
ReplyDeleteMasha allah
ReplyDeleteSubhan Allah
DeleteMasha Allah
ReplyDeleteMashaAllah Subhanallah
ReplyDeleteMasha Allah
ReplyDeleteMashallah
ReplyDeleteMashallah bahot khubsurat naat dil ko chu dene wala hai bhai jaan
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