मदीने वाला सोहणा / Madine Wala Sohna
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
बलग़ल उ़ला बिकमालिहि, कशफ-द्दोजा बिजमालिहि
हसोनत जमीउ़ खि़सालिहि, स़ल्लू अ़लयहे व आलिहि
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
मुख चंद बदर शअशानी ए
मथे चमके लाट नुरानी ए
काली ज़ुल्फ़ ते अख मस्तानी ए
मख़्मूर अखीं हेन मद भरियाँ
सुब्हानल्लाह मा अज्मलका
मा अह़सनका, मा अकमलका
किथ्थे मेहर अली किथ्थे तेरी सना
गुस्ताख़ अख्खीं किथ्थे जा अड़ियाँ
हक़, हक़, हक़, हक़, हक़, हक़
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
बलग़ल उ़ला बिकमालिहि, कशफ-द्दोजा बिजमालिहि
हसोनत जमीउ़ खि़सालिहि, स़ल्लू अ़लयहे व आलिहि
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
मुख चंद बदर शअशानी ए
मथे चमके लाट नुरानी ए
काली ज़ुल्फ़ ते अख मस्तानी ए
मख़्मूर अखीं हेन मद भरियाँ
सुब्हानल्लाह मा अज्मलका
मा अह़सनका, मा अकमलका
किथ्थे मेहर अली किथ्थे तेरी सना
गुस्ताख़ अख्खीं किथ्थे जा अड़ियाँ
हक़, हक़, हक़, हक़, हक़, हक़
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन, मिस्ले तो न शुद पैदा जाना
जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शहे दो सरा जाना
अल-बह़रू अ़ला वल-मौजु त़गा, मन बे कसो तू़फ़ां होशरुबा
मंजधार में हूं बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना
अना फी अ़त़शिव्व सखा़क अतम, ऐ गेसूए पाक ऐ अब्रे करम
बरसन हारे रिमझिम रिमझिम, दो बूंद इधर भी गिरा जाना
अर्रुहु़ फ़िदाक फ़ज़िद हरक़ा, यक शो’ला दिगर बरज़न इ़श्क़ा
मोरा तन मन धन सब फूंक दिया येह जान भी प्यारे जला जाना
बस ख़ामए ख़ाम नवाए रज़ा न येह त़र्ज़ मेरी न येह रंग मेरा
इर्शादे अह़िब्बा नात़िक़ था नाचार इस राह पड़ा जाना
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
वोह कमाले ह़ुस्ने ह़ुज़ूर है कि गुमाने नक़्स जहां नहीं
येही फूल ख़ार से दूर है, येही शम्अ़ है कि धुवां नहीं
मैं निसार तेरे कलाम पर मिली यूं तो किस को ज़बां नहीं
वोह सुख़न है जिस में सुख़न न हो, वोह बयां है जिस का बयां नही
करूं मद्ह़े अहले दुवल रज़ा, पड़े इस बला में मेरी बला
मैं गदा हूं अपने करीम का, मेरा दीन पारए नां नही
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये, मकीनो मकां तुम्हारे लिये
चुनीनो चुनां तुम्हारे लिये, बने दो जहां तुम्हारे लिये
दहन में ज़बां तुम्हारे लिये, बदन में है जां तुम्हारे लिये
हम आए यहां तुम्हारे लिये, उठें भी वहां तुम्हारे लिये
इशारे से चांद चीर दिया, छुपे हुए ख़ुर को फेर लिया
गए हुए दिन को अ़स्र किया, येह ताबो तुवां तुम्हारे लिये
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
क़ुर्बान में उनकी बक्शीश के, मक़सद भी ज़बां पर आया नहीं
बिन माँगे दिया और इतना दिया, दामन में हमारे समाया नहीं
क़ुरआन मिला उनके सदके, रहमान मिला उनके सदके
