या इलाही ! हर जगह तेरी अता का साथ हो / Ya Ilahi ! Har Jagah Teri Ata Ka Saath Ho
या इलाही ! हर जगह तेरी अ़त़ा का साथ हो
जब पड़े मुश्किल, शह-ए-मुश्किल-कुशा का साथ हो
या इलाही ! भूल जाऊँ नज़्अ' की तकलीफ़ को
शादी-ए-दीदार-ए-ह़ुस्न-ए-मुस्त़फ़ा का साथ हो
या इलाही ! गोर-ए-तीरा की जब आए सख़्त रात
उन के प्यारे मुँह की सुब्ह़-ए-जाँ-फ़िज़ा का साथ हो
या इलाही ! जब पड़े मह़शर में शोर-ए-दार-ओ-गीर
अम्न देने वाले प्यारे पेशवा का साथ हो
या इलाही ! जब ज़बानें बाहर आएँ प्यास से
साह़िब-ए-कौसर, शह-ए-जूद-ओ-अ़त़ा का साथ हो
या इलाही ! सर्द-मेहरी पर हो जब ख़ुर्शीद-ए-ह़श्र
सय्यिद-ए-बे-साया के ज़िल्ल-ए-लिवा का साथ हो
या इलाही ! गर्मी-ए-मह़शर से जब भड़कें बदन
दामन-ए-मह़बूब की ठंडी हवा का साथ हो
या इलाही ! नामा-ए-आ’माल जब खुलने लगें
ऐ़ब-पोश-ए-ख़ल्क़, सत्तार-ए-ख़त़ा का साथ हो
या इलाही ! जब बहें आँखें ह़िसाब-ए-जुर्म में
उन तबस्सुम-रेज़ होंटों की दुअ़ा का साथ हो
या इलाही ! जब ह़िसाब-ए-ख़ंद-ए-बे-जा रुलाए
चश्म-ए-गिर्यान-ए-शफ़ी-ए़-मुर्तजा का साथ हो
या इलाही ! रंग लाएँ जब मेरी बे-बाकियाँ
उन की नीची नीची नज़रों की ह़या का साथ हो
या इलाही ! जब चलूँ तारीक राह-ए-पुल-सिरात़
आफ़्ताब-ए-हाशिमी नूरुल-हुदा का साथ हो
या इलाही ! जब सर-ए-शमशीर पर चलना पड़े
'रब्बे सल्लिम' कहने वाले ग़म-जु़दा का साथ हो
या इलाही ! जो दुअ़ाए नेक मैं तुझ से करूँ
क़ुदसियों के लब से आमीं रब्बना का साथ हो
या इलाही ! जब रज़ा ख़्वाब-ए-गिराँ से सर उठाए
दौलत-ए-बेदार-ए-इ़श्क़-ए-मुस्त़फा का साथ हो
शायर:
इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी
जब पड़े मुश्किल, शह-ए-मुश्किल-कुशा का साथ हो
या इलाही ! भूल जाऊँ नज़्अ' की तकलीफ़ को
शादी-ए-दीदार-ए-ह़ुस्न-ए-मुस्त़फ़ा का साथ हो
या इलाही ! गोर-ए-तीरा की जब आए सख़्त रात
उन के प्यारे मुँह की सुब्ह़-ए-जाँ-फ़िज़ा का साथ हो
या इलाही ! जब पड़े मह़शर में शोर-ए-दार-ओ-गीर
अम्न देने वाले प्यारे पेशवा का साथ हो
या इलाही ! जब ज़बानें बाहर आएँ प्यास से
साह़िब-ए-कौसर, शह-ए-जूद-ओ-अ़त़ा का साथ हो
या इलाही ! सर्द-मेहरी पर हो जब ख़ुर्शीद-ए-ह़श्र
सय्यिद-ए-बे-साया के ज़िल्ल-ए-लिवा का साथ हो
या इलाही ! गर्मी-ए-मह़शर से जब भड़कें बदन
दामन-ए-मह़बूब की ठंडी हवा का साथ हो
या इलाही ! नामा-ए-आ’माल जब खुलने लगें
ऐ़ब-पोश-ए-ख़ल्क़, सत्तार-ए-ख़त़ा का साथ हो
या इलाही ! जब बहें आँखें ह़िसाब-ए-जुर्म में
उन तबस्सुम-रेज़ होंटों की दुअ़ा का साथ हो
या इलाही ! जब ह़िसाब-ए-ख़ंद-ए-बे-जा रुलाए
चश्म-ए-गिर्यान-ए-शफ़ी-ए़-मुर्तजा का साथ हो
या इलाही ! रंग लाएँ जब मेरी बे-बाकियाँ
उन की नीची नीची नज़रों की ह़या का साथ हो
या इलाही ! जब चलूँ तारीक राह-ए-पुल-सिरात़
आफ़्ताब-ए-हाशिमी नूरुल-हुदा का साथ हो
या इलाही ! जब सर-ए-शमशीर पर चलना पड़े
'रब्बे सल्लिम' कहने वाले ग़म-जु़दा का साथ हो
या इलाही ! जो दुअ़ाए नेक मैं तुझ से करूँ
क़ुदसियों के लब से आमीं रब्बना का साथ हो
या इलाही ! जब रज़ा ख़्वाब-ए-गिराँ से सर उठाए
दौलत-ए-बेदार-ए-इ़श्क़-ए-मुस्त़फा का साथ हो
शायर:
इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी
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हिंदी नात
Subhanallah ❤️
ReplyDeleteAmeen
DeleteWaah kya baat hai Subhan Allah
Deleteسبحان اللہ
ReplyDeleteमेरे आला हजरत की क्या बात है ।
Beshak koi misaal nhi ��
Deleteअमीन
ReplyDeleteWadi raza ki kohe himala raza ka, jis samt dekhiye wo ilaqa raza ka........
ReplyDeletemasha allah
ReplyDeleteAameen subhanallah
ReplyDeleteAllah humma ameen
ReplyDeleteAmeen
ReplyDeleteAmeen
ReplyDeleteAmeen summa ameen
ReplyDeleteAameen Summa Aameen
ReplyDeleteAmeen
ReplyDeleteMashaallah
ReplyDeleteKoi dip se is kalaam ko padh le to ye uski bakhshish ka zariya ban jaye
ReplyDeleteKoi dil se is kalaam ko padh le to ye uski bakhshish ka zariya ban jaye
DeleteREPLY
Beshaq
DeleteMashallah
ReplyDeleteMasa Allah alhamdolillah
ReplyDeleteMasha allah kya baat hai mere raza ki.... ❤❤
ReplyDeleteMashallah 🥰
ReplyDeleteAameen ! Summa aameen
ReplyDeleteAameen.
ReplyDeleteImam_e_ahle sunnat fazil e bareli aala Hazrat Ahmed Raza Khan r a ki kya bat hei
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