ईमान मिला उनके सदके, वो क्या है जो हमने पाया नहीं
दिल भर गए मंगतों के लेकिन, देने से तेरी नियत न भरी
जो आया उसे भर-भर के दिया, महरूम कभी लौटाया नहीं
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
सरवर कहूं कि मालिको मौला कहूं तुझे
बाग़े ख़लील का गुले ज़ैबा कहूं तुझे
अल्लाह रे तेरे जिस्मे मुनव्वर की ताबिशें
ऐ जाने जां मैं जाने तजल्ला कहूं तुझे
तेरे तो वस्फ़ ऐ़बे तनाही से हैं बरी
ह़ैरां हूं मेरे शाह मैं क्या क्या कहूं तुझे
लेकिन रज़ा ने ख़त्म सुख़न इस पे कर दिया
ख़ालिक़ का बन्दा ख़ल्क़ का आक़ा कहूं तुझे
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
वोह कमाले ह़ुस्ने ह़ुज़ूर है कि गुमाने नक़्स जहां नहीं
येही फूल ख़ार से दूर है, येही शम्अ़ है कि धुवां नहीं
मैं निसार तेरे कलाम पर मिली यूं तो किस को ज़बां नहीं
वोह सुख़न है जिस में सुख़न न हो, वोह बयां है जिस का बयां नही
करूं मद्ह़े अहले दुवल रज़ा, पड़े इस बला में मेरी बला
मैं गदा हूं अपने करीम का, मेरा दीन पारए नां नही
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये, मकीनो मकां तुम्हारे लिये
चुनीनो चुनां तुम्हारे लिये, बने दो जहां तुम्हारे लिये
दहन में ज़बां तुम्हारे लिये, बदन में है जां तुम्हारे लिये
हम आए यहां तुम्हारे लिये, उठें भी वहां तुम्हारे लिये
इशारे से चांद चीर दिया, छुपे हुए ख़ुर को फेर लिया
गए हुए दिन को अ़स्र किया, येह ताबो तुवां तुम्हारे लिये
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
क़ुर्बान में उनकी बक्शीश के, मक़सद भी ज़बां पर आया नहीं
बिन माँगे दिया और इतना दिया, दामन में हमारे समाया नहीं
क़ुरआन मिला उनके सदके, रहमान मिला उनके सदके
ईमान मिला उनके सदके, वो क्या है जो हमने पाया नहीं
दिल भर गए मंगतों के लेकिन, देने से तेरी नियत न भरी
जो आया उसे भर-भर के दिया, महरूम कभी लौटाया नहीं
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
सरवर कहूं कि मालिको मौला कहूं तुझे
बाग़े ख़लील का गुले ज़ैबा कहूं तुझे
अल्लाह रे तेरे जिस्मे मुनव्वर की ताबिशें
ऐ जाने जां मैं जाने तजल्ला कहूं तुझे
तेरे तो वस्फ़ ऐ़बे तनाही से हैं बरी
ह़ैरां हूं मेरे शाह मैं क्या क्या कहूं तुझे
लेकिन रज़ा ने ख़त्म सुख़न इस पे कर दिया
ख़ालिक़ का बन्दा ख़ल्क़ का आक़ा कहूं तुझे
मदीने वाला सोहणा, मदीने वाला सोहणा
रसूले-आज़म सोहणा, रसूले-आज़म सोहणा
नातख्वां:
सय्यिद अब्दुल वसी रज़वी
सय्यिद अब्दुल वसी रज़वी
I love wasi e millat
ReplyDeleteAllah Abdul wasi shahab ko Allah salamat rakhe
ReplyDeleteNICE KALAM
ReplyDeleteMashaallah Subhanallah
DeleteHazrat Bahoot hi pyara kalaam hai
ReplyDeleteAllah hazrat wasi raza sahab ki umr me barkat ata farmaye
ReplyDeleteI'M Leaving at near hazrat meera pir badshah dargah Sharif in the porbandar city
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